-दीपक दुआ…
भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के भी महान गणितज्ञों में गिने जाने वाले श्रीनिवास रामानुजन का गणित के क्षेत्र में किया गया कार्य आज उनके जाने के सौ बरस बाद भी दुनिया को अचंभित किए हुए है। मात्र 32 साल के अपने छोटे-से जीवन में बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के गणित के हजारों रहस्यों को सुलझाने वाले और कई नए रहस्यों को देने वाले रामानुजन का जीवन भी अचंभों से भरा रहा।
इस पुस्तक ‘विनम्र विद्रोही’ के लेखकद्वय सही ही लिखते हैं कि विलक्षण रूप से प्रतिभावान होना एक प्रकार की त्रासदी है। रामानुजन के जीवन को गौर से देखें तो वह उपलब्धियों से अधिक त्रासदियों से भरा नजर आता है। रामानुजन ने अपने जीवनकाल में लगभग 3900 गणितीय सूत्रों के परिणामों को स्वतंत्र रूप से स्थापित किया और आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि उनमें कई अभी भी पूरी तरह से हल नहीं हो पाए हैं क्योंकि वे अपनी नोटबुक में केवल सूत्र व उनके अंतिम परिणाम ही लिखा करते थे, उन्हें हल करने की पूरी विधि नहीं। रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के फैलो होने के साथ-साथ वह कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में फैलो बनने वाले पहले भारतीय भी थे। लेकिन उनका जीवन बेहद उथल-पुथल भरा रहा। बेहद गरीबी में बीता उनका बचपन, पत्नी का वियोग, इंग्लैंड में शाकाहारी होने का संकट, बीमारी, इलाज में कोताही जैसे उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर लेखकों, फिल्मकारों ने बहुत कुछ लिखा व दिखाया है लेकिन हिन्दी में इससे पहले रामानुजन के जीवन पर इतने विस्तार और गहराई से बात करती कोई पुस्तक पहले नहीं आई है।
इस पुस्तक में लेखकों ने रामानुजन के जन्म से लेकर उनके विद्यारंभ संस्कार, स्कूली पढ़ाई, नौकरी की चाह, वैवाहिक जीवन, कैंब्रिज में जाने, अपनी तमाम गणितीय उपलब्धियों को अपनी कुलदेवी का आशीर्वाद बताने जैसी इतनी सारी बातों को समेटा है कि उनकी रिसर्च पर हैरानी होती है। बड़ी बात यह भी है कि यह सब कुछ इतनी सरल भाषा और सुगम शैली में है जिसे पढ़ते हुए किसी उपन्यास को पढ़ने जैसा अनुभव होता है।
पुस्तक के एक लेखक डॉ. मेहेर वान देश के अग्रणी युवा वैज्ञानिक व विज्ञान लेखक हैं जिन्हें विज्ञान से जुड़े विषयों पर सरल भाषा में लिखने में महारथ हासिल है। पत्रकार भारती राठौड़ के साथ मिल कर उन्होंने इस पुस्तक के लिए जो सामग्री जुटाई है उसका उल्लेख भी इसमें किया गया है जिससे यह पता चलता है कि इन दोनों ने कितना लंबा समय रामानुजन को समझने और उनके बारे में मिली जानकारियों को एकत्र करने व सहेजने में लगाया होगा। पुस्तक में जहां-तहां दी गई जानकारियों के संदर्भों का उल्लेख इसे विश्वसनीय बनाता है।
गणित के जादूगर रामानुजन के बारे में विस्तृत व सटीक जानकारी देती हिन्द पॉकेट बुक्स से आई यह पुस्तक केवल गणित में रूचि रखने वालों को ही नहीं बल्कि उन तमाम लोगों को भी पढ़नी चाहिए जिन्हें धरती पर जन्मे महान लोगों के बारे में पढ़ने का शौक हो। उपन्यास पढ़ने के शौकीन इसे पढ़ेंगे तो उन्हें भी यह भरपूर आनंद देगी।
(यह पुस्तक-समीक्षा राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पत्र ‘प्रभात खबर’ में 11 फरवरी, 2024 को प्रकाशित हुई है)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)