-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
लॉकडाउन के चलते विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए शुरू की गईं ‘वंदे भारत’ उड़ानों में से एयर इंडिया की उड़ान संख्या आईएक्स1344 दुबई से उड़ी। इस हवाई जहाज की मंज़िल थी केरल का कोझिकोड यानी कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा। कोरोना के डर से डरे-सिमटे 184 यात्रियों और 4 कर्मियों को लेकर दो पायलटों ने उड़ान भरी। दोनों पायलट खूब अनुभवी। बल्कि कैप्टन दीपक साठे तो वायुसेना में भी रह चुके थे। कोझिकोड पहुंचे तो अंधेरी रात, मूसलाधार बारिश और मौसम बेहद खराब। ऊपर से इस हवाई अड्डे का रनवे भी टेबल-टॉप। यानी किसी पहाड़ी पर मेज की ऊपरी सतह जैसा लंबा। पायलट दल ने तीसरी कोशिश में विमान रनवे पर उतारा लेकिन वह तय जगह तक रुक न सका और गीले रनवे से फिसलता हुआ पहाड़ी के किनारे से नीचे जा गिरा। दोनों पायलट और 19 यात्री मारे गए। किसकी गलती से? पायलट कसूरवार थे, रनवे खराब था, मौसम की मार थी या कुछ और…?
2 मार्च को ओ.टी.टी. ऐप डिस्कवरी प्लस पर रिलीज़ हुई करीब पौने घंटे की यह डॉक्यूमेंट्री इस यात्रा में बच गए लोगों के साथ-साथ मारे गए लोगों के परिजनों को तो दिखाती ही है, इन सवालों के जवाब खंगालने की कोशिशें भी करती है। उड्डयन क्षेत्र के अनुभवी लोगों से हुई बातचीत में यह सामने आता है कि भारत में होने वाले हवाई हादसों में से 85 प्रतिशत मामलों में मानवीय गलती आंकी जाती है जबकि असल में ऐसा होता नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि ज़्यादातर मामलों में पायलट या तो मर चुके होते हैं या मौत से जूझ रहे होते हैं, इसलिए उन पर दोष लगाना काफी आसान रास्ता माना जाता है।
यह डॉक्यूमेंट्री यह भी बताती है कि देश के व्यस्ततम हवाई अड्डों में दसवें नंबर पर गिने जाने वाले कालीकट एयरपोर्ट के इस टेबल-टॉप रनवे के बारे में विशेषज्ञ कई बार चिंता जता चुके हैं लेकिन उनकी चिंताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस फिल्म में अपनों को खोने वालों की बातें उदास करती हैं तो वहीं सुरक्षा और संरक्षा में हुई चूकों की तरफ किया जाने वाला इशारा डराता भी है। इसे बनाने वालों ने इसमें भावनाओं या उत्तेजनाओं के ज्वार से बचते हुए इसे सपाट रखा है जिससे यह बहुत गहरी या प्रभावी नहीं हो पाई है। फिर इसमें दो जगह मंगलौर वाले हादसे की तारीख भी गलत बताई गई है। बावजूद इसके, यह जिन सवालों को उठाती है, वे वाजिब लगते हैं और इस बात की ज़रूरत भी महसूस होती है कि इन सवालों के जवाब तलाशे जाने चाहिएं ताकि आईंदा ऐसे हादसों से बचा जा सके।
Release Date-02 March, 2021 on Discovery +
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)