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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-सुकून से देखो ‘घर पे बताओ’

Deepak Dua by Deepak Dua
2021/04/04
in फिल्म/वेब रिव्यू
2
रिव्यू-सुकून से देखो ‘घर पे बताओ’
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

ओ.टी.टी. ने सचमुच सिनेमा का बहुत भला किया है। खासतौर से उन कहानीकारो, फिल्मकारों का जिनके रचे को सिनेमाई गणित के जोड़-तोड़ में थिएटरों में जगह नहीं मिल पाती थी। उन दर्शकों का भी जो कुछ अलग-सा देखना चाहते थे लेकिन ‘कहां और कैसे देखें’ की ऊहापोह में उलझ कर रह जाते थे। यह फिल्म ऐसी ही है जिसे बनाने वालों और देखने वालों को ओ.टी.टी. का शुक्रगुजार हो लेना चाहिए।

लड़का-लड़की माथेरान के जंगलों में सुबह की सैर पर निकले हैं और बातें कर रहे हैं। इनकी बातों से हमें पता चलता है कि मुंबई से ये दोनों महाराष्ट्र के इस हिल-स्टेशन पर हर वीकएंड में आते हैं। साथ में सुकून तलाशने। सैक्स करने। दोनों पांच साल से रिलेशन में हैं। लड़की लड़के पर दबाव डाल रही है कि अब उन्हें शादी कर लेनी चाहिए और इसके लिए लड़के को पहले अपने और फिर लड़की के मां-बाप से बात करनी चाहिए। मगर लड़के को ‘सही वक्त’ का इंतज़ार है। लड़की की नज़र में लड़का ‘फट्टू’ है। कुछ देर बाद वह लड़के को ‘कुछ’ बताती है तो लड़का फौरन अपने घरवालों से बात करने को राज़ी हो जाता है। तभी एक फोन आता है, और…!

यह फिल्म इस मायने में अनोखी है कि इसमें कुछ ‘घटते हुए’ नहीं दिखाया गया। हमें जो कुछ भी पता चलता है, लड़के-लड़की की बातों से ही पता चलता है। ये दोनों अतीत की बातें करते हैं, आज की और आने वाले कल की भी। ये बातें बिल्कुल भी ‘फिल्मी’ नहीं हैं लेकिन बोर भी नहीं करतीं। नेशू सलूजा ने इस फिल्म को लिखा बहुत सलीके से है। लड़के-लड़की के संवादों की सहजता अनूठी है। साथ ही उन्होंने इसे कायदे से बनाया भी है। लड़के-लड़की के आपसी रिश्ते को, उस रिश्ते की करीबी को, गर्माहट को, खुलेपन को वह बहुत ही बारीकी से दिखा पाते हैं। नेशू शॉर्ट-फिल्में बनाते रहे हैं। इस फिल्म के क्राफ्ट में भी वही सादगी, वही सुकून है जो अक्सर शॉर्ट-फिल्मों में होता है। चाहें तो इसे 70 मिनट की शॉर्ट-फिल्म भी कह सकते हैं।

फिल्म में लड़के और लड़की को कोई नाम नहीं बताया गया है। इन किरदारों में सौरभ गोयल व प्रियंका सोनावाने ने ज़बर्दस्त काम किया है। ये दोनों कहीं से भी एक्टिंग करते हुए नहीं लगते। इन दोनों के बीच की सहजता से ज़ाहिर है कि अपने किरदारों को पकड़ने के लिए इन्होंने खुद को काफी तपाया होगा। बड़े फिल्मी सितारे चाहें तो इनसे सीख सकते हैं। फिल्म की एक खासियत इसका यथार्थ चित्रण भी है। जंगल में सुबह की सैर के बस एक लंबे शॉट में ही यह पूरी खत्म हो जाती है। बिना किसी बैकग्राउंड म्यूज़िक के चिड़ियों की चहचहाहट और पत्तों की सरसराहट से साउंड रिकॉर्डिस्ट अर्जुन श्रेष्ठ ने इसमें सुरीलापन भरा है तो डी.ओ.पी. करणदीप छाबड़ा ने अपने कैमरे का बेहद संतुलित इस्तेमाल करते हुए जंगल के मौन और किरदारों की वाचलता को उकेरा है। फिल्म में एक गीत है नेशू का ही लिखा हुआ। नीलोत्पल बोरा ने संगीत देने के साथ उसे गाया भी है। उम्दा गाना है। एडिटिंग चुस्त है।

एम.एक्स प्लेयर ऐप पर मुफ्त में देखी जा सकने वाली यह फिल्म आज की तेज़ रफ्तार पीढ़ी के आपसी रिश्तों के प्रति उदासीन रवैये को दिखाती है। बताती है कि उनके लिए आने वाले कल की फिक्र से ज़्यादा ज़रूरी आज की बेपरवाहियां हैं। कुछ नाटकीय देखने के शौकीनों को यह फिल्म निराश कर सकती है। लड़के के ‘फट्टू’ से साहसी बनने के बाद लड़की का रिएक्शन सही नहीं लगता। फिल्म का अचानक से आया अंत भी अखरता है। निर्देशक को यहां कुछ एक्सप्लेन करना चाहिए था। बावजूद इसके यह फिल्म देखी जानी चाहिए-सुकून के लिए, सुकून से।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-28 March, 2021

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Arjun ShresthGhar Pe Bataao reviewKarandeep Chhabramx playerNeshu SalujaNilotpal BoraPriyanka Sonawane HedauSaurabh Goyalघर पे बताओ’
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Comments 2

  1. Shatrughan singh says:
    4 years ago

    प्यार की नई परिभाधा ,,,मोहब्बत पर एक अनोखी पहल

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      सहमत…👌 धन्यवाद

      Reply

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