-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
इंटरनेट और मोबाइल फोन के बढ़ते दखल के बाद यह माना जाने लगा है कि आज के समय में यदि सबसे सेंसिटिव कोई चीज़ है तो वह है आपका डाटा। और जिस इंसान के पास सबसे ज़्यादा लोगों का डाटा होगा, वह न सिर्फ सबसे अमीर होगा बल्कि सबसे ताकतवर भी होगा। यह फिल्म ‘आइरा’ (जिसे अंग्रेज़ी में IRaH – The Immortality App लिखा गया है) इसी डाटा की लड़ाई और इसके लिए हो रही साज़िशों की बात करती है।
फिल्म ‘आइरा’ (IRaH – The Immortality App) दिखाती है कि लंदन में एक नामी बिज़नेसमैन हरि सिंह दो दिन बाद आइरा नाम से एक नया ऐप लांच करने वाला है जिसके ज़रिए कोई भी अपनी आवाज़, फोटो, वीडियो आदि की मदद से अपना अवतार बना सकता है जो उसके दुनिया से जाने के बाद भी ज़िंदा रहेगा। लेकिन हरि सिंह कुछ खुराफात कर रहा है और उसके दुश्मन उसे उठा लेते हैं। अब शुरू होता है एक खतरनाक खेल जिसमें एक-एक कर के हरि सिंह के करीबी लोग मरने लगते हैं। क्या वजह हो सकती है? कौन कर रहा है यह सब?
फिल्म ‘आइरा’ (IRaH – The Immortality App) की कहानी बेशक दिलचस्प है। लेकिन इसे बहुत ही औसत ढंग से फैलाया और समेटा गया है। फिल्म की सबसे कमज़ोर चीज़ है इसकी स्क्रिप्ट जो कि बहुत ही बचकाने अंदाज़ में लिखी गई है। कहानी कहां से उठ कर कब, कहां, किस करवट जा बैठती है, इसका पता ही नहीं चलता। स्क्रिप्ट राईटिंग की बेसिक चीज़ों से परे है इस फिल्म की लिखाई। ऊपर से फिल्म में इतनी सारी तकनीकी बातें हैं कि एक आम दर्शक को कुछ पल्ले ही नहीं पड़ता। सैम भट्टाचार्जी का डायरेक्शन बहुत हल्का है। उन्हें न तो कायदे से सीन बनाने आए और न ही अपने कलाकारों से काम निकलवाना। इस कहानी को और अधिक सधे हुए लेखक, निर्देशक मिलते तो यह कमाल हो सकती थी। संवाद पैदल हैं। वैसे भी हिन्दी वालों को यह फिल्म अखरेगी क्योंकि इसमें अंग्रेज़ी बहुत ज़्यादा है।
फिल्म ‘आइरा’ (IRaH – The Immortality App) की शूटिंग विदेश में हुई है और इसमें ज़्यादातर कलाकार या तो विदेशी हैं या फिर विदेश में बसे हुए भारतीय। हरि सिंह बने रोहित बोस रॉय बहुत ही ओवर लगे। राजेश शर्मा जैसे काबिल अभिनेता भी इसमें लाचार दिखे हैं। फागुन ठकरार, करिश्मा कोटक आदि ठीक-ठाक रहे। एक-दो गाने अच्छे हैं।
फिल्म ‘आइरा’ (IRaH – The Immortality App) दुनिया को ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस यानी कृत्रिम बुद्धिमता) के खतरों से आगाह तो करती है, आपको सचेत भी करती है कि अपने मोबाइल में हर ऐप को बिना जाने-समझे हर परमिशन न दिया कीजिए। लेकिन यह फिल्म एक एक अच्छे, दिलचस्प विषय के साथ-साथ उन संसाधनों को भी बर्बाद करती है जो इसे बनाने वालों को सहजता से मिल गए होंगे।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-05 April, 2024 in theaters
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)