-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
70 के दशक में ‘बिकनी किलर’ के नाम से मशहूर हुए और बाद में दिल्ली की तिहाड़ जेल से सभी को नशीला खाना खिला कर फरार होने वाले चार्ल्स के बारे में हर किसी की अपनी राय हुआ करती थी। किसी के लिए वह इंसानियत का दुश्मन था तो किसी के लिए मासूम। किसी को वह बेहद शातिर दिमाग वाला लगता था तो किसी को उस पर तरस आता था। प्रवाल रमन की यह फिल्म चार्ल्स की पूरी ज़िंदगी का खाता खोलने की बजाय कुछ एक चैप्टर उठाती है और उनमें बड़ी ही गहराई के साथ झांकती है। हालांकि थ्रिलर फिल्मो में जिस तरीके से कहानी दिखाई जाती है, वह यहां नहीं है और इसी वजह से इंटरवल तक यह फिल्म काफी कन्फ्यूज़ भी करती है। साथ ही इसमें बहुतेरे अंग्रेज़ी संवाद हैं जो काफी सारे लोगों को अखर सकते हैं। लेकिन दो वजहां से यह फिल्म देखने लायक है। पहली तो यह कि इसे लीक से हट कर बनाया गया है जो आपको बांधे रखता है। दूसरी वजह है चार्ल्स बने रणदीप हुड्डा और पुलिस अफसर अमोद कंठ बने आदिल हुसैन का शानदार अभिनय।
चार्ल्स की रहस्यमयी ज़िंदगी की ही तरह यह फिल्म भी काफी रहस्यमयी आवरण ओढ़े हुए है। तसल्ली से बैठ कर गंभीर फिल्में देखने वाले लोगों को यह ज़्यादा भाएगी। पॉपकॉर्न-कोल्ड ड्रिंक के साथ इसे समझ पाना मुश्किल है।
अपनी रेटिंग-तीन स्टार
(नोट-मेरा यह रिव्यू इस फिल्म की रिलीज़ के समय किसी अन्य पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था)
Release Date-30 October, 2015
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)