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Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : मार्निंग शो वाले सिनेमा का सेलिब्रेशन ‘मरते दम तक’

Deepak Dua by Deepak Dua
2023/01/21
in फिल्म/वेब रिव्यू
5
वेब-रिव्यू : मार्निंग शो वाले सिनेमा का सेलिब्रेशन ‘मरते दम तक’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

आज की पीढ़ी के दर्शकों को तो शायद यह पता भी नहीं होगा कि इक्कीसवीं सदी की शुरुआत तक, जब देश भर में मल्टीप्लेक्स थिएटरों का जाल नहीं बिछा था, अधिकांश सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में बड़े सितारों वाली फिल्में दोपहर 12 बजे से चार शो में लगती थीं जिन्हें क्रमशः नून शो, मैटिनी शो, ईवनिंग शो और नाइट शो कहा जाता था। लेकिन एक फिल्म सुबह 9 बजे भी चलाई जाती थी जिसे मॉर्निंग शो कहते थे। इसी मॉर्निंग शो में लगा करती थीं ‘भड़कती ज्वाला’, ‘भूतों की सुहागरात’, ‘जंगल में मंगल’, ‘रात के अंधेरे में’ जैसी वे फिल्में बहुत सस्ते में और बहुत कम समय में बन जाया करती थीं। इस शो की टिकटों के दाम भी काफी कम हुआ करते थे। सस्ती दरों पर गुदगुदाने वाले मनोरंजन के चलते रिक्शा वाले, ठेले वाले, मजदूर और नई उम्र के युवा दर्शक इनकी तरफ आकर्षित हुआ करते थे और अक्सर ये फिल्में अपनी लागत से कई गुना कमाई कर लिया करती थीं।

इन फिल्मों में काम करने वाले कोई नामी लोग नहीं होते थे और न ही इन्हें बनाने वालों को कभी कोई नाम, इज़्ज़त या अवार्ड मिले। इन फिल्मों का न तो प्रचार होता था न ही फिल्म समीक्षक इन्हें देख कर रिव्यू करते थे। बावजूद इन सारी बातों के, इन फिल्मों का अपना एक अलग और विशाल बाज़ार था, अपनी एक अलग और बड़ी दुनिया थी जो हज़ारों लोगों को रोज़गार देती थी और लाखों लोगों को मनोरंजन। अमेज़न प्राइम पर आई निर्देशक वासन बाला की यह वेब-सीरिज़ इन्हीं फिल्मों की दुनिया और इन्हें बनाने वाले कुछ प्रमुख फिल्मकारों की ज़िंदगियों में झांक रही है।

‘मर्द को दर्द नहीं होता’ (रिव्यू-यह मर्द सर्द है, इसे दर्द नहीं होता) में वासन बाला इस सस्ते सिनेमा के प्रति अपने आकर्षण को दर्शा चुके हैं। इस सिनेमा के बादशाह कांति शाह कहे जाते थे जिन्होंने ऐसी बीसियों फिल्में बनाईं। डॉक्यूमैंट्री के अंदाज़ में बनी इस सीरिज़ में कांति शाह से तो बातचीत है, साथ ही मॉर्निंग शो वाले सिनेमा के चार फिल्मकारों-दिलीप गुलाटी, विनोद तलवार, जे. नीलम और किशन शाह को यह ज़िम्मा उठाते दिखाया गया है कि वे बरसों बाद आज के समय में ठीक वैसी ही एक-एक फिल्म बना कर दिखाएं जैसी वे अपने समय में बनाते थे। बिल्कुल वैसे ही हल्के विषय पर अनजाने कलाकारों के साथ मामूली-से बजट में बन रही इन फिल्मों के बनने की प्रक्रिया को कैमरा शूट करता है और इन फिल्मकारों, इनके कलाकारों, तकनीशियनों व इनके साथ काम कर चुके लोगों से भी रूबरू करवाता चलता है।

ऐसा विषय उठाने के लिए इसे बनाने वाले सराहना के हकदार हैं। पूरी सीरिज़ में कहीं ऐसा मन नहीं होता कि कुछ स्किप करके आगे चला जाए, यह इसकी सफलता है।

‘सी-ग्रेड’ कहे जाने वाले सिनेमा के उपजने-पनपने के कारणों, इससे जुड़े लोगों के विचारों, इसके कारोबारी चोंचलों, गणित और समीकरणों को विस्तार से दिखाती यह सीरिज़ वक्त के अंधेरे में खो गए उन पन्नों की बात करती है जिन पर कभी सिनेमा की इबारत लिखी गई थी-भले ही टेढ़े शब्दों में, थोड़े दाग-धब्बों के साथ।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-20 January, 2023 on Amazon Prime

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: amazonamazon primeamazon prime videoarjun kapoorcinema marte dum takcinema marte dum tak reviewdilip gulatij. neelamjaspal neelamkanti shahkishan shahvasan balavinod talwar
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Comments 5

  1. Nafees Ahmed says:
    2 months ago

    बहुत ही मार्मिक और हृदय स्पर्श रिव्यु।।

    लगता है लेखक और निर्देशक ने जिस विषय पर यह सीरीज बनाई है वाकई काबिले तारीफ है और जिस तरह का रिव्यु दुआ जी का है वो एकदम स्पद कर उन पुरानी यादों के सिनेमाघर के मॉर्निंग शो वाले फिल्मी पोस्टर की और उसके दर्शकों के एक वर्ग और क्लास की याद दिलाता है।

    इस तरह की पटकथा और निर्देशन के लिए टीम बधाई की पात्र है।

    दुआ जी के रिव्यु में स्टार हो या न हो लेकिन इनके शब्दजाल से यह सीरीज़ 5 स्टार की पात्र है।

    धन्यवाद दुआ जी।

    Reply
    • CineYatra says:
      2 months ago

      शुक्रिया

      Reply
  2. Rakesh Chaturvedi Om says:
    2 months ago

    वाह भाईसाब, ज़रूर देखी जायेगी ये series 🙂
    एक समय इन फिल्मों का मैं भी साक्षी और तलबगार रहा हूॅं। 🙂

    Reply
  3. Rishabh Sharma says:
    2 months ago

    बचपन में कभी कभी इस तरह के पोस्टर पर नजर जाती थी तो सिर्फ एक ही बात दिमाग में आती थी की ये गंदी फिल्म है सी ग्रेड फिल्म का ठप्पा लिए हुए ऐसी फिल्म और उससे जुड़े हुए किसी भी व्यक्ति का शायद कोई वजूद ही नहीं था किसी के लिए! इस तरह के विषय पर प्रकाश डालती ये सीरीज, पटकथा, कलाकार और निर्देशक यकीनन बधाई के हकदार हैं और इसके साथ ही दीपक दुआ जी जिन्होंने एक बढ़िया रिव्यु दिया!

    Reply
    • CineYatra says:
      2 months ago

      धन्यवाद

      Reply

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