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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-तुच्छ इंसानों के लिए नहीं बनी है ‘फोन भूत’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/11/05
in फिल्म/वेब रिव्यू
10
रिव्यू-तुच्छ इंसानों के लिए नहीं बनी है ‘फोन भूत’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

बहुत शिकायत रहती है न आपको हिन्दी फिल्मों से, कि कुछ अलग नहीं आता, कुछ हट के वाला कंटैंट नहीं है इनके पास। तो लीजिए, आपकी शिकायत दूर करने के लिए यह फिल्म आ गई है। और वह भी फरहान अख्तर जैसे बड़े निर्माता के बैनर से जिसमें कैटरीना कैफ, जैकी श्रॉफ जैसे बड़े स्टार हैं और सिद्धांत चतुर्वेदी, ईशान खट्टर जैसे चमकीले चिकने चेहरे भी। एक हॉरर, सुपरनैचुरल कॉमेडी है यह फिल्म। ऐसी फिल्में कभी बनती थीं क्या हिन्दी सिनेमा में? नहीं न…! यह बनी है। तो जाइए देखिए। बस, इससे आगे रिव्यू मत पढ़िएगा, क्योंकि कभी-कभी दूर से दिख रहा गुड़, गोबर भी हो सकता है।

इस फिल्म की कहानी यह है कि…! अजी, कहानी हर फिल्म में होती है जिसे बाकायदा लेखक नाम का कोई प्राणी लिखता है। हां तो, इस फिल्म में भूतों के दीवाने दो निठल्ले युवक मेजर और गुल्लू भूतिया थीम की पार्टियां करते हैं लेकिन फ्लॉप रहते हैं। एक भूतनी (सच्ची वाली) रागिनी उन्हें आइडिया देती है कि चलो मिल कर लोगों के अंदर से भूत निकालें। तुम्हें पैसा मिलेगा और मुझे मोक्ष… मोख… मोक्ख… छोड़िए। लेकिन इनकी राह में आ जाता है तांत्रिक आत्माराम और उसके पाले हुए भूतिए।

ऐसी कहानी सचमुच हिन्दी के पर्दे पर नहीं आई है। इसलिए इसे लिखने वालों-रवि शंकरन और जसविंदर सिंह बाठ की सराहना होनी चाहिए। हालांकि जिस तरह से इन्होंने इसे लिखा है उसके लिए सराहना करने के डेढ़ मिनट बाद उनसे कलम छीन कर उन्हें अगले कुछ महीनों के लिए किसी लेखनाश्रम में भी भेज देना चाहिए। (बैन लगाने का सिस्टम तो है नहीं न अपने यहां)। सराहना इसके निर्देशक गुरमीत सिंह की भी होनी चाहिए। इस किस्म की कचरा स्क्रिप्ट और दस्त लगे संवादों के साथ फिल्म बनाने के लिए हां करना हिम्मत का काम है, भले ही इसके लिए मोटी फीस ही क्यों न मिल रही हो। वैसे गुरमीत सिंह की बजाय इस फिल्म को गुरमीत राम रहीम सिंह बनाते तो यह शायद बेहतर बनती। (तब इसमें लव चार्जर… जैसा कोई गाना भी होता) लेकिन असली सराहना के हकदार तो इसके निर्माता हैं जो बड़े पर्दे पर इतना बड़ा कचरा बिखेरने की हिम्मत रखते हैं। सलाम पहुंचे।

चलिए एक्टिंग की बात करें। रुकिए, क्यों करें? जिस फिल्म में सर से पांव तक कचरा भरा हो, उसमें एक्टिंग की बात करके भी हम-आप कौन-सा झाड़ उखाड़ लेंगे। छोड़िए।

यह एक ऐसी हॉरर-कॉमेडी है जो न डरा पाती है, न हंसा। हां, सुला ज़रूर सकती है, चाहें तो ट्राई करें। असल में तो यह फिल्म इस तुच्छ धरती के तुच्छ इंसानों के लिए बनी ही नहीं है। इसे भूत-पिशाचों को ही देखने दीजिए, शायद उन्हें कुछ अपनापन महसूस हो।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-04 November, 2022 in theaters.

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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Comments 10

  1. Mohit K Bagriya says:
    5 months ago

    Epic Review Sirr 😜

    Reply
    • CineYatra says:
      5 months ago

      Thanks…

      Reply
  2. Dr. Renu Goel says:
    5 months ago

    Apke review ne fir se bcha lia
    Tussi Great ho sir g

    Reply
    • CineYatra says:
      5 months ago

      शुक्रिया

      Reply
  3. पवन शर्मा says:
    5 months ago

    ऐसी ईमानदार फिल्मी समीक्षा लिखकर दर्शकों को अपने फिल्मी-ज्ञान रूपी प्रकाश से सही राह एक “दीपक” ही दिखा सकता है।

    Reply
    • CineYatra says:
      5 months ago

      धन्यवाद

      Reply
  4. Rishabh Sharma says:
    5 months ago

    फिल्म का शीर्षक, उसकी स्टार कास्ट और तमाम झालम झोल ये सब बातें फिल्म के प्रति कोई उम्मीद वैसे ही नहीं जगाती बाकी कसर दीपक दुआ जी के रिव्यू ने पूरी कर दी है!! खैर… जिन दर्शको ने ये फिल्म देख ली है वो गुड गोबर का मतलब समझ गए होंगे और बाकी लोग समीक्षा पढ़ कर इसे झेलने से बच गए! धन्यवाद दीपक दुआ जी

    Reply
    • CineYatra says:
      5 months ago

      शुक्रिया

      Reply
  5. Yachna says:
    5 months ago

    👏👏👏👏👏👏kya review diya hai sir jii 😁

    Reply
    • CineYatra says:
      5 months ago

      Shukriya…

      Reply

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