• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-भाता है वह ‘मोदी’ तो भाएगी यह ‘मोदी’

Deepak Dua by Deepak Dua
2019/05/24
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-भाता है वह ‘मोदी’ तो भाएगी यह ‘मोदी’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

जिस फिल्म का नाम ‘पी एम नरेंद्र मोदी’ हो और जिसमें करोड़ों लोगों के प्रिय (और करोड़ों के अप्रिय भी) नेता नरेंद्र मोदी की जीवन-यात्रा दिखाई गई हो तो दर्शक उसमें क्या देखना चाहेंगे? इस सवाल के दो जवाब हो सकते हैं। पहला यह कि मोदी-समर्थक इस फिल्म में मोदी की महिमा का मंडन और उनका प्रशस्ति-गान देखना चाहेंगे और दूसरा यह कि मोदी-विरोधी इसे… देखना ही क्यों चाहेंगे? तो कुल जमा निष्कर्ष यह कि जब यह फिल्म देखनी ही मोदी समर्थकों ने है तो इसमें ऐसा कुछ क्यों डालना जो मोदी-विरोधियों को खुश करे? और जब इसे मोदी-विरोधियों ने देखना ही नहीं है तो क्यों न इसमें ऐसी चीज़ें भरपूर मात्रा में डाली जाएं जो मोदी-समर्थकों को रास आएं? और जब रास आने वाली चीज़ें ही डालनी हैं तो फिर क्या तो सिर, क्या पैर, क्या तो लॉजिक और क्या तथ्य!

छुटपन में वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते बाल नरेंद्र के बड़े होकर संघ की शाखा में जाने, फिर तपस्या करने के लिए हिमालय का रुख करने, लौट कर समाज-सेवा और देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने, गुजरात का मुख्यमंत्री बनने और फिर देश के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने तक की इस कहानी में नरेंद्र मोदी के जीवन के तमाम उजले और मज़बूत पक्ष दिखाए गए हैं और इस तरह से दिखाए गए हैं कि एक आम दर्शक इससे प्रेरित हो सकता है, उद्वेलित हो सकता है, रोमांचित हो सकता है और चाहे तो भावुक भी हो सकता है।

दरअसल यह फिल्म है ही ऐसी कि अगर इसे किसी एक रंग के चश्मे से देखा जाए तो यह साफ तौर पर मोदी के पक्ष में एकतरफा झुकी हुई दिखती है। इसीलिए मोदी-समर्थकों को इस फिल्म में अपने नायक की उजली और सशक्त छवि भाएगी और मोदी-विरोधियों को यही बात चुभेगी। लेकिन अगर इस फिल्म को एक बायोपिक न मान कर, एक व्यक्ति की जीवन-गाथा न मान कर, एक आम कहानी की तरह से देखा जाए तो यह आपको पसंद आ सकती है और बांधे भी रख सकती है। एक ऐसा शख्स जिसने हमेशा खुद से बढ़ कर दूसरों के बारे में सोचा, परिवार से ऊपर समाज और देश को रखा, बिल्कुल नीचे से उठ कर देश के तख्त पर जा बैठा, उसकी इस कहानी से, चाहें तो प्रेरणा ली जा सकती है। चाहें तो…!

फिल्म की पटकथा साधारण है लेकिन वह इसकी कहानी और इसे बनाने वालों की नीयत को समर्थन देती है। निर्देशक ओमंग कुमार कहानी को कायदे से कह पाते हैं। फिल्म बहुत कम समय में फटाफट बनी है इसलिए देहरादून के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट की बिल्डिंग (फिल्म ‘स्टुडैंट ऑफ द ईयर’ का कॉलेज) में ही गुजरात के मुख्यमंत्री का ऑफिस, गुजरात भाजपा का ऑफिस, प्रधानमंत्री का ऑफिस और तमाम दूसरे ऑफिस बना दिए गए। फटाफट काम करने में जो लापरवाहियां, चूकें वगैरह हो सकती हैं, वे भी इस फिल्म में भरपूर हैं। मोदी बने विवेक ओबरॉय ने उनकी नकल न करके समझदारी दिखाई और अपने काम से प्रभावित किया। उनकी मां के रोल में ज़रीना वहाब असरदार रहीं। अमित शाह बने मनोज जोशी खुद गुजराती होने के चलते ज़्यादा प्रभाव छोड़ पाए। दो-एक गाने भी अच्छे हैं।

इस फिल्म को ‘फिल्म’ समझ कर देखें तो यह सुहाएगी। अगर सिर्फ मीनमेख निकालने और अपना खून जलाने के लिए ही देखनी है तो फिर क्यों वक्त और पैसे बर्बाद करने?

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-24 May, 2019

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: anjan srivastavBoman Iranimanoj joshiomung kumarPM Narendra Modi reviewrajender guptasuresh oberoivivek oberoizarina wahabमोदी
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-रिश्तों का रंगीन पंचनामा-‘दे दे प्यार दे’

Next Post

रिव्यू-‘बेबी’ का बेबी-संस्करण है ‘इंडियाज़ मोस्ट वांटेड’

Related Posts

रिव्यू-मन में उजाला करते ‘सितारे ज़मीन पर’
CineYatra

रिव्यू-मन में उजाला करते ‘सितारे ज़मीन पर’

रिव्यू-खोदा पहाड़ निकला ‘डिटेक्टिव शेरदिल’
CineYatra

रिव्यू-खोदा पहाड़ निकला ‘डिटेक्टिव शेरदिल’

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’
CineYatra

रिव्यू-चैनसुख और नैनसुख देती ‘हाउसफुल 5’

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’
CineYatra

रिव्यू-भव्यता से ठगती है ‘ठग लाइफ’

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…
CineYatra

रिव्यू-‘स्टोलन’ चैन चुराती है मगर…

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-सपनों के घोंसले में ख्वाहिशों की ‘चिड़िया’

Next Post
रिव्यू-‘बेबी’ का बेबी-संस्करण है ‘इंडियाज़ मोस्ट वांटेड’

रिव्यू-'बेबी' का बेबी-संस्करण है ‘इंडियाज़ मोस्ट वांटेड’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment