-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
जब इस फिल्म यानी ‘पोन्नियिन सेल्वन’ का पहला भाग सितंबर, 2022 में रिलीज़ हुआ था तो मेरे लिखे रिव्यू की यही हैडिंग थी जो इस दूसरे भाग के रिव्यू की है। दरअसल ‘पोन्नियिन सेल्वन’ एक पूरी फिल्म है जिसकी कहानी काफी लंबी होने के कारण इसे दो भागों में रिलीज़ करना पड़ा। ऐसे में मुनासिब होगा कि आगे बढ़ने से पहले आप इसके पहले भाग का रिव्यू पढ़ लें ताकि आपको यह रिव्यू बेहतर समझ में आ सके-रिव्यू-इतिहास की अनदेखी वीथियों की महागाथा ‘पी एस-1’
और यदि आपने इस फिल्म का पिछला भाग नहीं देखा है तो बेहतर होगा कि पहले उसे देख लें जो आजकल अमेज़न प्राइम पर उपलब्ध है, उसके बाद ही आप इस दूसरे भाग को समझ पाएंगे।
‘पोन्नियिन सेल्वन’ का शाब्दिक अर्थ है पोन्नि का बेटा। पोन्नि यानी कावेरी नदी। असल में दसवीं सदी के दक्षिण भारत के महान चोल साम्राज्य के राजा अरुलमोरी वर्मन यानी राजराजा चोला को इस नाम से भी पुकारा जाता था। चोल राजवंश में एक बार बड़े बेटे की जगह छोटे सुंदर चोल को गद्दी मिली। बरसों बाद उसके बड़े भाई का बेटा मदुरांतकन उठ खड़ा हुआ कि गद्दी तो मेरी है। चोल वंश के विरोधी उसे हवा देने लगे। उधर खुद उसके दोनों बेटे आदित्य करिकालन और अरुलमोरी वर्मन भी गद्दी के हकदार हैं। इनमें से कौन राजा बनेगा और कैसे, यह फिल्म उन्हीं संघर्षों, षडयंत्रों और राजसी दाव-पेंचों की कहानी दिखाती है।
पिछली वाली फिल्म में दिक्कत यह थी फिल्म की शुरूआत में किरदारों व कहानी का परिचय खुल कर नहीं दिया गया था। लेकिन इस बार इस भूल को सुधारा गया है। वैसे भी पिछला भाग देख लेने के बाद कहानी और किरदार तो खुल कर सामने आ ही चुके हैं। इस बार कहानी आगे बढ़ते हुए बताती है कि कैसे कभी आदित्य करिकालन से प्रेम में धोखा खा बैठी रानी नंदिनी चोल साम्राज्य को धूमिल करने की साज़िशों में शामिल है। उसके साथ वीरपांडयन के साथी हैं और मदुरांतकन के लोग भी। ये लोग सुंदर चोल और उसके दोनों बेटों-आदित्य करिकालन व पिछले भाग में समुद्र में डूब कर बच चुके अरुलमोरी यानी पोन्नियिन सेल्वन को मारना चाहते हैं।
ऊपरी तौर पर यह फिल्म भले ही राजप्रासादों और राजपरिवारों में सतत चलने वाले संघर्षों और षडयंत्रों की कहानी कहती हो, भीतर से यह फिल्म इतिहास बनाने वालों और उसकी दिशा मोड़ने वालों के जीवट और जीवन को दिखाती है। साथ ही यह राजनीति में स्त्रियों की भूमिका पर भी गहरी दृष्टि डालती है।
इस फिल्म को देख कर इस बात पर भी गर्व किया जा सकता है कि हम भारतीयों के पास इस स्तर का सिनेमा बनाने का कौशल भी है। फिल्म की लुक, लोकेशन, सैट्स, बिल्कुल वास्तविक लगते वी.एफ.एक्स, अद्भुत सिनेमैटोग्राफी, युद्ध व अन्य एक्शन सीक्वेंस, कास्ट्यूम आदि आपकी आंखों को मोहते हैं। दिव्य प्रकाश दुबे के लिखे हिन्दी संवाद सुहाते हैं और मणिरत्नम का निर्देशन आपको भीतर तक प्रभावित करता है। ए.आर. रहमान का संगीत दक्षिण के फ्लेवर का है लेकिन अच्छा लगता है। गुलज़ार के शब्द अर्थपूर्ण हैं। बैकग्राउंड म्यूज़िक बेहद असरदार है। एडिटिंग ज़ोरदार है, कुछ सीन लंबे खिंचे हुए दिखे।
विक्रम, ऐश्वर्या राय बच्चन, प्रकाश राज, जयम रवि, तृषा कृष्णन, शोभिता धुलिपाला व अन्य सभी कलाकारों का अभिनय जानदार है। पिछले भाग में जहां कार्ति के काम को उभारा गया था, इस बार ऐश्वर्या राय ने प्रभाव छोड़ा है। विक्रम भी बेहद असरदार रहे। तृषा कृष्णन को इस भाग में काफी कम सीन दिए गए।
फिर कहूंगा कि यह फिल्म सिनेमा के पर्दे पर उतारी गई एक ऐसी अद्भुत, अलौकिक, दिव्य और भव्य महागाथा है जो हमें इतिहास की उन अनदेखी वीथियों में ले जाती है जिनके बारे में हमने पढ़ा भले हो, उन्हें जाना नहीं है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-28 April, 2023 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
दुआ जी के इस फ़िल्म पर पिछले रिव्यु की तरह ही यह एक अच्छा रिव्यु है….जैसा की रिव्यु के शीर्षक से ही वाकिफ है की यह फ़िल्म एक गाथा है भारत के इतिहास की… फ़िल्म देखना वाकई अच्छा साबित होगा