-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)
हत्याओं की जांच करने वाली यूनिट ‘हिट’ का एक काबिल पुलिस इंस्पैक्टर है विक्रम। पेचीदा केस चुटकियों में सुलझा लेता है। अपने स्याह अतीत से जूझते विक्रम को उस समय एक और झटका लगता है जब उसकी गर्लफ्रैंड नेहा अचानक गायब हो जाती है। वह पाता है कि नेहा के गायब होने के तार कुछ दिन पहले शहर के एक हाईवे से गायब हुई लड़की पूजा से मिल रहे हैं। वह जांच शुरू करता है तो केस और उलझता चला जाता है। धीरे-धीरे राज़ खुलने शुरू होते हैं। अंत में जो सच सामने आता है वह चौंकाता है।
दो बरस पहले आई तेलुगू की इसी नाम की अपनी फिल्म को डायरेक्टर शैलेश कोलानु अब हिन्दी में अलग कलाकारों के साथ लेकर आए हैं। दो-एक बदलाव के अलावा कहानी लगभग वही है जो मूल फिल्म में थी। इस किस्म की मिस्ट्री फिल्मों में काफी तार्किक और कसी हुई पटकथा की दरकार होती है और बतौर लेखक शैलेश इस काम को बखूबी कर गए हैं। फिल्म का हीरो उम्मीद जगाता है। अपने-आप से लड़ रहे नायक के सामने बार-बार वही हालात आते हैं जिनसे वह बचना चाहता है। लेकिन वह भागने की बजाय जूझने का रास्ता चुनता है।
साइक्लॉजिकल थ्रिलर का आनंद देती इस फिल्म को शैलेश ने निर्देशित भी कायदे से किया है। हालांकि कुछ एक दृश्य खिंचे हुए लगते हैं। मूल फिल्म की फ्रेम-टू-फ्रेम कॉपी बनाने की बजाय किसी बाहरी शख्स की मदद लेकर इसे कसा जा सकता था। बावजूद कुछ हल्की कमियों के यह फिल्म बांधे रखती है और आप एक भी सीन मिस नहीं कर सकते। फिल्म अपने सीक्वेल की गुंजाइश भी रखती है क्योंकि अभी नायक-नायिका की कहानी से कई पर्दों का हटना बाकी है।
इस किस्म की फिल्मों में दो तरह के किरदार होते हैं-एक वे जिन पर बार-बार शक जाता है और दूसरे वे जो एकदम क्लीन होते हैं, ताकि उलट-फेर की गुंजाइश बनी रहे। यहां भी इस पैंतरे को इस्तेमाल किया गया है। राजकुमार राव ने अपने रोल को कस कर पकड़ा है। उनकी एक्टिंग सचमुच वजनी रही है। सान्या मल्होत्रा के हिस्से में कुछ खास था नहीं सो उनका काम भी महसूस नहीं होता। अखिल अय्यर, जतिन गोस्वामी, मिलिंद गुणाजी, दिलीप ताहिल, शिल्पा शुक्ला व अन्य कलाकार जंचे। गाने ठीकठाक हैं। राजस्थान की लोकेशन कहानी का हिस्सा बनती हैं और कैमरा अपना काम ईमानदारी से करता है।
थ्रिल जगाने वाली, रहस्य छुपाने वाली, राज़ बेपर्दा करने वाली, बेचैनी बढ़ाने वाली फिल्में पसंद हों, और मूल फिल्म न देखी हो, तो इस फिल्म को देखा जा सकता है।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-15 July, 2022
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
ठीक है भाईसाब, तो फिर देखी जायेगी ये फिल्म 🙂
Amazing review sir.
thanks dear…
Thanks a lot! Deepak ji toh aapka kehna hai ki yeh film dekhi jaani chahiye… Ab aapki baat toh maan ni hi hogi….
थैंक्स…
राजकुमार राव तो हर बार बेहतरीन होते ही हैं , बढ़िया रिव्यु है 💐
धन्यवाद…