-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
किस्म-किस्म के बाबाओं से भरे और उनके पीछे आंख मूंद कर चलने वाले बेशुमार भक्तों से अटे पड़े अपने देश में ‘ग्लोबल बाबा’ जैसी फिल्म का आना दुस्साहस है। ‘हमारे वाले बाबा सबसे शु़द्ध, सब से अलग’ मानने वाले कितने ही लोगों ने देर-सवेर अपने उन ‘गुरुओ’ की पोल खुलते देखी है। ऐसे में बाबा लोगों की दुकानदारी का सच दिखाने की इस सिनेमाई कोशिश को देखना और सराहना ज़रूरी हो जाता है।
पुलिस से बच कर भागा एक अपराधी चोला बदल कर ‘ग्लोबल बाबा’ बन जाता है। जल्द ही उसकी तूती बोलने लगती है और नेता, मंत्री, सरकार, मीडिया, सब उसके आगे झुकने लगते हैं। अपने नाम को चमकाने के लिए ऐसे बाबाओं द्वारा किस-किस तरह के प्रपंच रचे जाते हैं, कैसे उनके विरोधी भी उनके मुरीद हो जाते हैं और कैसे ये लोग नेताओं को अपनी जेब में कर लेते हैं, इस तरह की जो ढेरों बातें इस फिल्म में हैं, वे कहीं-कहीं लाउड और कभी-कभी फिल्मी भले ही लगती हों लेकिन उनमें एक तल्ख सच्चाई है और आज के दौर में यह प्रासंगिक भी लगती है।
फिल्म की कहानी तमाम सच्ची घटनाओं को समेटे हुए है। पटकथा में कहीं-कहीं कच्चापन और निर्देशन में कुछ जगह अल्हड़ता झलकने के बावजूद यह फिल्म आपको उठने नहीं देती है और यही इसकी सबसे बड़ी सफलता है। शीर्षक भूमिका में अभिमन्यु सिंह के किरदार में वैरायटी न होने के बावजूद उन्होंने इसे अच्छे से कैरी किया है। पुलिस अफसर बने रवि किशन अपनी संवाद अदायगी के अलावा अपनी बॉडी लैंग्युएज से भी प्रभावित करते हैं। अखिलेंद्र मिश्रा, संदीपा धर, संजय मिश्रा, सीमा आज़मी आदि का काम भी अच्छा है। हां, इनके किरदारों को और विस्तार व गहराई मिलती तो ये और निखर पाते। फिल्म का सबसे शानदार किरदार है डमरू बाबा का जिसे पंकज त्रिपाठी ने निभाया भी बड़े कायदे से है। तोतलेपन और भाव-भंगिमाओं से उन्होंने इस किरदार को जानदार भी बनाया है और यादगार भी। छोटे बजट और बिना चमकते चेहरों वाली यह फिल्म ठंडे बस्ते में चली जाए, उससे पहले इसे देख लेना चाहिए।
अपनी रेटिंग-ढाई स्टार
(नोट-इस फिल्म की रिलीज़ के समय मेरा यह रिव्यू किसी अन्य पोर्टल पर छपा था)
Release Date-11 March, 2016
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)