• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : उड़ने और जुड़ने की बातें ‘एस्पिरेंट्स’ में

Deepak Dua by Deepak Dua
2021/05/14
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
वेब-रिव्यू : उड़ने और जुड़ने की बातें ‘एस्पिरेंट्स’ में
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

ओल्ड राजिंदर नगर-पार्टिशन के बाद विकसित हुई पंजाबी रिफ्यूजियों की इस बस्ती में आपको जज़्बों की, उम्मीदों की, निराशाओं की अनगिनत कहानियां सुनने को मिलेंगी। कुछ कहानियां यहीं शुरू हो के यहीं खत्म हो गईं, पर कुछ कहानियों ने इतिहास रच दिया। क्यों…? असल में दिल्ली की यह कॉलोनी भारत के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी पद-आई.ए.एस. की तैयारी कर रहे उन युवाओं के रहने-पढ़ने के लिए जानी जाती है जिन्हें ‘एस्पिरेंट्स’ कहा जाता है। यू-ट्यूब पर टी.वी.एफ. यानी द वायरल फीवर नामक चैनल ने ऐसे ही कुछ एस्पिरेंट्स की इस कहानी पर पांच एपिसोड की यह वेब-सीरिज़ बनाई है जो यू-ट्यूब पर मुफ्त में देखी जा सकती है।

‘एस्पिरेंट्स’ का ट्रेलर देखने के लिए यहां क्लिक करें

कॉलेज टाइम के तीन गहरे दोस्त-अभिलाष, गुरी और एस.के. कभी राजिंदर नगर की इन्हीं गलियों में रहते, उठते, बैठते, पढ़ते थे। आज अभिलाष आई.ए.एस. है, गुरी बिज़नेसमैन और एस.के. वहीं एक कोचिंग में एस्पिरेंट्स को पढ़ाता है। कहानी हमें बार-बार आज के और बीते वक्त में ले जाती है और इन तीनों के आपसी रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव से परिचित कराती है कि कैसे कभी एक-दूजे से ट्राइपॉड की तरह चिपके रहने वाले ये तीनों आज छह साल बाद मिले हैं और क्यों इनके आपसी रिश्ते अब ठंडे पड़ चुके हैं।

सीरिज़ शुरू होती है तो लगता है कि नीलोत्पल मृणाल के उपन्यास ‘डार्क हॉर्स’ की राह पर निकलेगी। लेकिन यह तुरंत ही पटरी बदलती है और कहीं-कहीं इस उपन्यास की याद दिलाते हुए अपना एक अलग सफर तय करती है। आई.ए.एस. बनने की राह में आने वाली मुश्किलों, युवा मन की उड़ानों, उनके टूटते सपनों की किरचों के साथ-साथ यह उनकी उम्र में बनने वाले रिश्तों और उन रिश्तों की दरारों में भी झांकती है। इस सीरिज़ की पहली खासियत इसकी यही कहानी है जो कहीं से भी हमें पराई नहीं लगती। लगता है कि हम यहीं किसी मकान की खिड़की में बैठे अपने सामने इन घटनाओं को रूबरू देख रहे हैं। अरुणाभ कुमार और श्रेयांस पांडेय के रचे को दीपेश सुमित्रा जगदीश अपनी सधी हुई कलम से लिखते हैं तो वहीं अपूर्व सिंह उनके लिखे को कायदे से फिल्माने का काम भी करते हैं। कहानी को बार-बार आज और छह साल पहले के समय में लाते-ले जाते हुए वह हमें असहज नहीं होने देते। युवा उम्र की रंगीनियों को दिखाते हुए वह इसे कहीं अश्लील नहीं होने देते, यह भी उनकी एक सफलता है।

हालांकि कहानी कहीं-कहीं तर्क छोड़ती है। कहानी में आज और छह साल पहले का वक्त, दोनों ही सर्दियों के दिखाए गए हैं क्योंकि इसकी शूटिंग दिल्ली की सर्दियों में हुई है। बाद में गर्मी दिखाते हुए सिर्फ कलाकारों की पोशाक बदली गई, माहौल नहीं। वरना दिल्ली की गर्मी में गाजर का जूस नहीं मिलता और न ही शूटिंग वाली बस के बाहर के लोग गले में मफलर डालते हैं। दो-एक जगह दृश्य थोड़े ढीले भी पड़ते हैं लेकिन जल्द संभल जाते हैं। और रामपुर के जिलाधिकारी बने अभिलाष की नेम प्लेट पर ‘अभिलाश’ क्या जान-बूझ कर लिखा गया…?

एक्टिंग सभी की बढ़िया है। अभिलाष बने नवीन कस्तूरिया अपने किरदार के जज़्बे, निराशाओं, स्वार्थीपन, अकेलेपन जैसे भावों को कहीं-कहीं हल्की चूक के साथ दिखा पाने में कामयाब रहे हैं। शिवांकित सिंह परिहार, अभिलाष थपलियाल, सन्नी हिंदुजा, नमिता दुबे, कुलजीत सिंह जैसे कलाकार भरपूर जंचते हैं। गीत-संगीत मनमाफिक है और कैमरा कलाकारों की भंगिमाओं संग दिल्ली के माहौल को भी वाजिब तरीके से पकड़ता है। एडिटिंग सटीक है।

‘एस्पिरेंट्स’ सीरिज़ देखने के लिए यहां क्लिक करें

यह कहानी जहां युवा मन की उड़ानों को कायदे से दिखाती है वहीं उनके आपसी जुड़ाव-अलगाव के ज़रिए यह संदेश भी देती है कि सपनों के पीछे भागते हुए अपनों को नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि सपने सच होने के बाद बिना अपनों से जुड़े आदमी की हालत उस सैटेलाइट की तरह हो जाती है जिसे अपनी धुरी तो मिली लेकिन अकेले घूमते रहने का अभिशाप भी।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि सिरीज़ कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-07 April, 2021

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Abhilash ThapliyalApoorv Singh KarkiAspirants reviewNamita DubeyNaveen Kasturiashivankit singh pariharSunny HindujaTVFएस्पिरेंट्स
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-‘राधे’-द मोस्ट अनवांटेड फिल्म

Next Post

सोनाक्षी सिन्हा का वह ‘दबंग’ इंटरव्यू

Related Posts

रिव्यू-‘चोर निकल के भागा’ नहीं, चल कर गया
CineYatra

रिव्यू-‘चोर निकल के भागा’ नहीं, चल कर गया

रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’
CineYatra

रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’

वेब-रिव्यू : फिर ऊंची उड़ान भरते ‘रॉकेट बॉयज़ 2’
CineYatra

वेब-रिव्यू : फिर ऊंची उड़ान भरते ‘रॉकेट बॉयज़ 2’

वेब-रिव्यू : किस का पाप है ‘पॉप कौन’…?
CineYatra

वेब-रिव्यू : किस का पाप है ‘पॉप कौन’…?

रिव्यू-दमदार नहीं है ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ का केस
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-दमदार नहीं है ‘मिसेज़ चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ का केस

रिव्यू-रंगीन चश्मा लगा कर देखिए ‘तू झूठी मैं मक्कार’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-रंगीन चश्मा लगा कर देखिए ‘तू झूठी मैं मक्कार’

Next Post

सोनाक्षी सिन्हा का वह ‘दबंग’ इंटरव्यू

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – [email protected]

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.