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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-एंटरटेमैंट का बोझ नहीं उठा पाई ‘कुली नं. 1’

Deepak Dua by Deepak Dua
2020/12/25
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-एंटरटेमैंट का बोझ नहीं उठा पाई ‘कुली नं. 1’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

पहला सीन-गोआ के एक रईस ईसाई बिज़नेसमैन जैफ्री रोज़ारियो की बेटी के लिए एक हिन्दू पंडित रिश्ता लेकर आया हुआ है। (आप चाहें तो सिर्फ इस बेतुके सीन को देखने के बाद ही इस फिल्म को बंद करके किचन में पत्नी की या होमवर्क में बच्चों की मदद करने जैसा कोई सार्थक काम कर सकते हैं। इस रिव्यू को भी आगे न पढ़ने का फैसला आप यहीं, इसी वक्त ले सकते हैं। नहीं…? चलिए, आपकी मर्ज़ी, हमें क्या, पढ़िए…) हां, तो जैफ्री उस पंडित की बेइज़्ज़ती करता है और पंडित मुंबई सैंट्रल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले राजू को महा-रईस बता कर उसका रिश्ता जैफ्री की बेटी से करवा देता है। ज़ाहिर है इस कहानी में कई उलझने होंगी जो अंत तक सुलझ ही जाएंगी।

छिछोरी फिल्मों के उस्ताद निर्देशक रहे डेविड धवन दो-ढाई दशक पहले बनाई अपनी छिछोरी फिल्मों के रीमेक बना-बना कर दर्शकों की आज की पीढ़ी को इस तरह पकाएंगे, यह हमारी पीढ़ी ने उन दिनों नहीं सोचा था जब हम उन फिल्मों को ताली-सीटी बजा कर देख रहे थे। पर सच बात यह है कि वे फिल्में सचमुच बेहतर लिखी और बनाई गई थीं। लेकिन एक सच यह भी है कि इस तरह की फिल्में काठ की हांडी होती हैं, इनमें बार-बार मनोरंजन की बिरयानी नहीं पका करती।

कहानी तो इसकी पुरानी वाली फिल्म सरीखी ही है, सारा सत्यानाश स्क्रिप्ट और संवादों के स्तर पर हुआ है। चुटीलेपन, कॉमिक पंचेस और हंसा सकने वाले तत्वों की कमी इस फिल्म को बनाए जाने के मूल कारण की ही जड़ें खोद देती है। अपनी कॉमेडी के लिए जानी गई एक फिल्म का रीमेक बने और उसमें दर्शकों को हंसा सकने वाले ज़ोरदार पल ही न हों तो सारी कसरत बेकार है। डायलॉग तो ऐसे लिखे गए हैं जैसे कोई नर्सरी का बच्चा तुकबंदियां मिला रहा हो। रही-सही कसर वरुण धवन, परेश रावल, जॉनी लीवर, राजपाल यादव जैसे उन कलाकारों की लाउड एक्टिंग ने निकाल दी जिन पर हंसाने की सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी थी। भई, जब कायदे के किरदार ही नहीं लिखे जाएंगे तो ये लोग भला अपने कंधों पर कितना बोझा उठाएंगे। पंडित बने जावेद जाफरी, जैफ्री की मां बनीं भारती अचरेकर, सारा अली की बहन बनीं शिखा तल्सानिया और वरुण के दोस्त दीपक के रोल में साहिल वैद भी कमज़ोर भूमिकाओं के शिकार होकर लाचार-से लगे। अनिल धवन, मनोज जोशी, राकेश बेदी तो खैर आए ही कुछ देर के लिए। यहां तक कि सारा अली खान भी न अपनी एक्टिंग से लुभा सकीं, न ‘किसी और’ वजह से। गीत-संगीत बेमज़ा है।

डेविड धवन को समय रहते अपने रिटायरमैंट की घोषणा कर देनी चाहिए। बुढ़ापे में बेइज़्ज़ती करवाना ठीक नहीं रहता। एमेज़न प्राइम जैसे ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्मों ने भी अगर सिर्फ चमकते चेहरों के चक्कर में ऐसी फिल्में खरीदनी हैं तो उन्हें भी बहुत जल्दी लात पड़ने वाली है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-25 December, 2020

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: amazon primeanil dhawanBharti AchrekarCoolie No. 1 Reviewdavid dhawanjaved jaffreyjohnney leverparesh rawalrajpal yadavsahil vaidsara ali khanshikha talsaniaVarun Dhawanकुली नं. 1
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