• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home विविध

टाइगर की 200 करोड़ी दहाड़?

Deepak Dua by Deepak Dua
2012/08/12
in विविध
0
टाइगर की 200 करोड़ी दहाड़?
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ…

‘‘हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की फौज पिछले साठ साल में चार जंग लड़ चुकी है। लेकिन इंडिया और पाकिस्तान में दो ऐसी सरकारी एजेंसीज हैं जो हर रोज, हर पल जंग लड़ रही हैं-इंडिया की रॉ और पाकिस्तान की आई.एस.आई.। आम लोगों तक इनके बारे में कोई खबर नहीं पहुंचती क्योंकि इसे मुल्क की सुरक्षा के नाम पर हमेशा के लिए छुपा दिया जाता है। लेकिन कुछ कहानियां होती हैं जिन्हें दीवारें और फाइलें नहीं रोक पातीं। यह वो कहानी है जिसने इस खुफिया दुनिया को जड़ से हिला दिया था। यह कहानी है-टाइगर की।’’

इस 15 अगस्त को रिलीज होने जा रही सलमान खान की फिल्म ‘एक था टाइगर’ के ट्रेलर में बोला गया यह संवाद अपने यहां के दर्शकों में इस फिल्म के प्रति बेपनाह उत्सुकता जगाने के लिए काफी लगता है। सच यही है कि हमारे फिल्मकारों ने समय-समय पर अपनी फिल्मों में पाकिस्तान की बात की है। मुल्क के बंटवारे से लेकर अब तक ऐसी कई फिल्में आ चुकी हैं जिनमें पाकिस्तान और वहां के लोगों को दिखाया गया और बड़ी ही हैरानगी के साथ यह भी देखा जा सकता है कि वक्त के साथ-साथ हमारी फिल्मों में पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के प्रति हमारे सुर में कड़वाहट आती गई और हमारे अवाम ने ऐसी ही फिल्मों को ज्यादा पसंद भी किया जिनमें पाकिस्तान को कमतर बताने, उसकी ओछी कारगुजारियों को सामने लाने या फिर उससे बदला लेने की बात की गई। जाहिर है कि इस किस्म की फिल्मों के प्रति पाकिस्तान का नजरिया भी तंग ही है और इसका ताजा सबूत है ‘एक था टाइगर’ के प्रोमोज और इस फिल्म पर पाकिस्तान में लगा प्रतिबंध क्योंकि बकौल उनके इस फिल्म में उनके मुल्क और उनकी एजेंसी आई.एस.आई. की गलत छवि परोसी गई है।

