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Home फ़िल्म रिव्यू

रिव्यू-टाईगर ‘ज़िदाबाद’ है…

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/12/22
in फ़िल्म रिव्यू
0
रिव्यू-टाईगर ‘ज़िदाबाद’ है…
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
हिन्दुस्तानी खुफिया एजेंसी राॅ का एजेंट टाईगर और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. की एजेंट जोया। ‘एक था टाईगर’ में इन्हें प्यार हुआ और एक दिन ये दोनों सबकी नजरों से लापता हो गए, इस वादे के साथ कि अब टाईगर तभी वापस आएगा जब इन दोनों मुल्कों को खुफिया एजेंसियों की जरूरत ही नहीं होगी।

खैर, ऐसा तो नहीं हो पाया लेकिन इस बीच इराक के एक अस्पताल में दहशदगर्दों ने कुछ हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी नर्सों को बंधक बना लिया और उन्हें बचाने के लिए इन्हें लौटना पड़ा। इस बार राॅ और आई.एस.आई. ने मिल कर इस मिशन को अंजाम दिया। इस फिल्म को बनाने के पीछे हिन्दुस्तान-पाकिस्तान को एक ही डगर के राही और भाई-भाई बताने की लेखक-निर्देशक की कवायद फिल्म में साफ और बार-बार नजर आती है। देखा जाए तो इरादा बुरा भी नहीं है।

वह सीन दिलचस्प है। एक हिन्दुस्तानी नर्स फोन पर अपने राजदूत को बताती है-सर, हम 25 इंडियन नर्सें और 15 पाकिस्तानी नर्सें यहां फंसी हुई हैं। राजदूत कहते हैं-अच्छा, मतलब 25 नर्सें। टाईगर भी इन 25 को ही बचाने पहुंचा है। वो तो उधर से जोया ‘भाभी’ अपने पाकिस्तानी साथियों को लेकर आ जाती हैं तो सब का मिशन एक हो जाता है और इस मसालेदार फिल्म में यही चीज आपको भावुक होने का मौका भी देती है।

पहले ही सीन से फिल्म ने जो पटरी और उस पर रफ्तार पकड़ी है, उससे वह जरा-सी देर के लिए भी नहीं डिगी है। दो घंटे 41 मिनट और आप चाह कर भी पर्दे से नजरें नहीं हटा पा रहे हैं। बल्कि कई जगह तो आप उचक कर और दम साधे देखते हैं। ढेरों ऐसे सीन हैं जहां मन होता है कि जवानी के चवन्नी-छाप क्लास की तरह सीटी बजाई जाए। जब मुटिठ्यां भिंचती हैं। जब आप ठहाका लगाते हैं। जब आप को रोमांच होता है। जब आप कहते हैं-वाह! और फिर अंत में ‘स्वैग से करेंगे सब का स्वागत…’ देखते हुए जब आपकी आंखें सिंकती हैं, उंगलियां और पांव थिरकने लगते हैं तो टिकट के साथ-साथ पाॅपकाॅन-बर्गर के पैसे भी वसूल होने का अहसास होता है।

अगर बहुत ज्यादा गहराई वाले लाॅजिक के चक्करों में न पड़ें तो यह फिल्म असर छोड़ने में कामयाब रही है। इसे कायदे से लिखा गया है और निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने भी पिछली वाली फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान की कुर्सी बखूबी संभाली है। ग्रीस, मोरक्को, अबूधाबी, आॅस्ट्रिया की लोकेशंस फिल्म का प्रभाव बढ़ाती हैं। एक्शन और स्पेशल इफैक्ट्स आपकी आंखों को झपकने नहीं देते। कैमरे की हलचलें आपके भीतर जरूरी खलबली पैदा कर पाती हैं। इरशाद कामिल के गीत कहानी का हिस्सा बने हैं और विशाल-शेखर का संगीत उन्हें सहारा देता है।

सलमान एक बार फिर पूरी तरह से फाॅर्म में दिखे हैं। ‘ट्यूबलाइट’ वाली गलती के लिए अब उन्हें माफ किया जा सकता है। कैटरीना जंचती हैं, जंची हैं। अनंत शर्मा, अंगद बेदी, सज्जाद, कुमुद मिश्रा, गिरीश कर्नाड, परेश रावल, अनुप्रिया गोयनका जैसे सभी कलाकार अगर अपने किरदारों के ज्यादा प्रभावी न होने पर भी फिट लगे हैं तो इसके लिए यशराज की कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा भी तारीफ की हकदार बनती हैं।

इस फिल्म में वह सब कुछ है जो आप ऐसी किसी फिल्म को देखते हुए चाहते हैं। और हां, इसे देखने के बाद यह इच्छा भी होती है कि इसका तीसरा पार्ट भी जल्द सामने आए। आ ही जाएगा, कहानी खत्म ही ऐसे मोड़ पर हुई है।

अपनी रेटिंग-चार स्टार

Release Date-22 December, 2017

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: ali abbas zafaranant sharmaAngad Bedianupriya goenkaek tha tigergirish karnadKatrina Kaifkumud mishrasajjad delafroozSalman Khanshannoo sharmatiger zinda hai reviewyashraj films
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