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Home फिल्म/वेब रिव्यू

वेब-रिव्यू : ‘फर्ज़ी में मनमर्ज़ी करते हैं राज-डी.के.

Deepak Dua by Deepak Dua
2023/02/10
in फिल्म/वेब रिव्यू
4
वेब-रिव्यू : ‘फर्ज़ी में मनमर्ज़ी करते हैं राज-डी.के.
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

निर्देशक जोड़ी राज-डी.के. के खाते में ‘द फैमिली मैन’ वेब रिव्यू-रोमांच की आंच में तप कर निकला ‘फैमिली मैन 2’ जैसी शानदार वेब-सीरिज़ दर्ज़ है। ऐसे में उनके अगले काम से बड़ी उम्मीदें लगना स्वाभाविक है। और जब इस नए काम में हिन्दी के शाहिद कपूर व तमिल के विजय सेतुपति जैसे स्टार भी हों तो ये उम्मीदें और बड़ी हो उठती हैं। पर क्या राज-डी.के., उनकी टीम और इनकी बनाई यह वेब-सीरिज़ ‘फर्ज़ी’ इन उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी उतर पाई…?

सन्नी कमाल का आर्टिस्ट है। यह गुण उसे अपने नाना से मिला है जो उसूलों और सिद्धांतों वाले इंसान हैं और ‘क्रांति पत्रिका’ नामक एक अखबार निकालते हैं। लेकिन यह अखबार और उनकी प्रिंटिंग प्रैस गले तक कर्ज़ में डूबी हुई है। सन्नी ओरिजनल से बेहतर डुप्लिकेट बना सकता है। वह बनाता भी है-डुप्लिकेट यानी फर्ज़ी नोट। दो-चार नहीं, करोड़ों रुपए। उधर देश में फर्ज़ी नोटों को पकड़ने के लिए माइकल और उसकी टीम दिन-रात एक किए हुए हैं। सन्नी पर अब मंसूर भाई का हाथ है। मगर बुरे काम का बुरा नतीजा तो एक दिन निकलना ही था न।

कहानी में नयापन सिर्फ इतना ही है कि इस बार ड्रग्स, हथियारों या आतंक की बजाय फर्ज़ी नोटों की पृष्ठभूमि है जिसमें एक तरफ इन्हें बनाने-फैलाने वाले लोग हैं और दूसरी तरफ उन्हें रोकने-पकड़ने वाले। बाकी तो कुछ दिलचस्प किरदार गढ़ कर और उन किरदारों की बैक-स्टोरी डाल कर कहानी को वजनी बनाने का प्रयास किया गया है। इस कोशिश में यह सीरिज़ दिलचस्प और मनोरंजक तो हुई है लेकिन इससे यह काफी भारी भी हुई है और लंबी भी। लंबी तो यह इतनी है कि लगभग एक-एक घंटे के आठ एपिसोड हैं जिन्हें पूरा-पूरा देखना सचमुच भारी हिम्मत का काम है। ऐसे ढेरों सीन हैं जो गैर-ज़रूरी लगते हैं, खिंचे हुए लगते हैं और आकर चलती कहानी को थामने का काम करते हैं। अपने काम से इतना भी मोह नहीं रखना था राज-डी.के. साहब आप को। आगे आप की मर्ज़ी

शाहिद कपूर ने असरदार काम किया है। अधिकांश समय वह कम बोले हैं और ज़रूरत पर ही अपनी एनर्जी दिखाते हैं। फिरोज़ के किरदार में भुवन अरोड़ा ने उम्दा, पुरस्कार के काबिल काम किया है। विजय सेतुपति को देखना सुकून पहुंचाता है और राशि खन्ना को देख कर ठंडक मिलती है। ज़ाकिर हुसैन, के.के. मैनन, चितरंजन गिरी, रेजिना कसांद्रा जैसे सभी कलाकार अपने किरदारों में फिट दिखते हैं। वरिष्ठ अभिनेता अमोल पालेकर को देखना एक यादगार अनुभव है। उनके और शाहिद के बीच के डायलॉग कुछ जगह बहुत अच्छे हैं। सिखाते हैं, प्रभावित करते हैं।

राज-डी.के. का निर्देशन तो असरदार रहता ही है लेकिन इस सीरिज़ में भी वह ‘द फैमिली मैन’ की छाया से निकल नहीं पाए हैं। देश के लिए दिन-रात डूबने वाले नायक की फैमिली-लाइफ हमेशा डिस्टर्ब ही क्यों दिखाई जाती है? एक जगह ‘द फैमिली मैन’ के एक किरदार को दिखा कर वह यह संकेत भी दे रहे हैं कि अपनी किसी अगली सीरिज़ में वह इन दोनों सीरिज़ को मिक्स भी कर सकते हैं। वैसे भी उन्होंने इस सीरिज़ को अगले सीज़न के मुहाने पर ही छोड़ा है। बहरहाल, इस सीरिज़ में मनोरंजन है, सो इसे देखा जा सकता है बशर्ते कि आप के पास आठ घंटे का टाइम हो। और हां, राज-डी.के. साहब, ‘फर्ज़ी’ में इतनी सारी गालियों की ज़रूरत थी नहीं, आगे आप की मर्ज़ी।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-10 February, 2023 on Amazon Prime

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: amazonamazon primeamol palekarbhuvan arorachittaranjan giriFarzifarzi reviewkay kay menonkrishna d.k.raj nidimoruraj-dkrashi khannaregina cassandrashahid kapoorvijay sethupathizakir hussain
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Comments 4

  1. Nafees Ahmed says:
    1 month ago

    फ़िल्म समीक्षक द्वारा किया गया रिव्यु दर्शकों के लिए एक मार्गदर्शन का माध्यम होता है। रिव्यु जबरदस्त और हकीकी लगता है और साथ मे सभी किरदारों के काम को दर्शा रहा है। वेब सीरीज़ का लम्बा होना दर्शकों को उकता देता है। लेकिन रिव्यु पढ़कर पुराने महान कलाकार श्री अमोल पालेकर (गोलमाल वाले) की, एक लंबे अंतराल के बाद, एक्टिंग देखना वाकई पैसा वसूल सिद्ध होगा। बाकी अन्य सह कलाकार अपने काम की वजह दर्शकों के दिलों में राज करते हैं तो निर्देशक द्वारा इनका चयन प्रसंशनीय है।

    Reply
    • CineYatra says:
      1 month ago

      शुक्रिया…

      Reply
  2. Rishabh Sharma says:
    1 month ago

    मैं वेव सीरीज नही देखता वजह मुझ में इतना धैर्य नहीं की सात आठ घंटे तक मनोरंजन के नाम पर कुछ भी झेल सकू! अब वो राहत नहीं मिलती जिसके लिए लोग बड़े चाव से फिल्में देखा करते थे;, खैर.. दीपक सर के रिव्यू से काफी राहत मिल जाती है, समय कि बचत, और दिमाग को आराम! वैसे रिव्यू मे राशि खन्ना को ठंडक और विजय सेतुपति को सुकून पढ़ कर जरूर मन हुआ की देखा जाए या फिर एक अरसे बाद फिर से अमोल पालेकर जैसे स्वाभाविक अभिनेता को परदे पर देखने का राहत भरा पल जरूर आकर्षित करता है! शाहिद कपूर कभी निराश नहीं करते बाकी कहानी नई ऊर्जा लिए हुए है तो फर्जी को देखना चाहिए! धन्यवाद

    Reply
    • CineYatra says:
      1 month ago

      धन्यवाद…

      Reply

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