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बहुत हुई पहलवानी, अब ‘दंगल’ होगा

Deepak Dua by Deepak Dua
2016/12/04
in विविध
0
बहुत हुई पहलवानी, अब ‘दंगल’ होगा
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–दीपक दुआ…

साल 2016 खत्म होने में अब बस चंद ही दिन बचे हैं। इस पूरे साल में ढेरों फिल्में आईं जिनमें से कइयों ने कामयाबी पाई। पर क्या साल की नंबर वन फिल्म अभी आनी बाकी है? और क्या यह तमगा आमिर खान की ‘दंगल’ के सीने पर लगेगा? एक आकलन–

क्रिसमस पर रिलीज होने जा रही आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ के ट्रेलर में जब आमिर की पहलवान बेटी कहती है-बहुत हो गई पहलवानी अब दंगल होगा, तो लगता है जैसे यह चुनौती फिल्म के भीतर नहीं बल्कि इस साल में अब तक रिलीज हुई फिल्मों को दी जा रही हो कि भले ही साल भर में बहुतेरी फिल्मों ने बॉक्स-ऑफिस पर अपनी पहलवानी का जोर दिखाया हो लेकिन असली दंगल तो अभी होना बाकी है। यकीन मानिए, ‘दंगल’ को लेकर जो हवा गर्म है उसे परखें तो यह इस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म साबित हो सकती है।

हर साल अपने यहां करीब ढाई सौ हिन्दी फिल्में रिलीज होती हैं जिनमें सुपरहिट का सेहरा बमुश्किल दस-बारह फिल्मों के सिर ही बंधता है। साल के चंद हॉट मौकों मसलन-26 जनवरी, ईद, दिवाली, 15 अगस्त और क्रिसमस वगैरह के अलावा गर्मियों की छुट्टियों आदि में आने वाली फिल्में औरों से ज्यादा कमा जाती हैं और इसी वजह से बड़ी फिल्मों के निर्माता अपनी फिल्मों को इन मौकों पर लाने की ताक में लंबे समय से रहने लगते हैं। इस साल भी ऐसा ही हुआ। लेकिन इस साल की फिल्मों की कलैक्शन के ट्रैंड पर गौर करें तो निराशा ज्यादा हाथ लगती है।

पहले जरा पीछे मुड़ कर देखते हैं। 2015 की बात करें तो करीब 320 करोड़ की कलैक्शन के साथ ‘बजरंगी भाईजान’ सबसे आगे दिखती है और ‘प्रेम रतन धन पायो’ (207 करोड़), ‘बाजीराव मस्तानी’ (184 करोड़), ‘तनु वैड्स मनु रिटर्न्स’ (152 करोड़) और ‘दिलवाले’ (148 करोड़) इसके पीछे कतार बांधे खड़ी हैं। इसी तरह से 2014 में ‘पीके’ करीब 340 करोड़ के साथ टॉप पर है और ‘किक’ (233 करोड़), ‘हैप्पी न्यू ईयर’ (205 करोड़), ‘बैंग बैंग’ (181करोड़), ‘सिंहम रिट्न्र्स’ (141 करोड़) इससे नीचे। 2013 की टॉप 5 फिल्मों में ‘धूम 3’ (280 करोड़), ‘कृष 3’ (241 करोड़), ‘चैन्नई एक्सप्रैस’ (227 करोड़), ‘यह जवानी है दीवानी’ (190 करोड़) और ‘गोलियों की रासलीला-रामलीला’ (110 करोड़) के नाम आते हैं। लेकिन 2016 का परिदृश्य निराश करता है। कैसे? आइए बताते हैं।

यह सही है कि 2016 में अब तक नंबर वन के सिंहासन पर बैठी फिल्म ‘सुलतान’ करीब 300 करोड़ का कलैक्शन कर चुकी है लेकिन इसके बाद जो फिल्म ‘एम.एस. धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ नंबर दो पर है उसका कलैक्शन लगभग 133 करोड़ है। पिछले कई सालों के आंकड़े बताते हैं कि नंबर वन और नंबर दो की फिल्मों के बीच इतना ज्यादा फासला कभी नहीं रहा। यानी अगर ‘सुलतान’ को सुपरहिट मानें तो इसके बाद की सारी फिल्मों को सिर्फ हिट के खिताब तक ही सीमित रखना होगा। यही तस्वीर निराश करती है क्योंकि इस साल में ‘ऐ दिल है मुश्किल’, ‘शिवाय’, ‘हाऊसफुल 3’, ‘मोहेंजोदाड़ो’, ‘फैन’, ‘मिज्र्या’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘फितूर’, ‘अजहर’ आदि से जो उम्मीदें लगाई गई थीं वे उन पर खरी नहीं उतरीं। बल्कि इस साल की अभी तक की टॉप 10 फिल्मों में 5 फिल्में-‘एम.एस. धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’, ‘एयरलिफ्ट’, ‘रुस्तम’, ‘बागी’, ‘नीरजा’ तो ऐसी ‘स्लीपर-हिट’ हैं जिनसे ज्यादा बड़ी उम्मीदें लगाई ही नहीं गई थीं। हालांकि अच्छे सिनेमा की तरक्की के लिए यह एक उम्दा लक्षण है लेकिन सिनेमा को ताकत पैसे से मिलती है और बड़ी फिल्मों का पिटना इसे कमजोर ही बनाएगा। तो क्या ऐसे माहौल में ‘दंगल’ का आना कुछ चमत्कारी साबित होगा। चर्चा तो यही है।

‘दंगल’ से ढेरों ऐसी पॉजिटिव चीजें जुड़ी हैं जो इसे इस साल की अव्वल नंबर फिल्म का दर्जा दिला सकती हैं। सबसे पहला और सबसे बड़ा कारण तो आमिर खान ही हैं। बीतें बरसों में आमिर ने अपनी यह पुख्ता इमेज बना ली है कि वह उसी फिल्म में काम करते हैं जिसकी कहानी बेहद दमदार हो और जिसका निर्देशक उस कहानी को उतने ही दमदार तरीके से पर्दे पर उतारने की कुव्वत रखता हो। ‘दंगल’ की कहानी तो वैसे भी सच्ची है।

हरियाणा के भिवानी जिले के पहलवान महावीर सिंह फोगाट की कुश्ती में मैडल न जीत पाने की कसक उनकी बेटियों गीता फोगाट और बबिता कुमारी ने दूर की। ऐसी कहानी पर एक भावुक और जोशीली फिल्म बखूबी बनाई जा सकती है। हालांकि इस फिल्म के निर्देशक नितेश तिवारी के खाते में कोई सुपरहिट फिल्म दर्ज नहीं है लेकिन उनकी पिछली दोनों फिल्मों ‘चिल्लर पार्टी’ और ‘भूतनाथ रिटर्न्स’ को तारीफें काफी मिली थीं। फिर आमिर का उन पर विश्वास अपने-आप में इस बात का सबूत है कि नीतेश में जरूर कुछ अलग और दमदार बात है।

‘दंगल’ में आमिर हैं तो इसकी स्क्रिप्ट का शानदार होना स्वाभाविक माना जा सकता है। दरअसल आमिर उन चंद कलाकारों में से हैं जिन्हें स्क्रिप्ट की गहरी समझ है और वह अपनी पैनी नजरों से छान कर अपने तार्किक सुझावों से उसे और ज्यादा धारदार बनाना भी जानते हैं। गए बरसों की उनकी फिल्मों के कंटेंट और उनके बॉक्स-ऑफिस नतीजों पर नजर डालें तो यह बात और मजबूती से सही साबित होती है। ‘पीके’, ‘धूम 3’, ‘3 ईडियट्स’, ‘गजिनी’, ‘तारे जमीन पर’ जैसी उनकी फिल्मों ने दर्शकों के दिलों को खुश करने के साथ-साथ फिल्मी कारोबारियों की जेबें भी भरी थीं। ऐसे में ‘दंगल’ के आने के साथ सब के चेहरे खिलने की उम्मीदों को झुठलाया नहीं जा सकता।

‘दंगल’ क्रिसमस के जिस मौके पर आ रही है वह भी बड़ी फिल्मों की रिलीज के लिहाज से साल के हॉट मौकों में गिना जाता है। बल्कि सच तो यह है कि इस मौके को हॉट-स्पॉट बनाने के पीछे आमिर और उनकी फिल्मों का ही सबसे बड़ा हाथ रहा है। उनकी कई फिल्में इस मौके पर आईं और कामयाब हुई हैं।

‘दंगल’ एक आम इंसान के संघर्ष की कहानी कहने जा रही है। एक साधारण ग्रामीण परिवार के पिता और उसकी बेटियों के जीवट की गाथा दिखाने जा रही है। बॉक्स-ऑफिस के नजरिए से यह कहानी और इस फिल्म की टैग-लाइन ‘म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के?’ अपने-आप में माकूल है। फिर इस फिल्म के ट्रेलर को दर्शकों से मिले जबर्दस्त रिस्पांस को देखें तो भी उम्मीदों का पहाड़ खड़ा होता है। ‘दंगल’ इस पहाड़ पर चढ़ कर कामयाबी का परचम लहरा पाएगी, ऐसा सब मान रहे हैं, बस अब नतीजे का इंतजार है।

(नोट-इस लेख के संपादित अंश ‘हरिभूमि’ समाचार पत्र में 4 दिसंबर, 2016 को प्रकाशित हुए हैं)

फिल्म ‘दंगल’ का मेरा रिव्यू इस लिंक पर क्लिक कर के पढ़ें

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: aamir khandangalnitesh tiwariSultanदंगल
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