-दीपक दुआ…
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ‘सुई धागा’ के तमाम कलाकारों की तारीफें हो रही हैं। उन कलाकारों की भी जिनके नाम तक से लोग अनजान हैं। इस फिल्म में मौजी यानी वरुण धवन की अम्मा बनीं अदाकारा को देख कर लगता है कि यू.पी. के किसी कस्बे के किसी आम परिवार की अम्मा ऐसी ही तो होती हैं। इस फिल्म का रिव्यू करते समय इस अदाकारा के बारे में पड़ताल की तो पता चला कि उनका नाम यामिनी दास है और… और बस। लेकिन रिव्यू पोस्ट किया तो यामिनी दास से जुड़ना हो गया। उनसे जुड़े तो ढेरों बातें हुईं। पहले तो उन्होंने मेरे रिव्यू (‘सुई धागा’ में सब बढ़िया है) की तारीफ की और जब उन्हें पता चला कि मैं ‘फिल्मी कलियां’ जैसी फिल्म-पत्रिका से बरसों तक जुड़ा रहा हूं तो वह बहुत खुश हुई।
उसके बाद मुझे यामिनी जी के बारे में जो पता चला उसे जान कर मुझे तो हैरानी हुई ही, आपको भी होगी कि यामिनी मशहूर ग़ज़ल-गायक चंदन दास की पत्नी हैं, कि वो अभिनेता नमित दास (जो ‘सुई धागा’ में गुड्डू बने हैं) की मां हैं और सबसे बड़ी बात यह कि ‘सुई धागा’ यामिनी की पहली फिल्म है।
इस उम्र में पहली फिल्म…? बात हैरानी की थी और यही हैरानी जब मैंने यामिनी के सामने प्रकट की तो उन्होंने बताया, ‘मैं बचपन से फिल्मों की दीवानी रही हूं। बचपन में मैंने खूब ‘फिल्मी कलियां’ पढ़ी है। नाटक बहुत देखती हूं। नमित के तो सारे नाटक देखती हूं और नमित के दोस्त वगैरह मुझसे अक्सर यह बोलते रहते हैं कि चलो आंटी यह कर लेते हैं, वो कर लेते हैं। कभी उनके साथ एक प्रैंक-शो कर लिया, कभी कुछ और कर लिया। तो बस, इसी तरह से इस फिल्म के लिए किसी के कहने पर ऑडिशन दे दिया और वहां से मुझे चुन लिया गया।’
पहली फिल्म, वरुण धवन और अनुष्का शर्मा जैसे बड़े स्टार और उस पर रघुवीर यादव जैसे मंजे हुए अभिनेता की पत्नी का किरदार। कोई हिचक-झिझक नहीं हुई काम करते हुए? पूछा तो यामिनी बोलीं, ‘नहीं दीपक, स्टार्स से या बड़े कलाकारों से पर्सनल लेवल पर तो मुझे कोई झिझक नहीं हुई क्योंकि मेरे पति और मेरा बेटा इसी ग्लैमर वर्ल्ड में हैं। बरसों से फिल्मों और संगीत के बड़े-बड़े दिग्गज लोगों के साथ मेरा उठना-बैठना रहा है। तो मुझे पता है कि लोगों की नज़र में कोई चाहे कितना बड़ा स्टार हो, आखिरकार तो वो अपना काम ही कर रहा है। हां, जब मुझे यह पता चला कि रघुवीर जी मेरे अपोज़िट होंगे तो ज़रा-सा धचका लगा था क्योंकि उन्हें इतने सालों से देखते आ रहे हैं। मेरे लिए तो सबसे बड़ी परेशानी की बात यह थी कि चंदेरी में इसकी शूटिंग के दौरान ज़िंदगी में पहली बार मैं अकेली होटल के कमरे में रही थी। वरना सच बात तो यह है कि मैं कभी अपने घर में भी अकेली नहीं रही। लेकिन सैट पर जो माहौल था न, वो बहुत प्यारा था। सब लोग इस चीज़ को ध्यान में रख कर मेरे साथ काम कर रहे थे कि यह मेरी पहली फिल्म है। तो मुझे सब लोगों ने इतना ज़्यादा सपोर्ट किया कि मैं बहुत जल्दी एक कम्फर्ट लेवल पर आ गई। फिर मैंने देखा है कि नमित या चंदन जी जब स्टेज पर होते हैं तो किसी दूसरी तरफ ध्यान नहीं देते। यानी मेरी ट्रेनिंग तो उनके साथ पहले ही हो गई थी इसलिए ज़्यादा देर तक मुझे परेशानी नहीं हुई।’
क्या और भी फिल्में करेंगी? ‘हां, क्यों नहीं। कुछ एक ऑफर्स आए हैं। बातें चल रही हैं। देखते हैं कि क्या कुछ हो पाता है’, वह बताती हैं।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)