-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
देश में एक ‘योद्धा टास्क फोर्स’ है जिसमें तीनों सेनाओं से चुन-चुन कर जवान लिए गए हैं। एक मिशन में अपना हीरो अफसर का कहना न मान कर अकेला ही घुस जाता है। इन्क्वॉयरी बैठती है और सबको सस्पैंड कर दिया जाता है। मगर हीरो हार नहीं मानता। बरसों बाद पाकिस्तान जाने वाला एक हवाई जहाज हाइजैक होता है। शक अपने हीरो पर है। क्या सचमुच उसी ने प्लेन कब्जाया है? क्या इरादे हैं उसके? किससे बदला ले रहा है वह? उसने नहीं तो किसने किया है यह काम? उनके इरादे क्या हो सकते हैं?
मेरी हिम्मत मानिए कि इस फिल्म की कहानी इतने सरल शब्दों में आपको समझा दी वरना लिखने वालों ने तो ऐसी गोल-गोल जलेबियां बनाई हैं जिन्हें सीधा करने में आपके दिमाग की चाशनी लीक हो सकती है। वैसे भी इस किस्म की फिल्मों में कहानी से ज़्यादा स्क्रिप्ट की कसावट और फिल्म की रफ्तार मायने रखती है। इस किस्म की फिल्में यानी जिनमें देश का कोई फिल्मी हीरो किसी फिल्मी मिशन पर हो जिसमें लॉजिक भले ही न हो, मगर मसाले खूब हों। यहां भी ऐसा ही है। कहानी में इतने ज़्यादा घुमाव हैं कि एक वक्त के बाद अच्छे से अच्छा धुरंधर भी दिमाग लगाना छोड़ कर ‘चल यार एन्जॉय करते हैं’ वाले मूड में आ जाता है। आप भी एन्जॉय कीजिए।
बॉलीवुड और हॉलीवुड के मसाला-फिल्ममेकरों ने हम लोगों को चटखारेदार सिनेमा की ऐसी लत लगा दी है कि मसालों की बौछार हो रही हो तो हम न कुछ सोचते हैं, न किसी की सुनते हैं। इस फिल्म को लिखने-बनाने वाले सागर आंब्रे और पुष्कर ओझा इन्हीं मसाला फिल्ममेकर्स की कतार में अपने पैर जमा कर आ खड़े हुए हैं। यह वही कतार है जो आप दर्शकों को ‘दिमाग घर पर रख कर आना’ वाली क्रांंत के लिए प्रेरित करती है ताकि आपकी जेबों से पैसा निकालना इनके लिए आसान हो सके। आप भी पैसे निकालिए।
करण जौहर के प्रोडक्शन की फिल्म है तो लोकेशन, कैमरा, वी.एफ.एक्स., एक्शन सीक्वेंस आदि उन्नत हैं और आंखों को भाते हैं। और जब फिल्म आंखों को भा रही है, दिल को लुभा रही है तो भला दिमाग क्यों लगाना? आप भी मत लगाना।
सिद्धार्थ मल्होत्रा अपनी सीमित रेंज में रह कर हर बार जैसा काम कर जाते हैं, वैसा ही उन्होंने इस बार भी किया है। बड़ा शोर था कि इस फिल्म से राशि खन्ना आ रही हैं। लेकिन उनका रोल देख कर लगता है कि बस शोर ही था, और कुछ नहीं। दिशा पटनी छोटे-से किरदार में जंचीं। बाकी के कलाकार-एस.एम. ज़हीर, रोनित रॉय, तनुज विरवानी, सनी हिंदुजा, कृतिका भारद्वाज, भुवन चोपड़ा आदि-आदि भी छोटी भूमिकाओं में ही दिखे। फिल्म तो अपने हीरो की है न। आप भी उसी को देखिए।
हीरो का सरनेम ‘कत्याल’ है लेकिन पूरी फिल्म में इसे कटियाल बोला गया है। अरे भाई, किसी पंजाबी से सलाह ले लेते। खैर छोड़िए, सलाहें तो इस फिल्म को बनाने वालों को बहुत सारे लोगों से लेनी पड़ जातीं। यह भी कि हीरो को हवाई जहाज के बारे में इतनी सारी जानकारी कैसे मिली? यह भी कि ‘योद्धा’ फोर्स से होने के बावजूद हीरो इतना पिट क्यों रहा है। और अपने को तो आज तक यह भी समझ नहीं आया कि अपनी फिल्मों का फौजी हीरो अक्सर अनुशासनहीन और अपने अफसरों के हुक्म को न मानने वाला ही क्यों होता है? आप भी मत समझिए। मसाले चाटिए, चटखारे लीजिए।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-15 March, 2024 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
आप की मजबूरी है जो ऐसी फिल्में भी देखनी पड़ती है..अपनी नही है😁
सो हम कतई ही नही देखेगे…
ऐसे पोस्टर ऐसे नाम जरा भी उत्सुकता नही जागते कि समय और पैसा बरबाद किया जाए.
बढ़िया समझाया है आपने इस फिल्म की कहानी को बाकी तो दर्शक देख लेंगे 😁😁😁😁😁😁
फिल्म बस्तर और योद्धा की समीक्षा पढ़कर फिल्म के स्वरूप को समझने का अवसर मिला । आपकी समीक्षा फिल्म के स्वरूप को प्रदर्शित कर देती है । फिल्म देखने में आसानी हो जाती है।
धन्यवाद…
सस्पेंस भरा रिव्यु जो मूवी को देखने को मजबूर कर दे….
लेकिन रिव्यु एकदम मसालेदार एवं रोचक, जिज्ञासु भरा है….
जबरदस्त
धन्यवाद…