• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-मर्दाना सोच पर प्रहार करती ‘अनारकली ऑफ आरा’

Deepak Dua by Deepak Dua
2017/03/24
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-मर्दाना सोच पर प्रहार करती ‘अनारकली ऑफ आरा’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

–दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

चौराहों पर भीख मांगते भिखारी, बाजीगरी दिखा कर पैसे के लिए हाथ पसारते बच्चे, गलियों में आकर बंदर, सांप का खेल दिखाने वाले मदारी, मौहल्ले के किसी घर में खुशी के मौके पर नाचने-गाने वाले हिजड़े, उनके साथ ढोलकी-हारमोनियम बजाने वाले साजिंदे। ऐसे किरदार हम रोजाना अपने इर्द-गिर्द देखते हैं। पर क्या हम उन्हें सचमुच ‘देखते’ हैं? क्या कभी हम यह सोचते हैं कि अपना ‘पिरोगराम’ खत्म करने के बाद ये लोग कहां जाते हैं, कैसे जीते हैं, क्या हैं उनकी जिंदगी के संघर्ष, उनके सपने? इस फिल्म की नायिका अनारकली ऐसा ही एक किरदार है जो समाज में है तो सही लेकिन उसका कोई वजूद नहीं है। और जब वह अपने वजूद की, अपनी मर्जी की बात करती है तो उसे दुत्कार दिया जाता है।

‘आपकी नजर में अनारकली शायद चरित्रहीन है, शायद बदचलन है। हां है, तो…? यह फिल्म यहां से इस बहस को आगे लेकर जाती है।’ पिछले दिनों ‘अनारकली ऑफ़ आरा’ की नायिका स्वरा भास्कर की कही यह बात ही फिल्म की कहानी के मूल में है।

बिहार के आरा शहर की यह गायिका एक आर्केस्ट्रा पार्टी में अश्लील, द्विअर्थी किस्म के गाने गाती है, नाचती है और जब स्टेज पर होती है तो समझिए आग लगा देती है। अब ऐसी ‘बाई जी’ के चाहने वाले भी होते हैं और वह उनकी चाहत का माकूल जवाब भी देती है। पर जब एक प्रतिष्ठित और दबंग आदमी उसके साथ मंच पर ही जबर्दस्ती करने की कोशिश करता है तो वह विरोध करती है और बड़े लोगों और उनकी सत्ता से जा भिड़ती है।

अनारकली कोई सती-सावित्री नहीं है। वह जानती है कि वह क्या करती है, क्या गाती है और ऐसे मजमों में पब्लिक उससे गाने के अलावा किस किस्म की हरकतों और इशारों की चाह रखती है। वह न तो अपने काम को लेकर शर्मिंदा है और न ही सैक्सुएलिटी को लेकर। बल्कि वह तो अपनी अदाओं से काम निकालना जानती है। पर क्या इससे उसके वजूद, उसकी मर्जी का अंत हो जाता है? व्यावहारिक लोग उसे सलाह दे सकते हैं (और फिल्म में देते भी हैं) कि वह ‘साहब’ का कहना मान ले तो खुशी-खुशी जिए। लेकिन जरा तस्वीर को अनारकली के नजरिए से देखिए तो उसका यह सवाल-‘हम नाचने-गाने वाले लोग हैं तो कोई हमें जब चाहे बजा देगा?’ वाजिब लगता है और इस सवाल के जवाब की तलाश में वह जो करती है, वह सब भी।

लेखक-निर्देशक अविनाश दास की यह पहली फिल्म है। हालांकि बताया न जाए तो फिल्म देखते समय ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। समाज के हाशिये पर बैठे एक ऐसे किरदार की कहानी को उन्होंने अपनी पहली फिल्म के लिए चुना जिसकी निजी जिंदगी में शायद ही हमारी दिलचस्पी हो। बेहद सधे हुए अंदाज में अविनाश अपनी बात कहते हैं और कहीं-कहीं सिनेमाई शिल्प को गढ़ने में नजर आए कच्चेपन के बावजूद उम्मीद जगाते हैं। उनके साथ-साथ तारीफ के हकदार वे प्रिया और संदीप कपूर भी हैं जो इस किस्म की साहसिक फिल्म पर अपने पैसे लगाने को तैयार हो जाते हैं।

