• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-यथार्थ के सफर पर ले जाती ‘मट्टो की साइकिल’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/09/16
in फिल्म/वेब रिव्यू
5
रिव्यू-यथार्थ के सफर पर ले जाती ‘मट्टो की साइकिल’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

मथुरा से लगा हुआ गांव भरतिया। वहीं रहता है मट्टो, अपने परिवार के साथ। टूटा-फूटा मकान, एक बीवी, दो बेटियां और एक खटारा साइकिल। यह साइकिल ही मट्टो की ज़िंदगी को चलाती है। रोज़ इसी को घसीटते हुए वह मथुरा जाकर मज़दूरी करता है, रोज़ाना के तीन सौ रुपए कमाता है और किसी तरह से अपना घर चलाता है। लेकिन अक्सर उसकी साइकिल की चेन उतर जाती है और एक दिन तो एक ट्रैक्टर साइकिल को कुचल कर ही चला जाता है। क्या करेगा मट्टो? खरीद पाएगा नई साइकिल? चला पाएगा अपनी ज़िंदगी ठीक से? या फिर ज़िंदा रहेगा पल-पल टूटती उन उम्मीदों के सहारे जो न जाने कब पूरी हों, हों भी या नहीं।

कहने को यह फिल्म मट्टो की साइकिल और उसकी ज़िंदगी, दोनों के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दिखाती है लेकिन गौर करें तो यह असल में हर उस आम इंसान की कहानी दिखाती है जो तेजी से दौड़ रहे देश में अपने हिस्से के विकास का इंतज़ार कर रहा है। फिल्म बहुत ही बारीकी से समाज के दो प्रमुख वर्गों-अमीर और गरीब के बीच के फर्क को दिखाती है और आपको सोचने पर भी मजबूर करती है। एक ऐसा समाज जहां अमीर और अधिक अमीर हो रहा है, ताकतवर और अधिक ताकत पा रहा है लेकिन मट्टो जैसे लोग सिर्फ आस बांधे बैठे हैं कि उनके दिन भी फिरेंगे। जिन अमीर और ताकतवर लोगों पर इनका भरोसा है, वक्त आने पर वे भी इनसे मुंह मोड़ लेते हैं। जहां शोषण इनकी नियति है और मन मार कर जीना इनकी मजबूरी।

यह फिल्म बहुत ही सलीके से रची गई है। कहानी से लेकर पटकथा, संवाद, दृश्य संयोजन, लोकेशन, कैमरा, ध्वनि, प्रकाश, संपादन, पार्श्व-संगीत जैसे तमाम पक्षों में इस कदर गहरापन है कि यह कहीं से भी ‘फिल्म’ नहीं लगती। लगता है कि आप किसी खिड़की के इस तरफ बैठे हैं जिसके परली तरफ भरतिया गांव और मट्टो की ज़िंदगी चल रही है। मट्टो और उसके परिवार की मजबूरियां व गरीबी देख कर जब आप उस पर तरस खाते हैं और शुक्र मनाते हैं कि आप खिड़की के उस तरफ नहीं बल्कि इसी तरफ हैं, तो यहां यह फिल्म सार्थक हो उठती है। सिनेमा किस तरह से यर्थाथ का रूप ले लेता है, यह फिल्म उसका बेहद सशक्त उदाहरण पेश करती है। इसे देखते हुए कभी आपको सत्यजित रे याद आते हैं तो कभी विटोरिया दे सीका। निर्देशक एम. गनी अपनी इस पहली ही फिल्म से भरपूर ऊंचाई छू लेते हैं।

