-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
यह फिल्म शुरू होती है तो लगता है जैसे भट्ट कैंप की कोई फिल्म पर्दे पर आ गई है। फिल्म की कहानी भी ऐसी है कि यह ‘आशिकी 3’ हो सकती थी। लेकिन सलमान खान-स्नेहा उल्लाल को लेकर ‘लकी-नो टाइम फॉर लव’ बना चुकी निर्देशकों की जोड़ी राधिका राव और विनय सप्रू की नजर कुछ अलग है। अपनी बात को अलग तरह से कहने के फेर उन्होंने परंपरागत मसालों से परहेज किया है और इसी वजह से यह फिल्म थोड़ी सूखी और थोड़ी हल्की भी होती है।
एक बहन जी टाइप लड़की और एक बागी तेवर वाले लड़के की इस दुखांत प्रेम कहानी में कोई विलेन नहीं है। हां, हालात ज़रूर निगेटिव भूमिका निभाते हैं। भावनाओं और प्यार की ताकत का जैसा ज्वार इस किस्म की फिल्में मांगती हैं, उनके हल्के रहने के चलते फिल्म अपेक्षित असर नहीं छोड़ पाती और जोरदार चोट करने से चूक जाती है। लेकिन युवा दर्शकों, खासकर अपने प्रियतम के साथ बैठ कर फिल्में देखना पसंद करने वालों को यह भाएगी। रोमांटिक फिल्मों के तय खांचे से हट कर कुछ मीठा-मीठा देखना चाहें तो इस फिल्म को देखिए।
साऊथ से आए हीरो हर्षवर्द्धन राणे दिखते अच्छे हैं लेकिन बोलने में लड़खड़ा जाते हैं। पाकिस्तान से आई नायिका मावरा खूबसूरत हैं और अपने किरदार के साथ इंसाफ करती हैं। गाने भी अच्छे हैं। बस, फिल्म की लंबाई अगर दो घंटे 35 मिनट की बजाय दो-सवा दो घंटे की ही रखी जाती तो यह ज़्यादा असरकारी बन सकती थी।
अपनी रेटिंग-ढाई स्टार
(नोट-इस फिल्म की रिलीज़ के समय मेरा यह रिव्यू किसी अन्य पोर्टल पर छपा था)
Release Date-05 February, 2016
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)