-दीपक दुआ…
देश के चुनिंदा फिल्म समीक्षकों की संस्था ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ हर साल की तरह इस बार भी ‘क्रिटिक्स चॉइस अवार्ड’ देने जा रही है। इस बार होने जा रहे अवार्ड्स के लिए साल 2023 में सिनेमाघरों और विभिन्न ओ.टी.टी. मंचों पर रिलीज़ हुईं तमाम भारतीय भाषाओं की फिल्मों को क्रिटिक्स की कई टीमों ने देखा और कई राउंड्स के बाद उनमें से चुनिंदा फिल्मों व उनसे जुड़े लोगों को फाइनल में जगह मिली। इन फिल्मों को फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड के तमाम सदस्य अपनी-अपनी रैंकिंग दे रहे हैं जिनमें से सर्वश्रेष्ठ फिल्मों व उनसे जुड़े लोगों को 12 मार्च को मुंबई में होने वाले एक समारोह में पुरस्कृत किया जाएगा। मुमकिन है आप लोगों ने इनमें से कुछ फिल्में देखी हों, तो ज़रा बताएं कि आपकी नज़र में इनमें से किसे कौन-सा अवार्ड मिलना चाहिए-
बैस्ट फिल्म-
इस अवार्ड के लिए 10 फिल्मों में कड़ा मुकाबला है। ये हैं-हिन्दी की ‘12 फेल’, ‘जोरम’, ‘थ्री ऑफ अस’, ‘फायर इन द माउन्टेन्स’, मैथिली भाषा में बनी सिर्फ 50 मिनट की फिल्म ‘धुईं’, मलयालम की ‘काथल-द कोर’, तमिल में बनी सवा घंटे की फिल्म ‘कूझंगल’, मलयालम-तमिल में बनी ‘नानपकल नेराथु मायक्कम’, बांग्ला की ‘शेष पाता’ और असमिया भाषा में आई ‘तराज़ हस्बैंड’। इनमें से किसी एक को बैस्ट फिल्म का पुरस्कार मिलेगा।
बैस्ट डायरेक्टर-
इस खिताब के लिए नामित हुए पांच लोगों में हिन्दी की ‘12 फेल’ के डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा, ‘जोरम’ के देवाशीष मखीजा, ‘थ्री ऑफ अस’ के अविनाश अरुण धावड़े, तमिल की ‘कूझंगल’ के पी.एस. विनोदराज और असमिया की ‘तराज़ हस्बैंड’ की डायरेक्टर रीमा दास के बीच टक्कर हो रही है।
बैस्ट एक्टर-
इस वर्ग में जिन पांच अभिनेताओं को नामांकित किया गया है वे हैं-हिन्दी की ‘12 फेल’ के विक्रांत मैसी, ‘जोरम’ के मनोज वाजपेयी, मैथिली की ‘धुईं’ के अभिनव झा, मलयालम की ‘काथल-द कोर’ के लिए मम्मूटि और बांग्ला की ‘शेष पाता’ के अभिनेता प्रसन्नजित चटर्जी।
बैस्ट एक्ट्रैस-
इस अवार्ड के लिए हिन्दी की ‘फायर इन द माउन्टेन्स’ की अदाकारा विन्रमता राय, ‘थ्री ऑफ अस’ की शेफाली शाह, ‘ज्विगेटो’ की शाहाना गोस्वामी, मलयालम की ‘काथल-द कोर’ की ज्योतिका और अंग्रेज़ी की ‘गोल्डफिश’ की कल्कि केकलां के बीच भिड़ंत हो रही है।
बैस्ट सपोर्टिंग एक्टर-
इस पुरस्कार के लिए जिन पांच अभिनेताओं को फाइनल में जगह मिली है वे हैं-‘अर्धांगिनी’ (बांग्ला) के लिए अंबरीश भट्टाचार्य, ‘भीड़’ (हिन्दी) के लिए पंकज कपूर, ‘फराज़’ (हिन्दी) के लिए आदित्य रावल, ‘जाने जां’ (हिन्दी) के लिए जयदीप अहलावत और ‘काथल-द कोर’ (मलयालम) के लिए सुधी कोझिकोड़।
बैस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रैस-
बांग्ला की ‘अर्धांगिनी’ की अभिनेत्री जया अहसान, ‘शेष पाता’ की गार्गी रॉय चौधरी, अंग्रेज़ी की ‘गोल्डफिश’ की दीप्ति नवल, हिन्दी की ‘जोरम’ की स्मिता तांबे और कन्नड़ की ‘पिंकी एल्ली’ की गुंजलम्मा के बीच इस अवार्ड को पाने के लिए मुकाबला होगा।
बैस्ट राइटिंग-
जिन पांच फिल्मों के लेखक इस अवार्ड के लिए आपस में टकरा रहे हैं, वे हैं- हिन्दी की ‘12 फेल’ के विधु विनोद चोपड़ा, जसकुंवर कोहली, अनुराग पाठक, आयुष सक्सेना व विकास दिव्यकीर्ति, ‘जोरम’ के लिए देवाशीष मखीजा, मैथिली की ‘धुईं’ के अभिनव झा, अचल मिश्रा, अनुभव प्रिय, व प्रशांत राणा, तमिल की ‘कूझंगल’ के पी. एस. विनोदराज और असमिया की ‘तराज़ हस्बैंड’ के लिए रीमा दास।
बैस्ट सिनेमैटोग्राफी-
जिन पांच फिल्मों के कैमरावर्क को सबसे ज़्यादा सराहा गया और उनके डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी को इस वर्ग में नामांकन मिला, वे हैं- हिन्दी की ‘जोरम’ के पीयूष पुटी, ‘थ्री ऑफ अस’ के अविनाश अरुण धावड़े, मैथिली की ‘धुईं’ के आनंद बंसल, तमिल की ‘कूझंगल’ के विघ्नेश कुमुलई व चे पार्थी और मलयालम-तमिल की ‘नानपकल नेराथु मायक्कम’ के थेणी ईश्वर।
बैस्ट एडिटिंग-
जिन पांच फिल्मों को बेहद कसी हुई मान कर इस वर्ग में नामित किया गया उनके संपादकों के नाम हैं- अचल मिश्रा-‘धुईं’ (मैथिली), अभ्रो बैनर्जी-‘जोरम’ (हिन्दी), गणेश शिवा-‘कूझंगल’ (तमिल), संयुक्ता काज़ा-‘थ्री ऑफ अस’ (हिन्दी) और रीमा दास-‘तराज़ हस्बैंड’ (असमिया)।
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)