-दीपक दुआ… (Featured in IMDb)
फिल्म पत्रकारिता के अपने लंबे अनुभव के आधार पर कहूं तो अपने देश में हर साल बनने वाली सैंकड़ों फिल्मों से ज़्यादा संख्या में लेखक मौजूद हैं जो मुंबई, चैन्नई, कोलकाता, हैदराबाद जैसी फिल्मी नगरियों से लेकर हमारे आसपास तक पाए जाते हैं। किस्से-कहानियों से भरे इस संसार में हर किसी के पास कोई न कोई कहानी है और हर लेखक यह चाहता है कि एक दिन उसकी लिखी कहानी बड़े या छोटे पर्दे पर आए। लेकिन कागज़ पर उतरी हर कहानी पर्दे पर उतारने लायक नहीं होती। सिनेमा का माध्यम अलग किस्म के लेखन की मांग करता है और उसे सिखाने का काम विपुल के. रावल की यह किताब (फिल्म की कहानी कैसे लिखें) बखूबी करती है।
विपुल हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के काबिल लेखक हैं। श्रेयस तलपड़े वाली फिल्म ‘इकबाल’ उन्होंने ही लिखी थी। उसके बाद भी उन्होंने बहुत कुछ लिखा जिसमें अक्षय कुमार वाली ‘रुस्तम’ भी थी। अभी भी उनकी लिखी कुछ फिल्में फ्लोर पर हैं। कुछ समय पहले उन्होंने एक फिल्म ‘टोनी’ भी निर्देशित की थी जिसे सही कीमत और प्लेटफॉर्म नहीं मिला तो उन्होंने उसे यू-ट्यूब पर डाल दिया था। विपुल फिल्म इंडस्ट्री के अंदर-बाहर फिल्मी लेखन, स्क्रिप्ट राइटिंग आदि की क्लासेज़ भी लेते हैं।
(मुफ्त में देखिए फिल्म ‘टोनी’, पसंद आए तो पैसे दीजिए)
इस किताब में विपुल बहुत ही सरल भाषा और सहज शैली में फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद आदि को लिखने, किरदारों को विकसित करने की जानकारी देते हैं। किताब पढ़ने बैठिए तो किसी उपन्यास की तरह यह अपने संग लिए चलती है। कहानी और पटकथा में अंतर, कहानी के ज़रूरी तत्वों, विषय, रंजिशें, भाव, रिसर्च, रचना, पटकथा के ढांचे, संवाद, ड्राफ्ट आदि से विस्तार से परिचित कराने के बाद विपुल कहानी को कैसे बेचें, लेखक को कितने पैसे मिलते हैं, लेखक के अधिकार क्या हैं, फिल्म लाइन में कैसे आया जाए, कैसे लेखक-संघों की सदस्यता ली जाए आदि पर भी भरपूर रोशनी डालते हैं।
अपने लेखन में विपुल ‘लगान’, ‘सरफरोश’, विकी डोनर’ जैसी फिल्मों की पटकथाओं, किरदारों आदि के उदाहरण देते हुए बहुत ही सरलता से चीज़ें समझा पाने में सफल रहे हैं। फिल्मी लेखन में ज़रा-सी भी रूचि रखने वालों को राजकमल प्रकाशन से छपी यह किताब हर हाल में पढ़ लेनी चाहिए, सहेज कर रख लेनी चाहिए।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)