-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
इस फिल्म की निर्देशक दिव्या खोसला कुमार इससे पहले ‘यारियां’ जैसी हिट फिल्म दे चुकी हैं। हालांकि वह फिल्म ताजे चेहरों, अपने खुलेपन (जिसे नंगापन कहा जाए तो बेहतर होगा) और मस्ती भरे संगीत के चलते हिट हुई थी। खैर, अपनी इस दूसरी फिल्म में दिव्या ने संजीदगी दिखाई है। उनका निर्देशन पहले से ज्यादा सधा हुआ है। लेकिन जब कहानी फीकी हो और स्क्रिप्ट कमज़ोर, तो यह सधापन भी क्या कर लेगा। मुमकिन है दिव्या ने इस फिल्म को बनाने में काफी मेहनत की हो लेकिन यह मेहनत उस खेत में फावड़ा चलाने जैसी है जिसमें कंकड़ ही कंकड़ हैं। कहानी उपजाऊ होती तो यह मेहनत ज़्यादा रंग ला सकती थी।
वैसे इस फिल्म में भी अच्छा म्यूज़िक है। शायद पहली बार किसी फिल्म की डायरेक्टर अपनी फिल्म के किसी गाने में बतौर आइटम गर्ल दिखाई दी हैं। (जब प्रोड्यूसर मलाइका अरोड़ा खान अपनी फिल्म ‘दबंग’ में मुन्नी बन कर नाच सकती हैं, तो दिव्या क्यों नहीं?) फिल्म में हसीन चेहरे भी हैं और थोड़ा खुलापन भी। आंखों को लुभाती खूबसूरत लोकेशंस तो खैर हैं ही। अब अगर इतना आपके लिए काफी है तो देख लीजिए इसे। वैसे भी वेलेंटाइन का मौका है, कुछ तो देखना ही है न ‘उनके’ साथ।
अपनी रेटिंग-डेढ़ स्टार
(नोट-इस फिल्म की रिलीज़ के समय मेरा यह रिव्यू किसी अन्य पोर्टल पर छपा था)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)