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Home यादें

यादें : मिलना नुसरत साहब से, आफरीन आफरीन…

Deepak Dua by Deepak Dua
2021/07/26
in यादें
0
यादें : मिलना नुसरत साहब से, आफरीन आफरीन…
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-दीपक दुआ…

1996 में जुलाई का महीना था। सही-सही बोलूं तो 26 जुलाई 1996 और दिन था शुक्रवार। अपने को फिल्म मासिक ‘चित्रलेखा’ से जुड़े कुछ महीने हो चुके थे। दो-एक प्रैस-कांफ्रैंस भी अटेंड कर चुका था। उस रोज़ ‘चित्रलेखा’ से संदेशा मिला कि आपके लिए एक इन्विटेशन आया हुआ है आज रात का। अपन गए इन्विटेशन लिया और उसे देखते ही दिल गुलाब हो गया। एच.एम.वी. म्यूज़िक कंपनी (जिसे अब सारेगामा कहा जाता है) की तरफ से आया यह इन्विटेशन पाकिस्तानी गायक नुसरत फतेह अली खान और हिन्दुस्तानी शायर जावेद अख्तर के अलबम ‘संगम’ की रिलीज़ का न्योता था। नुसरत फतेह अली खान, जो तब तक पूरी दुनिया में कव्वाली की अपनी अलहदा शैली के चलते खासे मशहूर हो चुके थे और जिनके संगीत के दीवाने अपन इससे 6 महीने पहले आई ‘बैंडिट क्वीन’ से हो चुके थे।

दिन भर के काम-धंधे के बाद घर पहुंचा और कपड़े बदल, इत्र-फुलेल लगा कर दिल्ली की बसों में लद-फद कर रात करीब 8 बजे अपने घर से काफी दूर फाइव स्टार होटल ‘मौर्य शेरेटन’ जा पहुंचा। इस होटल के ‘कमल महल’ नाम के बैंक्वेट हॉल में उस शाम ज़बर्दस्त भीड़ थी। टी.वी. की खबरों और अंग्रेज़ी अखबारों के तीसरे पन्ने पर दिखने वाले न जाने कितने ही चमकते चेहरे वहां सज-धज कर एक हाथ में गिलास लिए चहक-चमक रहे थे। थोड़ी देर बाद महफिल सजने लगी। दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल पी.के. दवे, क्रिकेटर कपिल देव, सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान, गीतकार-शायर जावेद अख्तर और पाकिस्तान से आए गायक उस्ताद नुसरत फतेह अली खान की मंच पर मौजूदगी के बीच यह अलबम रिलीज़ हुआ। दो-एक औपचारिक भाषण भी हुए जिनमें से कपिल देव की अंग्रेज़ी पर सब हंसे भी।

जावेद साहब और नुसरत साहब ने इस अलबम के बनने के बारे में भी बताया कि कैसे इसका श्रेय निर्देशक राहुल रवैल को जाता है। यह राहुल ही थे जिन्होंने नुसरत साहब को अपनी फिल्म ‘और प्यार हो गया’ (बॉबी देओल, ऐश्वर्या रॉय) के लिए अप्रोच किया और नुसरत साहब ने शर्त रखी कि गाने जावेद अख्तर लिखेंगे। ये दोनों इस फिल्म के लिए गीत-संगीत तैयार करने लगे और ऐसे में इस फिल्म का संगीत लेकर आ रही कंपनी एच.एम.वी. में किसी को ख्याल आया कि क्यों न इन दोनों को साथ में लेकर एक अलबम ही निकाल दी जाए और इस तरह से ‘संगम’ सामने आई। वैसे बता दूं कि फिल्म ‘और प्यार हो गया’ 15 अगस्त, 1997 को रिलीज़ हुई थी और उसके अगले ही दिन 16 अगस्त को नुसरत साहब इस दुनिया से विदा हो गए थे।

बहरहाल, कुछ एक बातों और स्क्रीन पर ‘आफरीन आफरीन…’ का लीज़ा रे वाला वीडियो दिखाने के बाद सुर-संगीत का वह दरिया वहां बहना शुरू हुआ जिसमें डूबने-उतराने की ख्वाहिश लिए उस शाम मुझ जैसे कई दीवाने वहां आए थे। नुसरत साहब ने एक-एक करके अपने कुछ गीत सुनाए। इसी अलबम से वह ‘हुस्न-ए-जानां की तारीफ मुमकिन नहीं, आफरीन आफरीन…’ भी सुनाया जिसने उनकी शोहरत में खूब इजाफा किया। ‘शहर के दुकानदारों…’ भी सुनाया। उनके आलाप और मुरकियां ने उस शाम खूब समां बांधा। जावेद साहब ने भी अपनी कुछ नज़्में पढ़ीं जिनमें ‘मुझ को यकीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं, जब मेरे बचपन के दिन थे, चांद पे परियां रहती थीं…’ और ‘वो कमरा याद आता है…’ थीं। इस दौरान मैंने वहां मौजूद बड़े-से स्पीकर के साथ अपने छोटे-से टेप-रिकॉर्डर को सटा कर उनकी आवाज़ में यह सब रिकॉर्ड कर लिया था जो आज भी मैंने सहेज रखा है।

गीत-संगीत की महफिल रुकी तो मैंने जावेद और नुसरत साहब, दोनों से कुछ बातें भी कीं। ऑटोग्राफ वगैरह लेने का शौक अपने को कभी रहा नहीं और फोटो वगैरह खिंचवाने का उन दिनों अपने पास कोई साधन नहीं था। सो, अपने दिलोदिमाग में उस मुलाकात और उनके गीत-संगीत को संजोए लौट आया।

आज भी कभी उस शाम की याद आती है तो दिल के तार झनझना-से उठते हैं। खुद की खुशनसीबी पर यकीं नहीं होता कि मैं कभी नुसरत साहब से भी मिला था, उन्हें रूबरू सुना था, उनसे बातें की थीं, उनके हाथों को छुआ था…! बरसों बाद जब मैंने इस मुलाकात का ज़िक्र नुसरत साहब के भतीजे राहत फतेह अली खान से किया तो उन्होंने भावुक होकर मेरे हाथों को छू लिया था। वह किस्सा फिर कभी कि जब राहत ने मुझ से कहा था कि वह पहली बार किसी हिन्दी वाले पत्रकार से बात कर रहे हैं।

Article Date-26 July, 2021

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Amjad ali khanhmvjaved akhtarKapil Devmaurya sheretonnusrat fateh ali khanrahat fateh ali khanrahul rawailsangamsaregamaआफरीन आफरीन
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