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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-मनोरंजन का फर्राटा भरती ‘बुलैट ट्रेन’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/08/03
in फिल्म/वेब रिव्यू
6
रिव्यू-मनोरंजन का फर्राटा भरती ‘बुलैट ट्रेन’
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-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

जापान के टोक्यो शहर से क्योटो तक एक तेज़ रफ्तार बुलैट ट्रेन जा रही है। इस ट्रेन में दो गुंडे एक आदमी को ले कर जा रहे हैं। इनके पास पैसों से भरा एक ब्रीफकेस भी है। भाड़े पर हत्याएं करने वाले लेडी बग नाम के गुंडे को इस ब्रीफकेस को चुरा कर लाने का टास्क मिला है। ट्रेन में और भी कुछ लोग हैं जो इस ब्रीफकेस और इन आदमियों पर नज़र रखे हुए हैं। रास्ते के स्टेशनों से भी कुछ लोग चढ़ते हैं। आखिरी स्टेशन पर एक गैंग्स्टर इन सबका इंतज़ार कर रहा है। क्या है उसका इरादा? क्या ये तमाम लोग अपने-अपने काम में कामयाब हो पाएंगे? ये लोग एक-दूसरे से टकराएंगे तो क्या होगा इनका अंजाम? और हां, इस ट्रेन में एक ज़हरीला सांप भी है, असली वाला।

रूपरेखा से एक्शन लगने वाली इस फिल्म में एक्शन तो उम्मीद के मुताबिक ज़बर्दस्त है ही, कॉमेडी भी भरपूर है। साथ ही यह सस्पैंस भी कि ये सब लोग इस ट्रेन में आखिर आए क्यों? आए या लाए गए? किसने भेजा है इन्हें? उसके भेजने का असल मकसद क्या है और क्या वह मकसद पूरा हो पाता है? ज़ाहिर है कि ऐसे में चीज़ें तेज़ रफ्तार से होती हैं, घटनाएं फटाफट घटती हैं, डायलॉग फटाफट बोले जाते हैं, दृश्य तेज़ी से बदलते हैं और जब ऐसा होता है तो देखने वाले को मज़ा आता है। यही ‘मज़ा’ ही किसी दर्शक की चाहत होती है और यह चाहत ही इस फिल्म को एक कामयाब मनोरंजक फिल्म बनाती है।

एक बुरा आदमी बुरे काम छोड़ना चाहता है। लेकिन ठीक उसी समय उसे एक काम मिलता है जिसे वह अपना आखिरी काम समझ कर स्वीकार कर लेता है और यही काम उसकी ज़िंदगी बदल देता है। यह फिल्म भी इसी ट्रैक पर चलती है। 2010 में आए एक मशहूर जापानी उपन्यास के दो साल पहले आए अंग्रेज़ी अनुवाद को भी पाठकों ने काफी सराहा था। उसी के बाद इस फिल्म की तैयारी शुरू हुई जिसमें जापान की पृष्ठभूमि में अंग्रेजी लोगों का दिखना हालांकि थोड़ा अखरता है। लेकिन यह भी साफ है कि जापानी कलाकार होते तो इस फिल्म का स्केल, इसका बाज़ार इतना बड़ा नहीं हो पाता जो इसमें हॉलीवुड स्टार ब्रैड पिट के आने से हो गया है। और ब्रैड पिट ने सचमुच खूब रंग जमाया है। उनका एक्शन, उनकी कॉमेडी टाइमिंग, सब लाजवाब है। बाकी के कलाकार भी खूब धमाल मचाते हैं। जोय किंग लुभाती हैं। डेविड लेच अपने कसे हुए निर्देशन से एक साधारण लगती कहानी को असाधारण ऊंचाई तक ले जाते हैं। फिल्म हिन्दी में भी डब हुई है और इसके चुटीले संवाद इसे शानदार बनाते हैं।

एक-दो सीन को छोड़ कर पूरी फिल्म की रफ्तार तेज है और यह मनोरंजन का ऐसा फर्राटा भरती है कि इसे देखते हुए बहुत सारी अतार्किक बातों पर ध्यान ही नहीं जाता। जैसे कि टोक्यो से क्योटो की दूरी महज सवा दो घंटे की है लेकिन फिल्म में इसे पूरी रात में तय होते दिखाया गया है जबकि वहां रात में बुलेट ट्रेन चलती भी नहीं है। अजी छोड़िए इन बातों को, जब सामने मस्ती भरे मनोरंजन की गाड़ी सीटी बजा रही हो तो लपक कर उस पर सवारी कर लेनी चाहिए।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-05 August, 2022

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

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Comments 6

  1. Amit macho says:
    3 years ago

    Bahut hi badiya review hai aapka aapke review ke baad hi decide hota hai ki movie dekhni hai yaa nahi.

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      शुक्रिया अमित भाई…

      Reply
  2. Rishabh Sharma says:
    3 years ago

    प्रिय दीपक दुआ जी, आपके साथ साथ मैने भी इस मनोरंजन की गाड़ी में टोक्यो से क्योटो तक कि सैर कर ली आप मिजाज से घुमक्कड़ हैं ये बात आप हर बार साबित कर ही देते हैं! विदेशी फिल्मों की भी अपनी ही खासियत होती हैं जब तक देखते हैं दिमाग में और कुछ आता ही नहीं तो इसलिए तर्क को भूल कर सिर्फ आनंद लीजिए दीपक दुआ के साथ।

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद…

      Reply
  3. Shefali surbhi says:
    3 years ago

    कसी हुई समीक्षा। बेहतरीन।

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद…

      Reply

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