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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-‘चक्की’ में पिसते आम आदमी की आम कहानी

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/10/08
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-‘चक्की’ में पिसते आम आदमी की आम कहानी
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आटा चक्की चलाने वाले विजय पर ढेरों ज़िम्मेदारियां हैं। पिता की दवाई, छोटे भाई की पढ़ाई, घर का खर्चा, शादी की चर्चा। किसी तरह से खींच-तान कर सब पूरा पड़ता है कि अचानक एक दिन उसकी चक्की का बिजली-बिल बहुत ज़्यादा आ जाता है जिसे कम करवाने के लिए वह तिल से ताड़ तक और राई से पहाड़ तक चढ़ता है लेकिन मामला सुलझने की बजाय उलझता ही जाता है। आखिर तंग आकर वह एक ऐसा कदम उठाता है कि…!

आम आदमी की रोज़मर्रा की दिक्कतों पर फिल्मों में अक्सर बात होती है। लेकिन ऐसी फिल्मों के साथ दिक्कत यह होती है कि इनमें विषय तो सही उठाया जाता है लेकिन उसे सही ढंग से नहीं उठाया जाता। ज़्यादा हल्का करो तो कहानी रायता हो जाती है और भारी करो तो बोझ। एक सुरक्षित रास्ता कॉमेडी और व्यंग्य वाला भी है लेकिन वह हर किसी के बस का नहीं। तो होता यह है कि कागज़ पर लिखी गई जिस कहानी को पर्दे पर उतार कर क्रांति लाने का इरादा लेखक-निर्देशक कर रहे होते हैं वह असल में बोझिल हो उठती है और मनोरंजन की चाह में पहुंचा दर्शक उसे यह सोच कर नकार देता है कि पर्दे पर भी ज़िंदगी की टेंशनें ही देखनी हैं क्या!

इस फिल्म की पटकथा बड़े ही सपाट तरीके से लिखी गई है। ज़्यादा बिजली-बिल आना, नायक का हर दफ्तर-अफसर के सामने गिड़गिड़ाना, कहीं फंसना और फिर निकलने के लिए ज़ोर लगाना। इस कहानी में न तो कहीं कोई मैसेज निकल कर आता है और न ही मनोरंजन। और देखने के लिए इसमें कुछ नया भी नहीं है क्योंकि सरकारी दफ्तरों के रवैये तो सब जानते ही हैं। ऐसे में निर्देशन साधारण हो जाता है और तमाम कलाकारों का अभिनय कामचलाऊ।

फिल्म के शुरू में मध्यप्रदेश में हुई फिल्म की शूटिंग के लिए वहां के विभिन्न सरकारी विभागों को धन्यवाद दिया गया है। लेकिन असल में तो यह फिल्म मध्यप्रदेश के सरकारी विभागों, कर्मचारियों, अफसरों को खराब रोशनी में ही दिखा रही है। अब शूटिंग की इजाज़त देने से पहले स्क्रिप्ट भला कौन पढ़ता है।

मध्यप्रदेश की एम.पी. शर्बती गेहूं का आटा बहुत बढ़िया माना जाता है लेकिन इस फिल्म की चक्की से निकले मनोरंजन को शर्बती बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता। इस फिल्म को दिल्ली में दो सिनेमाघरों में एक-एक शो मिला है, यही गनीमत है। किसी ओ.टी.टी. पर कायदे के प्रचार के साथ लाई जाती तो इसे कहीं ज़्यादा दर्शक मिल जाते।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-07 October, 2022 in theaters

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: ajay singh palalka aminashwin vermanbhupesh singhchakkichakki reviewmushtaq khanpriya bapatrahul bhattsatish munda
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