-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
अभिनेता कन्हैयालाल का नाम सुना है आपने? मुमकिन है इस सवाल पर नई पीढ़ी उलटे यही पूछ बैठे कि कौन कन्हैयालाल? और यदि उन्हें बताया जाए कि वही कन्हैयालाल जिन्होंने फिल्म ‘मदर इंडिया’ में सूदखोर, दुष्ट सुक्खी लाला का किरदार निभाया था तो हो सकता है कुछ सिनेप्रेमी उन्हें पहचान लें। लेकिन वह कन्हैयालाल आखिर थे कौन, किस कद के अभिनेता थे, यह शायद ही उन्हें मालूम हो। निर्देशक पवन कुमार व मुकेश सिंह की यह डॉक्यूमैंट्री यही बताने आई है।
1910 में बनारस में जन्मे कन्हैयालाल चतुर्वेदी के बारे में बड़े ही रोचक तरीके से यह डॉक्यूमैंट्री सब कुछ बताती चलती है। हैरानी होती है यह जान कर कि जिस अभिनेता ने हिन्दी सिनेमा को इतना अधिक समृद्ध किया वह दरअसल अपनी मां के कहने पर अपने एक्टर बनने आए अपने बड़े भाई पंडित संकटाप्रसाद की खोज-खबर लेने मुंबई आया था और यहीं का हो कर रह गया। हैरानी यह जान कर भी होती है कि कन्हैयालाल एक्टिंग की बजाय लेखन में ज़्यादा दिलचस्पी रखते थे और यहां उनके कैरियर की शुरुआत फिल्म ‘साधना’ के लिए गीत लिखने से हुई थी। ऐसी ढेरों बातें इस डॉक्यूमैंट्री के ज़रिए सामने आती हैं जिसके लिए कन्हैयालाल की बेटी हेमा सिंह का किया रिसर्च वर्क काफी काम आया है।
सिने-उद्योग के बहुत सारे लोगों ने इस डॉक्यूमैंट्री में कन्हैयालाल को याद किया है। अमिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, बोमन ईरानी, बोनी कपूर, जॉनी लीवर, पंकज त्रिपाठी, बीरबल, जावेद अख्तर, अनुपम खेर, पेंटल, रणधीर कपूर, सलीम खान जैसे लोगों की बातों के बाद यह सच भी सामने आता है कि किस तरह से हम, हमारा सिने-उद्योग, हमारा समाज अपने कलाकारों को भुला देता है। इतिहास को हम याद तो करते हैं, लेकिन उसे सहेज-संजो कर नहीं रखना चाहते और यही कारण है कि कन्हैयालाल जैसे अप्रतिम अभिनेता वक्त की आंधी में बिसरा दिए गए। इस डॉक्यूमैंट्री को बनाने वाली पूरी टीम सराहना की हकदार है। जिस तरह से इस डॉक्यूमैंट्री में अभिनेता कन्हैयालाल के जीवन को अंदर-बाहर से खंगाला गया है उससे यह सहेज कर रखा जाने वाला एक दस्तावेज बन गई है। ‘पहन के धोती कुर्ते का जामा…’ गीत में तो कन्हैयालाल की पूरी छवि ही निकल कर सामने आई है।
लेकिन कुछ एक कमियां भी झलकती हैं इस डॉक्यूमैंट्री में। एंकर कृप कपूर सूरी कमज़ोर लगे। उनकी शैली में सौम्यता अधिक होनी चाहिए थी। उन्हें बोलने को दिए गए वाक्य कई जगह बहुत लंबे लगे और अनावश्यक उर्दू से लबरेज़ भी। वॉयस में हल्की गड़बड़ दिखी और उच्चारण में भी। गीत बस एक ही होता तो ठीक था। कुछ दृश्य अनावश्यक, आउट ऑफ ट्रैक लगते हैं। उनकी फिल्मों के नाम पर ‘मदर इंडिया’ के अलावा किसी अन्य का बस ज़िक्र भर होने से एकरसता भी महसूस हुई। कैमरा वर्क उम्दा रहा।
एम एक्स प्लेयर पर आई इस डॉक्यूमैंट्री को यहां क्लिक कर के मुफ्त में देखा जा सकता है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह डॉक्यूमैंट्री कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-25 November, 2022 at MX Player
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)