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Home यादें

यादें-आगरा में मिलना संजय दत्त की कमबैक फिल्म ‘भूमि’ की यूनिट से

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/03/18
in यादें
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यादें-आगरा में मिलना संजय दत्त की कमबैक फिल्म ‘भूमि’ की यूनिट से
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-दीपक दुआ…

मार्च, 2017… आगरा में संजय दत्त की कमबैक फिल्म ‘भूमि’ की शूटिंग। दिल्ली से हम लोग जब आगरा के लिए चले तो बताया यही गया कि हमें ‘भूमि’ की शूटिंग दिखाई जाएगी। लेकिन दोपहर में जब हम आगरा के मैरियट होटल में पहुंचे तो पता चला कि बीते रोज शूटिंग के दौरान हुए एक बवाल के चलते आज शूटिंग नहीं हो रही है। दरअसल किसी सड़क पर ट्रैफिक रोक कर शूटिंग की जा रही थी जिसका कुछ स्थानीय पत्रकारों ने विरोध किया और बात बढ़ते-बढ़ते मारपीट तक पहुंच गई थी। खैर, अब इसी होटल में फिल्म की यूनिट से हमारा सामना होना था।

कुछ ही देर में फिल्म के निर्माता-निर्देशक ओमंग कुमार, निर्माता संदीप सिंह, टी सीरिज से निर्माता भूषण कुमार, लेखक राज शांडिल्य और कलाकार संजय दत्त, अदिति राव हैदरी, शेखर सुमन और सिद्धांत गुप्ता हमारे सामने थे सो, सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू होने में देर नहीं हुई।

तस्वीर में दिख रहे संजय दत्त के अजीबोगरीब जूतों के बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘भूमि’ के निर्देशक ओमंग कुमार इससे पहले दो बायोपिक ‘मैरी कॉम’ और ‘सरबजीत’ बना चुके हैं। इस फिल्म के बारे में उन्होंने बताया, ‘यह असल में एक पिता और उसकी बेटी की कहानी है। हालांकि इसमें और भी किरदार हैं और वे लोग भी कहानी का अहम हिस्सा हैं लेकिन कहानी के केंद्र में यह पिता और उसकी बेटी ही हैं। पिता का किरदार संजय दत्त निभा रहे हैं और बेटी की भूमिका में अदिति राव हैदरी हैं। कैसे इनकी जिंदगी में एक हादसा होता है और उसके बाद यह कहानी कैसे एक रिवेंज ड्रामा में बदल जाती है, यह इसमें दिखाया गया है।’

संजय ने उत्तर प्रदेश से अपना कनैक्शन बयान करते हुए कहा, ‘मेरी नानी यू.पी. की थीं इसलिए यूपी से मेरा पुराना कनैक्शन है। यहां के लोगों ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया है और इसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं और उनसे गुजारिश करता हूं कि मुझे हमेशा ऐसे ही सपोर्ट करते रहिए।’ आगरा में शूटिंग करने के अनुभव के बारे में संजू बोले, ‘बहुत अच्छा लग रहा है। आगरा के लोगों ने हमें बहुत प्यार दिया है। वे चाहते हैं कि मुंबई वाले यहां आकर शूटिंग करें और इसके लिए वे हमें सहयोग भी करते हैं। एक फर्क यह जरूर आया है कि पहले आगरा वाले प्यार से मान जाते थे अब उन्हें माफी मांग कर मनाया गया है।’ बीते रोज हुए वाकये पर संजय ने कहा, ‘जब यह वाकया हुआ तो मैं सैट पर था ही नहीं। अगर मैं वहां होता तो शायद यह सब होता ही नहीं क्योंकि मैं सबको जादू की झप्पी देकर शांत कर देता।’ इस फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताते हुए संजय ने कहा, ‘‘भूमि’ की कहानी एक आम इंसान की कहानी है जो आगरा शहर में रहता है। एक आम इंसान अपने बच्चों से किस तरह से प्यार करता है, अपने दोस्तों से प्यार करता है, उसकी जिंदगी में क्या होता है, यह सब इसमें दिखाया गया है।’

अदिति राव ने कहा, ‘मैं खुद को बहुत लकी मानती हूं कि मुझे इस फिल्म में टाइटल रोल निभाने का मौका मिला है। यह मौका इसलिए भी खास है कि इसमें संजय दत्त मेरे पिता बने हैं और इसलिए भी कि ओमंग कुमार जी की फिल्मों में नायिका के किरदार काफी मजबूत होते हैं और मुझे भी उम्मीद है कि लोग इस फिल्म को देख कर मेरे काम की भी जम कर तारीफ करेंगे।’

अदिति के नायक सिद्धांत गुप्ता अपने किरदार के बारे में बताते हुए कहते हैं, ‘मैं इस फिल्म में अदिति के अपोजिट रोमांटिक किरदार निभा रहा हूं। फिल्म में भले ही एक पिता और उसकी बेटी की कहानी है लेकिन हमारी भी कहानी है और वह भी इस फिल्म का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है जो आगे चल कर फिल्म को एक नया मोड़ देता है।’

शेखर सुमन काफी लंबे समय बाद बड़े पर्दे पर दिखेंगे। उन्होंने बताया, ‘मैं और संजू इसमें काफी गहरे दोस्त बने हैं। संजू के साथ मैंने बरसों पहले एक फिल्म ‘इंसाफ अपने लहू से’ की थी जो बहुत जल्द भुला दी गई। तब भी हम अच्छे दोस्त थे और आज भी हैं। उनके साथ काम करना हर किसी को अच्छा लगता है और मेरे लिए यह फख्र की बात है कि मैं संजू की कमबैक फिल्म में उनके साथ हूं।’

इस फिल्म के लेखक राज शांडिल्य अभी तक काॅमेडी ही लिखते आए हैं। ‘कॉमेडी सर्कस’ और ‘कॉमेडी नाइट्स विद् कपिल’ लिखने के लिए उनका नाम ‘लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स’ में भी है। इसके अलावा उन्होंने दो कॉमेडी फिल्में ‘वैलकम बैक’ और ‘फ्रीकी अली’ भी लिखीं। लेकिन ‘भूमि’ एक संजीदा विषय पर बनी बिल्कुल ही अलग टेस्ट की फिल्म है। इस बारे में राज कहते हैं, ‘मुझ से हर कोई यही जानना चाहता है कि कैसे मैं कॉमेडी से हट कर इस फिल्म को लिख पाया। मैं यही कहूंगा कि एक लेखक चाहे तो सब कुछ लिख सकता है, बड़ी बात यह है कि लोग उस पर भरोसा कितना करते हैं। मुझ पर ओमंग कुमार ने भरोसा किया, संजय सर ने किया और इनका यह भरोसा न टूटने पाए, यह जिम्मेदारी अब मेरी है।’

फिल्म के निर्माता भूषण कुमार का कहना है, ‘एक निर्माता का फिल्म बनने के पूरे प्रोसेस में बहुत बड़ा योगदान होता है। न सिर्फ पैसे लगाना बल्कि उस पैसे की सही कीमत को पर्दे पर उतरवाना और उस फिल्म को सही ढंग से दर्शकों तक पहुंचवाना भी उसका फर्ज है।

फिल्म के दूसरे निर्माता संदीप सिंह काफी सक्रिय दिखाई दिए। उन्होंने बताया कि संजू को कहानी सुनाने से लेकर शूटिंग तक वह हर जगह मौजूद रहते हैं और इस बात पर नजर रखते हैं कि किसी को भी किसी तरह की कोई परेशानी न हो।

(फिल्म ‘भूमि’ का रिव्यू पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(नोट-इस आलेख के संपादित अंश 18 मार्च, 2017 के ‘हरिभूमि’ में प्रकाशित हुए।)

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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