-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
‘लंतरानी’ यानी लंबी-लंबी हांकना, डींगें मारना या सीधी भाषा में कहें तो-फेंकना। यह फिल्म यही काम करती है। तीन कहानियां हैं इसमें। तीनों का आपस में कोई संबंध नहीं है। ऐसी फिल्मों को आजकल ‘एंथोलॉजी’ कह कर बेचा जा रहा है। आध-पौन घंटे की तीन-चार कहानियों को पैकेज की तरह बेचने का सस्ता जुगाड़ होती हैं ये।
‘हुड़ हुड़ दबंग’, ‘धरना मना है’ और सैनिटाइज़्ड समाचार’ नाम की इन कहानियों में कस्बाई फ्लेवर है। पुलिस, अदालत, समाज, प्रशासन, सिस्टम, मीडिया पर टिप्पणियां हैं। लेकिन इतने भर से बात बनती होती तो इस किस्म की सारी कहानियां, सारी फिल्में हमारे दिलोदिमाग पर छा रही होतीं। अब कहने को इन्हें कौशिक गांगुली, भास्कर हज़ारिका और गुरविंदर सिंह जैसे उन निर्देशकों ने डायरेक्ट किया है जो अपने निर्देशन का लोहा मनवा चुके हैं। लेकिन जब कहानियां लेखन के स्तर पर कमज़ोर, हल्की और छिछली हों तो भला निर्देशक भी क्या कर लेंगे। दुर्गेश सिंह ने इन्हें लिखते समय इनमें थोड़ा और ज़ोर लगाया होता तो ये अधिक असरदार बन सकती थीं। फिलहाल तो आम आदमियों की व्यथा कहती ये कहानियां ठीक से आम आदमियों के भी पल्ले नहीं पड़ेंगी। बुद्धिजीवी कहलाने का कीड़ा कभी-कभी गलत जगह भी काट लेता है।
कलाकारों का कसूर नहीं है। जॉनी लीवर, जिशु सेनगुप्ता, जितेंद्र कुमार, निमिषा सजायन, बोलोराम दास, भगवान तिवारी आदि ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। अब कहानियां ही उन्हें कायदे से खड़ा नहीं कर पाईं। ज़ी-5 के इस लिंक पर मुफ्त में देखी जा सकने वाली इस फिल्म को झेलने के लिए हिम्मत चाहिए होगी।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-09 February, 2024 on ZEE5
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
धन्यवाद
गागर में सागर भरना….
बस इस फ़िल्म को देखने क़े लिए ‘दुआ जी* का रिव्यु पढ़ लिया जाय जोकि गागर में सागर भरने क़े समान है…तो काफी होगा…
उम्दाह…