‘एक था टाइगर’ में सलमान खान भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के एजेंट बने हैं जिसका कोड नेम है-टाइगर। सरकार को पता चलता है कि भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मिसाईल टैक्नोलॉजी बेचने जा रहा है। टाइगर को इस मिशन पर डबलिन भेजा जाता है और इसके लिए जरूरी है कि वह उस लड़की ज़ोया के करीब जाए जो उस वैज्ञानिक की केयर टेकर है। लेकिन टाइगर खुद उसके प्यार में गिरफ्तार हो जाता है। हमारी फिल्मों में स्पाई यानी जासूस शुरु से आते रहे हैं। पहले यह किसी ‘अदृश्य’ विदेशी मुल्क के खिलाफ काम करते थे लेकिन धीरे-धीरे हमारी कहानियों और उनके नायकों का निशाना पाकिस्तान होता चला गया। फिर चाहे वह सनी देओल की ‘द हीरो-लव स्टोरी ऑफ ए स्पाई’ हो, ‘16 दिसंबर’ या इसी साल आई ‘एजेंट विनोद’, इनमें हमारे नायक पाकिस्तानी कोशिशों को ही नाकाम करते नजर आते हैं। वैसे यह भी बता दें कि स्पाई फिल्मों को आमतौर पर नापसंद ही किया गया और इनसे ज्यादा सफलता बॉक्स-ऑफिस पर उन फिल्मों को मिली जिनमें हमारे नायक सीधे पाकिस्तान को ललकारते या उन्हें पछाड़ते नजर आए। एक बड़ी मिसाल तो उस ‘बॉर्डर’ की है जिसके 1997 के अपेक्षाकृत दोस्ताना माहौल में रिलीज होते समय कई फिल्मी पंडितों को इसकी सफलता पर सिर्फ इसीलिए संदेह था कि सुधरते आपसी संबंधों के उस माहौल में ढाई दशक पुराने किसी युद्ध की बात कोई क्योंकर सुनना और देखना चाहेगा। लेकिन अपने देश को विजयी देखने के भाव ने इस फिल्म को दर्शकों के दिलों में ऐसी जगह दी कि यह बेहद सफल साबित हुई। यह अलग बात है कि इस फिल्म ने उग्र राष्ट्रवाद वाली फिल्मों की एक धारा तो शुरु की ही, अपने सनी देओल को पाकिस्तान वालों की नजरों में खलनायक बना दिया। सनी की इस छवि को ‘गदर-एक प्रेमकथा’ से और मजबूती मिली जिसके आने के बाद वरिष्ठ फिल्म आलोचक अनिल साहरी ने इसी समाचार-पत्र में लिखा था कि अगर इस फिल्म में लड़का पाकिस्तान का और लड़की हिन्दुस्तान की होती तो यह फिल्म सुपरफ्लाॅप होती। लेकिन ‘एक था टाइगर’ में ऐसा नहीं है। इसमें भी लड़का अपने यहां का है जो न सिर्फ पड़ोसी दुश्मन से भिड़ रहा है बल्कि वहां की लड़की से मोहब्बत भी कर रहा है। तो क्या यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर किसी स्पाई फिल्म की कामयाबी के साथ-साथ बंपर सफलता पाने का भी कोई नया रिकॉर्ड बनाएगी? सब्र कीजिए, सिर्फ तीन दिन बाद इस सवाल का जवाब सामने होगा।

बॉक्स-ऑफिस पर दहाड़ेगा टाइगर?

‘एक था टाइगर’ को लेकर जो उम्मीदें लगाई जा रही हैं वे न सिर्फ बहुत बड़ी हैं बल्कि अतिश्योक्ति से भरी भी लग रही हैं। फिल्मों के कारोबार पर अपनी खुर्दबीन से नजरें गड़ाने वाले लोगों का मानना है कि इधर शुरु हुआ फिल्मों की सौ करोड़ की कलैक्शन का बुखार इस फिल्म के आते ही फीका पड़ जाएगा और चंद ही दिनों में दो सौ करोड़ का कलैक्शन करने वाली अपने यहां की यह पहली फिल्म बनेगी। गौर करें तो उनके इस दावे में दम भी नजर आता है। पहली बात तो यह कि यह उन सलमान खान की फिल्म है जिनका सितारा इधर कुछ समय से बुलंदी पर है और उनकी औसत दर्जे की फिल्म भी करोड़ों के वारे-न्यारे कर रही है। सलमान के साथ कैटरीना की जोड़ी है और इनकी निजी जिंदगी की दोस्ती के चलते इन्हें साथ देखना एक प्लस प्वाईंट ही है। फिर यह फिल्म 15 अगस्त के उस मौके पर आ रही है जब दर्शकों में देशप्रेम का बुखार थोड़ा ज्यादा होता है और वे इस तरह की फिल्मों को देखना चाहते हैं। इससे भी बड़ा कारण यह कि चंद दिनों बाद ईद है और पिछले तीन साल से इस मौके पर सलमान की ही फिल्में आ और छा रही हैं। ‘वांटेड’, ‘दबंग’ और ‘बॉडीगार्ड’ की हैट्रिक कामयाबी के बाद ईद पर तो ‘भाई’ का कॉपीराइट-सा हो गया है। फिर यह फिल्म उन कबीर खान की है जो ‘काबुल एक्सप्रैस’ और ‘न्यूयॉर्क’ जैसी फिल्मों से अपनी काबिलियत दिखा चुके हैं। ‘एक था टाइगर’ के प्रोमो बताते हैं कि यह फिल्म न सिर्फ कबीर की बल्कि सलमान की फिल्मों से भी आगे की साबित होगी। तो चलिए, इंतजार करें और देखें कि बॉक्स-ऑफिस पर इस टाइगर की दहाड़ कितनी असरदार साबित हो पाती है।

