• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-रूढ़ियों की बेड़ियों की बात ‘सांकल’ में

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/12/17
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-रूढ़ियों की बेड़ियों की बात ‘सांकल’ में
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

इंडिपेंडेंट सिनेमा के साथ कई सारी दिक्कतें हैं। उचित बजट के अभाव में फिल्में उस तरह से बन नहीं पातीं कि ज्यादा प्रभावशाली हो सकें। बन जाएं तो इन्हें पर्याप्त प्रचार और कायदे की रिलीज नहीं मिल पातीं। जब दर्शकों को पता ही नहीं चलेगा कि कोई ‘हटके’ किस्म की फिल्म आई है तो वे उसे देखेंगे कैसे। पिछले दिनों आई दैदीप्य जोशी की ‘सांकल’ के साथ भी यही सब हुआ।

‘सांकल’ यानी बेड़ी। राजस्थान के एक मुस्लिम बहुल सरहदी गांव में चली आ रही रूढ़िवादी परंपरा की बात करती है यह फिल्म। गांव के लड़के चाहें जिसे ब्याह लाएं लेकिन लड़कियां बाहर न जाने पाएं। अब बड़ी उम्र के लड़के नहीं बचे तो किसी छोटे बच्चे से उन्हें ब्याह दिया और मजे लूटे उस बच्चे के बाप-चाचा-ताऊ ने। किसी ने दूल्हा-दुल्हन की खुशी, उनके अरमानों, उनके सपनों या उनकी जिंदगी के बारे में सोचा तक नहीं।

दैदीप्य जोशी की कहानी बढ़िया है। अपने ही देश के किसी हिस्से में ऐसा कुछ होता था या होता है, किसे पता। थोड़ी दिक्कत स्क्रिप्ट के साथ रही है जो ज्यादा रोचक नहीं बन पाई है। फिल्म का मजबूत पक्ष इसका संगीत है। गाने इसमें कहानी का हिस्सा बन कर उसे आगे की ओर इस तरह से ले जाते हैं कि वे गाने नहीं बल्कि संवादों का ही विस्तार लगते हैं। राजस्थान की वास्तविक लोकेशंस इसे प्रभावशाली बनाती हैं।

रूढ़ियों की बात करने वाली फिल्में हार्ड-हिटिंग हों तो ज्यादा मारक हो जाती हैं। व्यंग्य से अपनी बात कहें तो ज्यादा पैनी हो जाती हैं। लेकिन अगर ये सीधे-सपाट, सामाजिक तरीके से बात करें तो अपना संदेश तो दे जाती हैं लेकिन वह संदेश भी सीधा और सपाट ही रहता है। इस फिल्म के साथ यही हुआ है। दुनिया के दसियों फिल्म समारोहों में घूम कर आने और ढेरों पुरस्कार बटोरने वाली यह फिल्म ‘फेस्टिवल सिनेमा’ पसंद करने वाले दर्शकों के मतलब की ही बन कर रह गई है। केसर के रोल में चेतन शर्मा और अबीरा बनीं तनीमा भट्टाचार्य ने अपने किरदारों को भरपूर जिया है। जगत सिंह, मिलिंद गुणाजी, हरीश कुमार जैसे कलाकारों का अभिनय भी अच्छा है लेकिन अगर इस फिल्म को बड़े बजट के साथ-साथ थोड़े और संजीदा व सधे हुए कलाकारों का सहारा मिला होता तो यह और ज्यादा असरदार हो सकती थी।

अपनी रेटिंग-तीन स्टार

Release Date-28 November, 2017

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज से घुमक्कड़। सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: chetan sharmadedipya joshiimilind gunajisaankal reviewtanima bhattacharya
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-पंचर कॉमेडी है ‘फुकरे रिटर्न्स’

Next Post

बुक-रिव्यू : ‘यूपी 65’-सतही बनारसी ढब

Related Posts

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’
CineYatra

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’
CineYatra

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…
CineYatra

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’
CineYatra

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दिल्ली की जुदा सूरत दिखाती ‘दिल्ली डार्क’

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-लप्पूझन्ना फिल्म है ‘भूल चूक माफ’

Next Post
बुक-रिव्यू : ‘यूपी 65’-सतही बनारसी ढब

बुक-रिव्यू : 'यूपी 65'-सतही बनारसी ढब

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment