-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
आखिर क्यों देखी जाए ‘तेरा सुरूर’…?
क्योंकि इस फिल्म में एक रोमांटिक कहानी है। इस रोमांटिक कहानी में थ्रिलर का तड़का है। इस थ्रिलर के तड़के में सस्पैंस का झटका है। इसके निर्माता हिमेश रेशमिया हैं जो इसके संगीतकार, गायक और हीरो भी हैं। बतौर हीरो हिमेश की सिक्स पैक एब वाली बॉडी है। हीरोइन ऐसी है जो कैटरीना कैफ की झलक देती है। इन सबके अलावा इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, शरनाज़ पटेल, कबीर बेदी, शेखर कपूर जैसे एक्टर भी हैं।
लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद आप खुद से यह सवाल ज़रूर पूछेंगे कि आखिर आपने क्यों देखी ‘तेरा सुरूर’…?
क्योंकि इसमें एक ऐसा हीरो है जिसके चेहरे पर न तो कोई भाव आता है न जाता है। वैसे यह भी कम बड़ी बात नहीं है कि चाहे कैसा भी सीन हो, इस बंदे ने अपने चेहरे को सपाट रखा है। कहने को यह एक रोमांटिक फिल्म है लेकिन इसमें रोमांस की न तो महक है और न ही स्वाद। थ्रिलर और सस्पैंस भी हैं इसमें लेकिन कहानी में जिस तरह से इनका इस्तेमाल किया गया है, इनकी जात पर से भरोसा उठने लगता है। कैटरीना कैफ की झलक वाली हीरोइन को जो काम दिया गया है उसे देख कर लगता है कि किसी प्लास्टिक की गुड़िया को ही ले लेते, पैसे तो बचते। नामी कलाकार भी हैं लेकिन वे बेचारे भी किसे सहारा दें जब असली पिल्लर ही कमज़ोर हों। और हां, इस फिल्म में म्यूजिक की ज़रूरत कहां है, इस सवाल का जवाब कोई दे सके तो ज़रूर दे।
अगर अपने कमाए पैसे और वक्त की आपको कद्र नहीं है तो इस फिल्म को देख लीजिए, बनाने वालों के कुछ पैसे तो रिकवर हों। हां, हिमेश रेशमिया के प्रति मन में अभी भी दीवानगी बची हो तो इस फिल्म को ज़रूर देखें।
वैसे कभी नसीरुद्दीन शाह मिले तो ज़रूर पूछूंगा उनसे कि हिमेश जैसे ‘अभिनेता’ के सामने बैठ कर एक्टिंग करते समय उनके मन में क्या चल रहा था।
अपनी रेटिंग-एक स्टार
(नोट-इस फिल्म की रिलीज़ के समय मेरा यह रिव्यू किसी अन्य पोर्टल पर छपा था)
Release Date-11 March, 2016
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)