-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
कभी हिन्दी सिनेमा में अपनी हुकूमत चला चुकीं श्रीदेवी अगर पर्दे पर वापसी कर रही हैं तो ज़ाहिर है उस फिल्म से लगने वाली उम्मीदें छोटी नहीं होंगी। लेकिन इस फिल्म को देख कर यह सुकून मिलता है कि श्री ने किसी तड़क-भड़क वाली मसालेदार फिल्म से नहीं बल्कि एक ऐसी कहानी को अपनी वापसी के लिए चुना जो सहज ही दिलों को छूने की क्षमता रखती है।
यह कहानी एक ऐसी औरत की है जिसे इंगलिश नहीं आती। इसी वजह से उसका पति और बेटी उसका मज़ाक उड़ाते हैं और उसे शर्मिंदा करते रहते हैं। इनकी नज़र में वह सिर्फ एक ऐसी मशीन है जो सिर्फ घर का काम करना ही जानती है। अपनी भानजी की शादी के लिए उसे अकेले अमेरिका जाना पड़ता है और हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि वह सबसे छुपा कर इंगलिश सीखने का एक कोर्स कर लेती है।
सबसे पहले तो तारीफ करनी पड़ेगी इस फिल्म की डायरेक्टर गौरी शिंदे की जिन्होंने अपनी इस पहली फिल्म में एक ऐसा विषय चुना जो बॉक्स-ऑफिस के लिहाज़ से ज्यादा बिकाऊ नहीं माना जाता। लेकिन इस फिल्म में भावनाएं हैं, संवेदनाएं हैं और ज़िंदगी की गुदगुदाहट भी। गौरी ने इस कहानी को बहुत ही कायदे के साथ परोसा है और घिसी-पिटी लीक से हट कर कुछ उम्दा देखने वालों को यह फिल्म भाएगी। हां, यह ज़रूर है कि फिल्म कुछ जगह काफी धीमी है, सूखी है और खुद को दोहराती-सी भी लगती है। फिर भी गौरी के निर्देशन में संभावनाएं हैं और उनसे बड़ी उम्मीदें रखी जा सकती हैं।
इस उम्र में श्रीदेवी के चेहरे पर पहले जैसा चार्म भले न हो लेकिन उनकी एक्टिंग का चार्म अभी भी बरकरार है। एक्टिंग बाकी सभी कलाकारों की भी बहुत-बहुत अच्छी हैं। श्री के पति के किरदार में आदिल हुसैन खासे प्रभावी रहे हैं। अमित त्रिवेदी का संगीत अच्छा है। अच्छा सिनेमा पसंद करने वालों को यह फिल्म ज़रूर पसंद आएगी।
अपनी रेटिंग-3 स्टार
Release Date-05 October, 2012
(नोट-इस फिल्म की रिलीज़ के समय यह रिव्यू किसी पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था।)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)