-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
विलेन की साज़िश है कि वह भारत से पाकिस्तान और चीन की तरफ ढेर सारी मिसाइलें छोड़ दे ताकि दुनिया की नज़रों में भारत का नाम खराब हो कि हॉ…, देखो इंडिया ने पड़ोसियों पर हमला कर दिया। उसकी इस साज़िश में एक पाकिस्तानी और एक चीनी भी शामिल है। ढेर सारी मिसाइलें छोड़ दी जाती हैं पर हमारे हीरो आकर उनके इस प्लान को नाकाम कर देते हैं। Bade Miyan Chote Miyan
इस प्लान को देख कर एक बार तो हीरो लोगों पर ही गुस्सा आता है कि भाई एक मिनट रुक जाते, खेल ही खत्म हो जाता। पर उससे ज़्यादा उस पाकिस्तानी और चीनी भाई की अक्ल पर तरस आता है जो अपने ही देशों का खात्मा सिर्फ इसलिए करवा रहे थे ताकि भारत का नाम खराब हो। अरे, अक्लबंदों, जब तुम दोनों के देश ही खत्म हो जाते तो तुम रहते कहां? अली अब्बास ज़फर के घर पर?
तो जी, जैसी यह बे-अक्ल कहानी है, उस पर वैसी ही फिल्म बना दी है अली अब्बास ने जिसमें दो ताकतवर हीरो हैं जो कभी फौजी थे लेकिन निकाल दिए गए और जब देश को ज़रूरत पड़ी तो लौट भी आए। उनसे ज़्यादा ताकतवर विलेन है जो कभी इन्हीं का दोस्त था। चमकते चेहरे और चिकनी टांगों वाली हीरोइनें हैं जिनमें से कोई फाइटिंग में तो कोई दिमाग चलाने में माहिर है। देसी-विदेशी लोकेशन हैं जहां कोई भी, कहीं से भी बिना किसी को बताए आ-जा सकता है। खूब धूम-धमाका है, खूब बम-पटाखा है। घोड़े से लेकर मोटर साइकिल, कार, ट्रक, टैंक, हैलीकॉप्टर की उड़ान है, देशप्रेम के अधपके डायलॉग हैं, थकी हुई कॉमेडी है और आपको लुभाने का हर किस्म का सामान है।
ऐसे घिस चुके फॉर्मूलों की छूत अपनी फिल्मों को हॉलीवुड की उन धूम-धड़ाके वाली मसालेदार फिल्मों से ही लगी है जिनके कचरे को आप वाह-वाह करके चाटते आए हैं। तो सिर्फ विदेशी कचरे में ही क्यों मुंह मारना, स्वदेशी अपनाइए, आत्मनिर्भर हो जाइए।
ऐसी फिल्मों में जब विलेन हीरो लोगों को पकड़ कर बोलता है कि मैं तुम्हारी आंखों के सामने तुम्हारे देश को बर्बाद करना चाहता था तो हीरो लोग यह क्यों नहीं पूछते कि भाई फिर हम पर आधे घंटे से गोलियां क्यों चलवा रहा था? वह तो हम अपने सिर को बार-बार 15 डिग्री दाएं-बाएं कर के खुद को बचाते रहे वरना तेरी चाहत का क्या होता?
इस किस्म की फिल्मों के ट्रेलर से आकर्षित होकर इन्हें देखने जाने वाले लोगों को फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म कैसी है और उसे रिव्यू करने वालों ने कितनी छाती पीटी है। उन्हें सिर्फ एक्शन का मसाला देखना होता है और वह इसमें भरपूर है। ऐसी फिल्में दिमाग लगाने के लिए नहीं, दिमाग को आराम देने के लिए देखी जाती हैं-ठीक उसी तरह जैसे हम बचपन में खलनायकों से भिड़ते सुपरहीरो वाली कॉमिक्स पढ़ा करते थे। उस नज़र और नज़रिए से देखेंगे तो यह आपको इतनी बुरी नहीं लगेगी। वैसे भी आप कौन-सा इस हफ्ते आई उम्दा फिल्म ‘मैदान’ देखने जा रहे हैं? तो चलिए, यह वाली ही सही। Bade Miyan Chote Miyan
(रिव्यू-सलमान का धोबी पछाड़-‘सुल्तान’)
एक अफसोस यह भी है कि ‘सुल्तान’ और ‘टाइगर ज़िंदा है’ वाले निर्देशक अली अब्बास ज़फर एक दिन ‘बागी 3’ और ‘हीरोपंती 2’ वाले अहमद खान के स्तर तक गिर जाएंगे, यह नहीं सोचा था।
(रिव्यू-क्यों तारीफों के काबिल है ‘बागी 3’)
बरसों पहले आईं शाकाल वाली ‘शान’ और गैंडा स्वामी वाली ‘तिरंगा’ के अपडेटेड वर्ज़न देखने हों तो इस फिल्म को एन्जॉय किया जा सकता है, बे-अक्ली के साथ, क्योंकि यहां दिमाग लगाना मना है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-11 April, 2024 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
गजब पा ‘ जी सच में गजब समीक्षा लिखी है मजा आ गया 🤣🤣
धन्यवाद भाई साहब…
Amazing review Sir
Thanks dear…
Jab BMCM itni buri hai to phir pathan ko kaisa kahna chahenge kyonki Pathan me bhi apne Desh ka hi Banda desh ki barbaad krna chahta hai aur Shahrukh khan jo ki Pathan film ke hero hain bachate hain is film me bhi koi nayapan nhi tha wahi purani ghisi piti kahani thi lekin aapke jaise review dene wale logon ne hi use ATB banaya……
To mjhe aisa lag rha hai ki aap film ke Hero ko dekh kr Review de rhe ho aur us movie ko flop krne ki kosis kr rhe ho to be akl to huye jo Puri imandari se review na dekr aisi hochhi hrkt kr rha hai
अपने इस सवाल के जवाब के लिए आपको ‘पठान’ का रिव्यू पढ़ना होगा… https://www.cineyatra.com/pathan-movie-review-by-deepak-dua/
Filme chalti hai positive reviews se aur agr jyada negativity ho to filme flop ho jati hai. Agr koi film dekhne ja rha hai to review dekh kr to aap apne review me negative points ke sath Positive point bhi batayen taki logon ko movie dekhne ke liye theater tk ja sake warna filmen banane me jo paise lg rhe hai vo barbaad ho jayenge….
Ek film banti hai to usme bahut log kaam karte hai aur agr movie flop hogi to paison ke saath saath bahuton ki life bhi barbaad ho jati hai to positive aur negative point bhi bataiye aap….
जो आज्ञा (अनुरोध-कृपया दो-चार रिव्यू और पढ़ें, और दो-चार बार पढ़ें)
आज्ञा नहीं अनुरोध है आपसे
चलो एक और फ़िल्म आ गई जिसमे देशप्रेम दिखाया गया है….. शायद बॉलीवुड की झोली में अलगाववादी धार्मिक मुद्दों और मनगढंत देशप्रेम क़े मुद्दों पर ही फ़िल्में बनाने क़े लिए रह गयी हैँ…..
बहराल…. कॉमेडी समझकर फ़िल्म देखना बेहतर है….
प्रसंशनीय रिव्यु
धन्यवाद
Apne review me bhut dimag lgaya h
To ab apna dimag ise dekhna chahta h
BMCM is fully action packed and entertaining movie, so I recommend you went to the theater and enjoy this movie.