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Home फिल्म/वेब रिव्यू

ओल्ड रिव्यू-प्यार के तीन सुस्त रंग दिखाती ‘तेरी मेरी कहानी’

Deepak Dua by Deepak Dua
2012/06/22
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
ओल्ड रिव्यू-प्यार के तीन सुस्त रंग दिखाती ‘तेरी मेरी कहानी’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

हमारी फिल्में प्यार को समझने और समझाने की कोशिशें हमेशा से करती आई हैं। निर्देशक कुणाल कोहली इससे पहले ‘हम तुम’ और ‘फना’ जैसी दो अच्छी व सफल रोमांटिक फिल्में दे भी चुके हैं। लेकिन इस बार वह चूकते हुए नज़र आते हैं तो इसकी वजह भी है।

तीन अलग-अलग वक्त और तीन अलग-अलग जगहों में तीन अलग-अलग प्रेम-कहानियां दिखाती इस फिल्म में पहली कहानी 1960 के दौर की है जिसमें एक नामी हीरोइन और एक स्ट्रगलर में प्यार हो जाता है। दूसरी कहानी आज के समय के लंदन की है और तीसरी कहानी 1910 के समय में लाहौर के सरगोधा गांव की जिसमें लड़कियों के पीछे भागने वाले और बात-बात पर शायरी सुनाने वाले आवारा लड़के जावेद और एक सिक्ख स्वतंत्रता सेनानी की बेटी में प्यार होता है।

ये कोई पुनर्जन्म या सीक्वेल जैसी कहानियां नहीं हैं बल्कि एक ही फिल्म में तीन अलग-अलग कालखंडों में इन्हें दिखाया गया है और तीनों में ही कोई रिश्ता नही है। ये कहानियां बुरी भी नहीं हैं लेकिन सवाल उठता है कि इनमें नया क्या है? ऐसा क्या है जो इन्हें देखा जाए? न तो इनमें कहीं प्यार की वह गर्माहट महसूस होती है जो देखने वाले को पिघला दे और न ही कोई पैनापन या दिल को चीर सकने वाली कसक नज़र आती है। फिर इन्हें फिल्माया भी साधारण ढंग से गया है। 1960 के दौर का मुंबई दिखाने के लिए निर्देशक को लंदन जाना पड़ा तो वहीं उनका दिखाया सरगोधा भी बनावटी लगता है। एक सिक्ख की बेटी का नाम ‘आराधना’ सुना है कभी? ऐसी बहुत-सी बातें हैं इस फिल्म में जो उथली हैं और फिल्म के असर को कम करती हैं। कह सकते हैं कि इसे लिखने में जिस मेहनत से बचा गया उसका असर पर्दे पर भी दिखा है।

तीनों कहानियां में शाहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा हैं और इनका काम अच्छा रहा है। एक कहानी में प्राची देसाई बहुत प्यारी लगीं। वहीं वृजेश हिरजी ने एक भी संवाद बोले बिना प्रभावी काम किया। गीत-संगीत बढ़िया है। काश, कि ऐसा पूरी फिल्म के साथ हो पाता। बस, एक टाइम पास किस्म की फिल्म बन कर रह गई है यह, जिसे देखा जाए तो ठीक और छोड़ा जाए तो भी कोई हर्ज़ नहीं होगा।

अपनी रेटिंग-दो स्टार

(इस फिल्म की रिलीज़ के समय मेरा यह रिव्यू किसी अन्य पोर्टल पर छपा था)

Release Date-22 June, 2012

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: kunal kohlineha sharmaprachi desaipriyanka choprashahid kapoorsurendra palteri meri kahaaniteri meri kahaani reviewvrajjesh hirjee
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