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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-धीमी आंच पर पकती मोहब्बत का ‘तड़का’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/11/05
in फिल्म/वेब रिव्यू
10
रिव्यू-धीमी आंच पर पकती मोहब्बत का ‘तड़का’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

पहले इस फिल्म का एक संवाद सुनिए-‘तुम्हारी आवाज़, तुम्हारी खूबसूरती और दस ग्राम अदरक एक साथ कूट कर किसी के माथे पे लगा दो न, ज़िंदगी बन जाएगी उसकी।’

अब बताइए, कभी सुना है किसी रोमांटिक फिल्म में ऐसा संवाद? कभी महसूस किया है ऐसा रोमांस? यह फिल्म दरअसल हमें रोमांस की एक ऐसी दुनिया में ले जाती है जहां आपको खट्टा, मीठा, तीखा, चरपरा, कसैला, नमकीन, यानी हर किस्म का स्वाद मिलता है और जब यह फिल्म खत्म होती है तो इन स्वादों का हल्का-हल्का अंश आपके ज़ेहन, जीभ, दिल और दिमाग, सब पर रह जाता है।

ज़ी-5 पर आई इस फिल्म में गोआ में रहने वाला अधेड़ तुकाराम आर्कियोलॉजिस्ट है। खाने और खिलाने का ऐसा शौकीन है कि कभी अपने लिए लड़की देखने गया तो इसलिए रिजेक्ट कर आया कि उसे मूंगफली की चटनी पसंद नहीं थी तो कभी लड़की के घर में काम कर रहे बावर्ची को ही उठा लाया। रेडियो जॉकी मधुरा से रॉन्ग नंबर पर हुई बात दोनों के दरम्यां एक रिश्ता कायम कर देती है लेकिन बीच में आ जाती है एक कन्फ्यूज़न। क्या सुलझा पाते है ये दोनों उलझे रिश्तों के धागे और लगा पाते हैं तड़का अपनी-अपनी बेस्वाद ज़िंदगियों में?

एक-दूसरे को बिना देखे प्यार कर बैठने की कहानियां अक्सर हमारे दिल छूती आई हैं। ‘सिर्फ तुम’, ‘नोटबुक’, ‘फोटोग्राफ’, ‘वन्स अगेन’, ‘लंच बॉक्स’ जैसी फिल्मों की कतार में यह फिल्म भी मोहब्बत का खट्टा-मीठा अहसास लिए हुए है। असल में यह फिल्म सबसे पहले 2011 में ‘सॉल्ट एंड पैपर’ के नाम से मलयालम में बनी थी जिसके बाद अभिनेता प्रकाश राज ने इसे तमिल, तेलुगू व कन्नड़ में निर्देशित किया व उनमें मुख्य भूमिका भी निभाई। अब इस हिन्दी को प्रकाश राज ने सिर्फ डायरेक्ट किया है और मुख्य भूमिका में नाना पाटेकर हैं। फिल्म करीब पांच साल पहले शूट हुई थी लेकिन इसमें किसी किस्म का बासीपन नज़र नहीं आता। हां, एक धीमापन ज़रूर है जो इस कहानी की मांग पूरी करता है।

सूर्या मैनन ने पटकथा को हिन्दी में बखूबी ढाला है। सागर हवेली के संवाद फिल्म की ताकत हैं। खास बात यह है कि फिल्म में सब कुछ बहुत आराम से, तसल्ली से हो रहा है। निर्देशक प्रकाश राज ने भी बिना कोई जल्दबाजी के इसे धीमी आंच पर पकाया है जिससे शुरू में कुछ हद तक खटक रही यह फिल्म अंत आते-आते खुशबू बिखेरने लगती है और मन होता है कि इसे थोड़ी देर और चखा जाए। कहीं-कहीं यह फिल्म नाना की ही अमोल पालेकर निर्देशित ‘थोड़ा सा रूमानी हो जाएं’ की याद भी दिलाती है।

शूटिंग के समय नाना पाटेकर 65 बरस के रहे होंगे लेकिन फिल्म में वह काफी जंचते हैं। मधुरा बनी श्रिया सरण सचमुच मधुर लगती हैं। सुकून इरावती हर्षे को देख कर भी भरपूर मिलता है। तापसी पन्नू, अली फज़ल, लिलियत दुबे, राजेश शर्मा, मुरली शर्मा, नवीन कौशिक व अन्य कलाकार अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाते हैं। गीत-संगीत सॉफ्ट है, और बेहतर हो सकता था। गोआ की खूबसूरती को प्रीता जयारमन का कैमरा बखूबी पकड़ता है।

एक हल्की-फुल्की, दिल-दिमाग को भाने वाली इस फिल्म को देखिए। मुमकिन हो तो उसके साथ बैठ कर जिसके साथ आपको खाना शेयर करना पसंद है, फिल्में शेयर करना पसंद है, ज़िंदगी शेयर करना पसंद है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-04 November, 2022 at ZEE5.

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Ali Fazaliravati harsheLillete Dubeymurali sharmanana patekarnaveen kaushikprakash rajpreetha jayaramanrajesh sharmashriya sarantaapsee pannutadkaZEE5
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Comments 10

  1. Nafees Ahmed says:
    3 years ago

    Elaborated in an excellent way by Sh. Dua ji.

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      Thanks

      Reply
  2. Prem Prakash says:
    3 years ago

    इस किस्म का सिनेमा ही प्रेम में यकीन करने के लिए मजबूर करता रहता है।
    🌹

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      सहमत…

      Reply
  3. Rishabh Sharma says:
    3 years ago

    इस तरह की कहानियों पर आधारित फिल्में अक्सर दिल को छू जाती है! लेकिन उसमे सिर्फ कहानी से काम नहीं चलता अच्छे स्तर का गीत, संगीत और भावनात्मक प्रदर्शन भी जरूरी है इसी लिए ऐसी फिल्मों के नाम पर सभी को सिर्फ तुम हमेशा याद रहेगी ! ये उस हिसाब से थोड़ा अलग है एक लंबे अंतराल के बाद नाना पाटेकर को देखना अच्छा लगता है बाकी सभी का काम सराहनीय है वैसे खाने के स्वाद से पहले उसकी रंगत और खुशबू को देखा जाता है और ये दीपक जी अच्छी तरह से बयां कर सकते है!

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद

      Reply
  4. Shilpi rastogi says:
    3 years ago

    बढ़िया ….आपके रिव्यू के आधार पर ही फिल्में देखते हैं ….

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद…

      Reply
  5. Kalyan R. Giri says:
    3 years ago

    आज आपकी बहुत सारी फिल्म्स के रिव्यू पढ़े सर। बहुत शानदार। ✍️

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद… आभार…

      Reply

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