-कुमार मौसम… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
ओटीटी प्लेटफॉर्म के सबसे पॉपुलर विषय क्राइम और इन्वेस्टिगेशन पर आधारित ज़ी-5 की सबसे लोकप्रिय सीरिज़ ‘अभय’ इस बार कुछ नया बनाने के चक्कर में क्राइम, इन्वेस्टिगेशन और तंत्र-मंत्र के बीच कहीं भटकती-सी नज़र आती है। इस बार यह न सिर्फ अपने पुराने दोनों सीज़न की सफलता को भुनाने बल्कि दर्शकों को बांध पाने में भी नाकाम रही है। इसकी कमज़ोर पटकथा में कुणाल खेमू कई बार अपनी अदायगी से जान फूंकते तो दिखते हैं पर स्क्रीन से उनके जाते ही फिर से बुझने लगती है।
सीरिज़ की शुरुआत विजय राज़ के दमदार संवाद “जीवन से क्या चाहते हो सुख, शांति, खुशी? क्या तुम अपने मानसिक और शारीरिक दर्द से आहत हो गए हो? क्या एन्जायटी और डिप्रेशन तुम्हें अंदर ही अंदर खोखला बना रहा है? दुखों के सागर में अगर सुख की लहर लाना चाहते हो। अपने दुख, अपनी कमज़ोरी, अपनी बेबसी पर काबू पाना चाहते हो तो नीचे दिए नंबर पर फोन लगाओ और मुझसे जुड़ जाओ“ के साथ होती है। ये पूरा संवाद जिस एपिसोड का है वो इस पूरी सीरिज़ की जान है जिसे देखते हुए रोमांच, सस्पेंस के साथ साथ कई सवाल भी पैदा होते है। लेकिन इनका जवाब सीरिज़ के अंत तक भी नहीं मिल पाता।
ज़ी-5 पर आई कुल 8 एपिसोड वाली इस सीरिज़ की कहानी फ्लैशबैक से शुरू होती है और अलग-अलग किरदारों के साथ भटकती हुई खत्म हो जाती है। इस बीच कहानी कमज़ोर पटकथा की वजह से कभी बेतरतीब फैली हुई तो कभी बेवजह खिंचती हुई भी नज़र आती है। कुणाल खेमू ने हालांकि उम्मीद के मुताबिक अच्छा अभिनय किया है तो विजय राज़ हमेशा की तरह अपनी दमदार अदायगी से छाप छोड़ते हैं। राहुल देव अपने छोटे मगर मज़बूत किरदार में अच्छे लगे हैं। इस सीरिज़ में भी उनका दमदार अभिनय देखने को मिला है। निगेटिव रोल में आशा नेगी ने भी प्रभावित है।
इस सीरिज़ के पिछले दोनों सीज़न की शानदार कहानी की वजह से इस सीज़न से भी काफी उम्मीदें थी। पर बहुत सारे लेखक और निर्देशक केन घोष मिल कर भी वह जलवा नहीं बिखेर पाए जो अभय के पिछले सीज़न में था। वहीं कुणाल खेमू, विजय राज़ और राहुल देव को छोड़ दें तो इस सीज़न में ऐसा कुछ भी नहीं है जो दर्शकों को आखीर तक बांध कर रख पाए। फिर भी अगर आपको क्राइम थ्रिलर कहानियां कुछ ज़्यादा ही पसंद हैं तो इसे आप एक बार देख सकते हैं… सिर्फ एक बार।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि सीरिज़ कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-08 April, 2022
(कुमार मौसम फिल्म शोधार्थी, फिल्म समीक्षक व स्वतंत्र लेखक हैं। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के संचार विभाग में बतौर शोधार्थी कार्यरत हैं। ओटीटी और वेब–सीरिज़ पर शोधपरक नज़र रखते हैं और भ्रमण तथा फोटोग्राफी के खासे शौकीन हैं।)