-दीपक दुआ (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
‘जोगी का जुगाड़ कभी फेल नहीं होता।’ इस फिल्म यानी ‘जोगीरा सारा रा रा’ के नायक जोगी प्रताप का यह तकिया कलाम है। लखनऊ का जोगी प्रताप जुगाड़ू किस्म का आदमी है, सौ का काम नब्बे में करने वाला। दूसरों की शादियों में सारे इंतजाम करवाने में माहिर जोगी को डिंपल चौबे की शादी का काम मिलता है। लेकिन खुद डिंपल चाहती है कि जोगी उसकी शादी करवाने की बजाय तुड़वा दे। बस, जोगी लग जाता है इस काम में। लेकिन दिक्कत तब होती है जब डिंपल जोगी के ही गले में पड़ जाती है।
कहानी नई नहीं है। शादी से भागने के चक्कर में किसी और से जा उलझने की कहानियां हम लोग अलग-अलग एंगल से देख चुके हैं। यहां नया एंगल यह है कि जोगी शादी न करने की कसम खाए बैठा है और डिंपल भी उससे शादी नहीं करना चाहती। लेकिन कोई कारण है कि इन्हें शादी करनी पड़ रही है। क्या कारण है…?
लेखक गालिब असद भोपाली ने साधारण और हल्की कहानी होने के बावजूद लगातार ट्विस्ट डालते हुए उसे रोचक बनाए रखा है। उनकी लिखी स्क्रिप्ट कुछ एक जगह लचकने और धीमी पड़ने के बावजूद बोर नहीं होने देती है। नई-नई घटनाओं और दिलचस्प किरदारों के अलावा फिल्म को कॉमिक फ्लेवर देने की जो समझदारी बरती गई है उसी से यह फिल्म देखने लायक बन पाई है। फिल्म की शुरुआत से ही आपके चेहरे पर मुस्कान आने लगती है जो कभी हंसी में तो कभी ठहाकों में भी बदलती है। किरदार गढ़ने में माहिर गालिब ने इस फिल्म में भी बहुत सारे अनोखे किरदार रचे हैं जो अपनी भंगिमाओं और बातों से प्रभाव छोड़ने व हंसा पाने में कामयाब रहते हैं। संवाद साधारण हैं और किरदारों की बोलियों का लहज़ा अलग-अलग।
निर्देशक कुषाण नंदी ने लोकेशन से लेकर सीन बनाने, किरदारों को खड़ा करने और कलाकारों से बढ़िया काम निकलवाने में जो मेहनत की है, वह पर्दे पर दिखाई देती है। अपनी पिछली फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज़’ (रिव्यू-देसी एंटरटेनमैंट देता ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज़’) में उन्होंने जो देसीपन बिखेरा था, वह इस फिल्म में भी मौजूद है, हास्य में लिपटा हुआ।
नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी रंगत बिखेरते हैं। उनकी टाइमिंग गजब की है। ऐसे किरदारों में वह जंचते भी हैं। नेहा शर्मा, भगवान तिवारी, संजय मिश्रा, ज़रीना वहाब व अन्य सभी कलाकार भी खूब रंग जमाते हैं। डिंपल की दादी के किरदार में स्वर्गीय फर्रुख जफर को देखना और सुनना, दोनों मज़ा देता है। बरसों पहले ‘उमराव जान’ में रेखा की मां बनीं फर्रुख ‘फोटोग्राफ’ (रिव्यू-अरमान जगाती ‘फोटोग्राफ’) में नवाज़ुद्दीन के साथ आ चुकी हैं। हैरानी मिथुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह को देख कर होती है जिन्होंने डिंपल के कमअक्ल, थुलथुल दूल्हे लल्लू का किरदार निभाया और खूब निभाया। गाने-वाने ठीक-ठाक हैं।
यह फिल्म कोई बहुत बड़ा तीर भले न मारती हो और न ही इसके नाम का कोई मतलब निकलता हो। लेकिन यह एक अच्छा टाइमपास किस्म का हंसने-हंसाने वाला मनोरंजन ज़रूर दे जाती है। हां, यह भी सच है कि अब ऐसी फिल्में थिएटरों पर भीड़ नहीं जुटा पातीं, इनके लिए ओ.टी.टी. आ चुका है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-26 May, 2023 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
रिव्यु ***** रेटिंग का है.
फ़िल्म बिल्कुल पैसा वसूल और टाइम वसूल दोनों हैँ… और नवाज़ुद्दीन जी की एक्टिंग का तो कहना ही क्या… कमाल की एक्टिंग….जान डाल देते हैँ अपनी एक्टिंग में चाहे नेगेटिव रोल में हो या हीरो के रोल में…
शुक्रिया…