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Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब रिव्यू-नेक इरादे के साथ मनोरंजन का वादा पूरा करती ‘अवरोध’

Deepak Dua by Deepak Dua
2020/07/30
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
वेब रिव्यू-नेक इरादे के साथ मनोरंजन का वादा पूरा करती ‘अवरोध’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

फिल्म ‘उरी’ के अपने रिव्यू में मैंने लिखा था कि ऐसी फिल्में ज़रूरी हैं ताकि लोगों को सनद रहे कि देश के भीतर बैठ कर नारे बनाना, सुनना और बोलना अलग बात है और सरहद पर जाकर उन नारों पर अमल करना दूसरी। उस फिल्म में 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में आर्मी कैंप में घुस आए आतंकियों द्वारा 19 जवानों के मारे जाने के बाद भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुस कर आतंकियों के अड्डों को तबाह करने की सर्जिकल स्ट्राइक दिखाई गई थी। सोनी लिव पर मौजूद यह वेब-सीरिज़ ‘अवरोध-द सीज विद् इन’ उसी सर्जिकल स्ट्राइक के लिए की गई घेरेबंदी को ज़रा और विस्तार से, ज़रा और करीब से, ज़रा और गहराई से, ज़रा और यथार्थपूर्ण तरीके से दिखाती है।

शिव अरूर और राहुल सिंह की लिखी एक किताब के एक चैप्टर पर आधारित इस सीरिज़ की खासियत इसका यही यथार्थवाद और विस्तार है जो हमें उस सारी प्रक्रिया के नज़दीक ले जाता है जो ऐसे किसी मौके पर सेना के एक सिपाही से लेकर सरकार के सबसे ऊंचे ओहदे पर बैठे लोगों के बीच शुरू होती है। नौ एपिसोड की इस सीरिज़ के शुरू के कई एपिसोड भूमिका बांधने, पाकिस्तान की शह पर उछल रहे लोगों की कारस्तानियां दिखाने और सर्जिकल स्ट्राइक करने से जुड़े लोगों की तैयारियां को करीब से दिखाने का काम करते हैं। लेकिन कहानी यहां भी बोर नहीं करती है बल्कि बताती है कि इस तरह के फैसले कितने दबाव में लिए जाते हैं और इसके लिए किस किस्म की तैयारियां होती हैं।

राजनेताओं की सोच, ब्यूरोक्रेसी के तरीकों, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के साथ-साथ मीडिया के दबावों की तरफ भी यह कहानी हमें लेकर जाती है। इसे लिखने वालों ने सचमुच एक उम्दा टीम की तरह काम किया है। सेना के हमारे जवानों की तैयारियों को भी यह बेहतरीन तरीके से दिखाती है। आखिरी के दो एपिसोड रोमांच का शिखर छूते हैं और हमें अपने जवानों पर गर्व करने का मौका देते हैं।

निर्देशक राज आचार्य बहुत ही कायदे के साथ इस कहानी को दिखाते हैं। वे कोई महान ऊंचाइयां भले ही नहीं छूते लेकिन शुरू से वह जिस पटरी पर कहानी को टिकाते हैं, अंत आते-आते उसे वह काफी ऊपर ले जा चुके होते हैं। विक्रम गोखले, नीरज कबी, अनंत महादेवन, आरिफ ज़कारिया जैसे सधे हुए कलाकारों को अपने किरदारों की आत्मा तक को छूते देखना सुखद लगता है। दर्शन कुमार, अमित साध, पवैल गुलाटी, मधुरिमा तुली, मीर सरवर अपने किरदारों के साथ पुरा न्याय करते हैं। अमित साध अपनी बॉडी के साथ-साथ अपनी भंगिमाओं से भी प्रभावित करते हैं। अबू हाफिज़ बने अनिल जॉर्ज इन सबके बीच अलग ही चमक बिखेरते दिखाई देते हैं। नेक इरादे के साथ बनी यह सीरिज़ उम्दा मनोरंजन देने के अपने वादे पर खरी उतरती है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि सिरीज़ कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-30 July, 2020

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: amit sadhanant mahadevananil georgearif zakariaAvrodh the siege within reviewdarshan kumarmadhurima tulimir sarwarneeraj kabipavail gulatiraj acharyaSonyLivvikram gokhle
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