पाकिस्तान में बैन टाइगर

यह तय है कि ‘एक था टाइगर’ पाकिस्तान में रिलीज नहीं हो रही है। इससे पहले भी अपने यहां की फिल्में वहां पर प्रतिबंध झेलती रही हैं। हालांकि इनमें से ज्यादातर फिल्में वही थीं जिनमें पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हरकतें करते दिखाया गया लेकिन दो साल पहले दोनों देशों के बीच दोस्ती की बात करती संजय पूरण सिंह चैहान निर्देशित ‘लाहौर’ को पाकिस्तान में तीसरे ही दिन पाबंदी झेलनी पड़ी थी। संजय कहते हैं कि इस फिल्म में दो दृश्य ऐसे हैं जो पाकिस्तान का इंसानी चेहरा दिखाते हैं। मुमकिन है कि उन्हें इस चेहरे को देखने की आदत ही न रह गई हो। ‘एक था टाइगर’ की बाबत इस फिल्म के निर्देशक कबीर खान हमारे भेजे ई-मेल के जवाब में कहते हैं कि वह चाहते हैं कि उनकी फिल्म वहां रिलीज हो। अगर जरूरत पड़े तो वह खुद वहां जाकर वहां की हुकूमत से बात करने और उन्हें यह समझाने को तैयार हैं कि यह फिल्म पाकिस्तान के खिलाफ नहीं है।

दो करोड़ हिट्स

‘एक था टाइगर’ के प्रति दर्शकों की उत्सुकता और उत्साह को जानना हो तो एक मिसाल इंटरनेट पर मौजूद इसके ट्रेलरों और गानों को मिल रही लोकप्रियता की भी दी जा सकती है। इंटरनेट पर इन्हें करीब दो करोड़ लोग देख चुके हैं और यह गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। खासतौर से युवा दर्शकों में इस फिल्म को लेकर खासा क्रेज नजर आ रहा है और अगर इस फिल्म में रिपीट वैल्यू हुई तो यह तय है कि इसे बार-बार देख कर ये दर्शक इसे सहज ही इस साल की सरताज फिल्म बना देंगे।

(नोट-मेरा यह लेख 12 अगस्त, 2012 को ‘हिन्दुस्तान’ में बतौर कवर-स्टोरी छप चुका है।)

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: ek tha tigerkabeer khanKatrina KaifSalman Khantiger zinda haiyashraj
ADVERTISEMENT
Previous Post

ओल्ड रिव्यू-‘बोल वचन’ ही है यह ‘बोल बच्चन’

Next Post

रिव्यू-शीरीं फरहाद की तो… नहीं निकली

Related Posts

2024 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?
विविध

2024 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?

2024 की इन फिल्मों में से किसे मिलेंगे क्रिटिक्स चॉयस अवार्ड्स?
विविध

2024 की इन फिल्मों में से किसे मिलेंगे क्रिटिक्स चॉयस अवार्ड्स?

लहरों पर फिल्मी हलचलें
विविध

लहरों पर फिल्मी हलचलें

इफ्फी गोआ में लोक-संगीत व नृत्य का आनंद
विविध

इफ्फी गोआ में लोक-संगीत व नृत्य का आनंद

निर्देशक राजीव राय की धमाकेदार वापसी
विविध

निर्देशक राजीव राय की धमाकेदार वापसी

2023 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?
विविध

2023 की इन वेब-सीरिज़ में से आप किसे अवार्ड देना चाहेंगे?

Next Post
रिव्यू-शीरीं फरहाद की तो… नहीं निकली

रिव्यू-शीरीं फरहाद की तो... नहीं निकली

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment