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Home यात्रा

यात्रा : गुजरात में गरबा देख अचंभित हुए हम

Deepak Dua by Deepak Dua
2018/10/27
in यात्रा
0
यात्रा : गुजरात में गरबा देख अचंभित हुए हम
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-दीपक दुआ…
हे आवी नव नवरात्रि रे… हे गरबे घूमे नर-नारी रे…

नवरात्रि यानी गरबा और गरबा यानी गुजरात। गुजरात टूरिज़्म की तरफ से इस बरस नवरात्रि-उत्सव देखने और कवर करने का न्योता आया तो मन में डांडिया की धुन और गरबा की गूंज सुनाई देने लगी थी। सच कहूं तो इससे पहले मैंने डांडिया या गरबा सिर्फ फिल्मी पर्दे पर ही देखा था। और वैसे भी दिल्ली में रहने वाले मुझ जैसे पंजाबी शख्स के लिए डांस का मतलब भांगड़ा होता है, गरबा नहीं।

10 अक्टूबर, 2018-यानी पहले ही नवरात्र के दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आए हम कुछ ट्रैवल-राइटर और फोटो-जर्नलिस्ट अहमदाबाद पहुंच चुके थे। शाम को जी.एम.डी.सी. ग्राउंड में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस उत्सव का उद्घाटन करना था जिसके लिए आम लोग गुजरात टूरिज़्म की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। मन में ख्याल आया कि किसी सरकारी उत्सव के प्रति आम लोगों में भला क्या उत्सुकता होती होगी। सरकारी आयोजनों में आमतौर पर वादे, इरादे, प्रचार और प्रपंच देखते आए हम लोगों को सबसे पहला अचंभा तब हुआ जब हम शाम को तय समय से पहले ही समारोह-स्थल पर पहुंच गए। ग्राउंड के इस छोर से उस छोर तक फैले इंतजाम को फाइनल टच दिया जा रहा था। साफ-सफाई और व्यवस्था अपने चरम पर थी। इतना बड़ा ग्राउंड, कि एक कोने से दूसरे कोने तक जाने में भी आलस आए। कहीं गुजरात के प्रसिद्ध पर्यटन-स्थलों के मॉडल प्रदर्शित थे, कहीं फव्वारे चल रहे थे। लाइटिंग की व्यवस्था तो ऐसी कि रात में भी आंखें चुंधिया जाएं। कहीं खाने-पीने की दुकानें तो कहीं हस्तशिल्प, कपड़े, इत्र और न जाने क्या-क्या। यहीं मेरी मुलाकात उन जॉली बेन से भी हुई जिनकी दुकान से मैंने इसी जनवरी में पतंग-महोत्सव के दौरान कुछ कुर्ते लिए थे।

गुजरात के पर्यटन मंत्री गणपत सिंह वसावा से हमारी मुलाकात हुई और हममें से एक फीमेल सोलो ट्रैवलर ने उनसे गरबा के दौरान महिला-सुरक्षा के बारे में पूछ भी लिया। सवाल वाजिब था क्योंकि गरबा-आयोजन देर रात तक चलते हैं और इनमें ज़्यादातर युवतियां ही हिस्सा लेती हैं। जवाब मिला कि सिर्फ नवरात्रि के दिनों में ही नहीं, आप वैसे भी गुजरात आकर देखिए, यहां लड़कियां देर रात तक अकेली सड़कों पर बेखौफ होकर गुजरती हैं। यह बात पहले भी सुनी थी और इसकी तस्दीक अगली तीन रातों में हो गई जब हमने अहमदाबाद और वडोदरा में सचमुच देर रात तक और सुनसान सड़कों पर लड़कियों को अकेले आते-जाते देखा। मुझ दिल्ली वाले के लिए यह भी किसी अचंभे से कम नहीं था।

मुख्यमंत्री आए और एक प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद उन्होंने नवरात्रि-उत्सव की शुरूआत की। इसके बाद वहां स्टेज पर जो रंगारंग कार्यक्रम पेश किए गए, वे वहां मौजूद हज़ारों लोगों को देर तक बांध कर बिठाने के लिए काफी थे। बिना किसी अड़चन, बिना किसी असमंजस के, एक के बाद एक आते ये कार्यक्रम यह बताने के लिए काफी थे कि गुजरात टूरिज़्म किस कदर प्रोफेशनल तरीके से ऐसे भव्य आयोजनों को अंजाम देता है। इस आयोजन की एक झलक देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं। लेकिन अभी भी हमें गरबा को करीब से देखने का मौका नहीं मिला था। हमें बताया गया कि दो दिन बाद हम वडोदरा में वह गरबा देखेंगे जो दुनिया का सबसे बड़ा गरबा-आयोजन होता है।

उस शाम जब हम वडोदरा के नवलक्खी ग्राउंड में पहुंचे तो वहां मौजूद भीड़ को देख कर हैरान हो गए। सड़कों पर गुजरात पुलिस और ट्रैफिक पुलिस के लोग सारे इंतज़ाम संभाल रहे थे और कहीं भी कोई अफरातफरी नहीं थी। पता चला कि यहां होने वाला गरबा ‘युनाइटेड वे ऑफ़ बड़ौदा’ नाम की एक संस्था पिछले कई साल से आयोजित कर रही है और इससे होने वाली आमदनी सामाजिक कामों में खर्च की जाती है। यह भी पता चला कि इस गरबा में भाग लेने और इसे देखने के लिए लोगों, खासकर युवाओं में ज़बर्दस्त दीवानगी है और वे हफ्तों पहले से इसकी टिकटों की जुगत में लग जाते हैं। यही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों तक से लोग इस गरबा आयोजन में भाग लेने और इसे देखने के लिए पहुंचते हैं।

करीब घंटे भर के इंतज़ार के बाद हमें मीडिया-पास मिला और हम ग्राउंड के अंदर पहुंचे। रात के 10 बज चुके थे। लेकिन यह क्या, इतनी भीड़…! ग्राउंड के बाहर जितने लोग थे, उससे कहीं ज़्यादा अंदर लगी दुकानों पर खा-पी रहे थे मगर धक्का-मुक्की, बदतमीज़ी का कोई आलम नहीं। लेकिन असली अचंभा तो अभी हमें देखना था। जब हम इस ग्राउंड के भी अंदर बने एक और ग्राउंड में पहुंचे तो देखा चारों तरफ लोगों का हुजूम आराम से बैठ या खड़े होकर बीच मैदान में गरबा कर रहे लोगों को देख रहा है, आनंदित हो रहा है। और बीच मैदान का जा नज़ारा हमने देखा, वो न तो भुलाए जाने लायक है और न ही शब्दों में बयान करने लायक। चारों तरफ सिर ही सिर। लग रहा था जैसे इंसानों का कोई समुंदर है जो यहां से वहां, वहां से यहां हिलोरें ले रहा है। जिस किनारे पर हम खड़े हुए थे वहां से मैदान के केंद्र तक भी हमारी नज़रें नहीं जा रही थीं। इसी केंद्र में वो मंच बना हुआ था जहां से विश्वविख्यात गरबा-गायक अतुल पुरोहित अपनी मंडली के साथ बिना रुके लुभावने भजन गा रहे थे और जिनकी ताल पर झूमते ये हज़ारों नर-नारियां पूरे मैदान का चक्कर लगाते हुए गरबा कर रहे थे।

एक साथ हज़ारों लोग, एक ही ताल, एक ही लय में, एक ही तरह से नाच रहे थे। सभी के सभी पारंपरिक गुजराती पोशाकों में। चोली-घाघरा, केडिया, पगड़ी। गरबा करने की इजाज़त सिर्फ पारंपरिक परिधानों में ही है। हां, कुछ युवाओं ने अपनी पगड़ी पर लाइट्स लगाई हुई थीं तो युवतियों का एक ग्रुप काले चश्मे लगाए अपना स्वैग दर्शा रहा था। बीच-बीच में कुछ देर के लिए मैदान की लाइट्स बंद कर दी जातीं तो नाच रहे हज़ारों युवाओं के हाथों में मौजूद उनके मोबाइल फोन की फ्लैश लाइटें चमकने लगतीं।

अद्भुत नज़ारा था। सच कहूं तो ‘अद्भुत’ शब्द भी इस नज़ारे की व्याख्या करने के लिए कम लग रहा था। रात के ठीक 11 बजते ही गरबा समाप्त कर दिया गया। अतुल पुरोहित ने वहां मौजूद सभी लोगों को पानी बर्बाद न करने की शपथ दिलाई। किसी ने बताया कि रोज़ाना के आयोजन के बाद वह लोगों को ऐसी ही कोई शपथ दिलाते हैं। वडोदरा के इस अद्भुत गरबा की झलक देखने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।

अब हमारा रुख अपने होटल की तरफ था। लेकिन पता चला कि सभी पैदल वालों के जाने के बाद ही पार्किंग से वाहन निकालने की इजाज़त होगी। हज़ारों की तादाद में युवक-युवतियां, बच्चे, बुजुर्ग अपने-अपने घरों की तरफ जा रहे थे लेकिन कोई अव्यवस्था नहीं। कोई मारामारी नहीं। कुछ देर बाद हम भी अपनी बस में थे। वडोदरा से लौटे कई दिन हो चुके हैं। लेकिन उस अद्भुत गरबा के नज़ारे ज़ेहन पर कब्ज़ा जमाए बैठे हैं। इंतज़ार है, ख्वाहिश है, सपना है, फिर किसी बरस यहां जाऊं, सुधबुध खोकर यह गरबा देखूं और संग-संग गुनगुनाऊं–‘‘शरद पूनम नी रातड़ी, ओ हो… चांदनी खिली छे भली-भांत नी…
तू ना आवे तो श्याम… रास जामे ना श्याम… रास रमवाने वहलो आव आव आव श्याम… रास रमवाने वहलो आवजे…!

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिजाज़ से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Atul PurohitDandiaGarbaGMDC GroundGujarat TourismNavlakhiNavratri UtsavUnited Way of BarodaVadodara Garbaयात्रा
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