फिल्म के अधिकांश संवाद मथुरा क्षेत्र में बोली जाने वाली ब्रज भाषा में हैं जो इसकी वास्तविकता को गाढ़ा करते हैं। लेकिन इस फिल्म के तमाम सशक्त पक्षों से भी ऊपर है इसका अभिनय पक्ष। प्रकाश झा ने बतौर अभिनेता इससे पहले भी ‘जय गंगाजल’ और ‘सांड की आंख’ में असर छोड़ा था लेकिन इस फिल्म में तो वह बलराज साहनी की याद दिला जाते हैं। उन्हें देख कर कहीं से भी यह नहीं लगता कि वह एक ऐसे बिहारी हैं जो बरसों से मुंबई में रह रहे हैं। यकीन होता है कि मथुरा के किसी गांव का गरीब मज़दूर मट्टो यदि होगा तो ऐसा ही होगा। सच तो यह है कि इस फिल्म को देखते हुए इसमें एक भी कलाकार नज़र नहीं आता, सारे के सारे किरदार दिखाई देते हैं। फिर चाहे पूरी फिल्म में दिखने वाले डिंपी मिश्रा, अनीता चौधरी, आरोही शर्मा, इधिका रॉय हों, दो-तीन बार दिखे बचन पचहरा या फिर पल भर को आए राहुल गुप्ता, हर कोई ‘एक्टिंग’ करने की बजाय अपने पात्र को जीता दिखाई देता है।

मसालों से लिपटे सिनेमा के लती हो चुके दर्शकों के लिए इस फिल्म में कुछ नहीं है। लेकिन थिएटर के स्याह माहौल में रोशनी बिखेरते पर्दे पर कुछ स्याह, कुछ सच, कुछ कड़वा, कुछ गहरा देखने और सिनेमा व समाज के एकसार होने का साक्षी बनने की इच्छा रखने वालों को यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: anita choudharyarohi sharmabachan pachehradimpy mishraIdhika royM. Ganimatto ki saikilmatto ki saikil reviewmatto's bicyclematto's bicycle reviewprakash jharahul gupta
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-भव्यता का चश्मा लगा कर देखिए ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट वन-शिवा’

Next Post

रिव्यू-‘धोखा’ में है सच और झूठ की पकड़म-पकड़ाई

Related Posts

रिव्यू-मसालेदार मज़ा देता है ‘पठान’
CineYatra

रिव्यू-मसालेदार मज़ा देता है ‘पठान’

रिव्यू-क्रांति और भ्रांति के बीच फंसी ‘छतरीवाली’
CineYatra

रिव्यू-क्रांति और भ्रांति के बीच फंसी ‘छतरीवाली’

रिव्यू-बिना वर्दी वाले जवानों का ‘मिशन मजनू’
CineYatra

रिव्यू-बिना वर्दी वाले जवानों का ‘मिशन मजनू’

वेब-रिव्यू : उस मनहूस दिन के बाद का संघर्ष दिखाती ‘ट्रायल बाय फायर’
CineYatra

वेब-रिव्यू : उस मनहूस दिन के बाद का संघर्ष दिखाती ‘ट्रायल बाय फायर’

रिव्यू-इस हमाम में सब ‘कुत्ते’ हैं
CineYatra

रिव्यू-इस हमाम में सब ‘कुत्ते’ हैं

वेब-रिव्यू : सड़ांध मारती ‘ताज़ा खबर’
फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : सड़ांध मारती ‘ताज़ा खबर’

Next Post
रिव्यू-‘धोखा’ में है सच और झूठ की पकड़म-पकड़ाई

रिव्यू-‘धोखा’ में है सच और झूठ की पकड़म-पकड़ाई

Comments 5

  1. Dr. Renu Goel says:
    4 months ago

    Apka view ekdam alg hota hai
    NYC review

    Reply
    • CineYatra says:
      4 months ago

      धन्यवाद

      Reply
  2. Rishabh Sharma says:
    4 months ago

    यथार्थवादी फिल्मों का एक अपना अलग दर्शक वर्ग है और कुछ गिने चुने निर्देशक हैं जिस से आज का सिनेमा पूरी तरह बदल दिया गया है ऐसे मसाला फिल्मों के दौर में “मट्टो की साइकिल” दिल को सुकून देती है, क्यूंकि सभी कुछ स्वाभाविक होता है ! आपके सहज सुंदर रिव्यू से फिल्म को दर्शक जरूर मिल जाएंगे और ” मट्टो की साइकिल को तेज रफ्तार thanks for Sharing Deepak dua sir

    Reply
    • CineYatra says:
      4 months ago

      धन्यवाद…

      Reply
  3. Dilip Kumar says:
    4 months ago

    देखेंगे ये साइकिल

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – [email protected]

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.