स्वरा भास्कर अपनी कुशल अदाकारी से अनारकली के चरित्र के तमाम पहलुओं को विश्वसनीय बनाती हैं। जरूरत के मुताबिक वह लचके, झटके, कामुकता, डर, हंसी-मजाक, क्रोध जैसे रंगों में खुद को रंगती हैं। फिल्म के अंत में उनका रौद्र रूप असर छोड़ता है। आखिरी सीन में देर रात जब वह एक सुनसान सड़क पर बेखौफ अकेले गुजरती हैं तो बिना किसी संवाद का वह दृश्य गहरा असर छोड़ जाता है। आर्केस्ट्रा पार्टी चलाने वाले रंगीला यादव के रंगीले किरदार में पंकज त्रिपाठी चौंकाते हैं। अपने सहज अभिनय से पंकज अभिनय के स्कूल में तब्दील होते जा रहे हैं। बाकी तमाम कलाकारों का अभिनय भी प्रभावी रहा है और इसकी सबसे बड़ी वजह है किरदारों के मुताबिक की गई कास्टिंग, उनकी बोली, कपड़े आदि। कास्टिंग डायरेक्टर जीतेंद्र नाथ जीतू का यह प्रयास उन्हें काफी आगे ले जाने वाला है।

गीत-संगीत इस कहानी के केंद्र में है और तमाम गीतकारों के साथ मिल कर संगीतकार रोहित शर्मा ने जो कुछ तैयार किया है वह कहानी के साथ यूं रल-मिल गया है कि कुछ भी ऊपर से छिड़का हुआ नहीं लगता।

हर चीज को तर्क की कसौटी पर कसने वालों को इस फिल्म में एक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का इतना प्रभावशाली होना, रंगीला का अचानक कहानी से चले जाना, दिल्ली के क्लिनिक के बाहर बनारस की ट्यूशन क्लास का पोस्टर, कहीं-कहीं हल्की प्रोडक्शन वैल्यू और कंटिन्युटी की चूक जैसी कुछ-कुछ बातें अखर सकती हैं।

यह फिल्म खुरदुरी है और असमतल भी। लेकिन यही इसकी खूबी है कि यह बिना चिकने चेहरों, चुपड़े किरदारों और रंगीन माहौल के आपको एक वास्तविक संसार में ले जाती है। अनारकली जैसी नार को देख कर लार टपकाने वाले मर्दों की ‘मर्दाना सोच’ पर प्रहार करती है यह फिल्म।

अपनी रेटिंग-तीन स्टार

Release Date-24 March, 2017

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Anaarkali of Aarah reviewAvinash Daspankaj tripathisandeep kapoorsanjay mishraSwara Bhaskar
ADVERTISEMENT
Previous Post

यादें-पर्सनल रिलेशंस के सवाल पर क्या बोली थीं कैटरीना?

Next Post

रिव्यू-सब्र का इम्तिहान लेती ‘फिल्लौरी’

Related Posts

वेब-रिव्यू : मार्निंग शो वाले सिनेमा का सेलिब्रेशन ‘मरते दम तक’
CineYatra

वेब-रिव्यू : मार्निंग शो वाले सिनेमा का सेलिब्रेशन ‘मरते दम तक’

रिव्यू-मसालेदार मज़ा देता है ‘पठान’
CineYatra

रिव्यू-मसालेदार मज़ा देता है ‘पठान’

रिव्यू-क्रांति और भ्रांति के बीच फंसी ‘छतरीवाली’
CineYatra

रिव्यू-क्रांति और भ्रांति के बीच फंसी ‘छतरीवाली’

रिव्यू-बिना वर्दी वाले जवानों का ‘मिशन मजनू’
CineYatra

रिव्यू-बिना वर्दी वाले जवानों का ‘मिशन मजनू’

वेब-रिव्यू : उस मनहूस दिन के बाद का संघर्ष दिखाती ‘ट्रायल बाय फायर’
CineYatra

वेब-रिव्यू : उस मनहूस दिन के बाद का संघर्ष दिखाती ‘ट्रायल बाय फायर’

रिव्यू-इस हमाम में सब ‘कुत्ते’ हैं
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-इस हमाम में सब ‘कुत्ते’ हैं

Next Post
रिव्यू-सब्र का इम्तिहान लेती ‘फिल्लौरी’

रिव्यू-सब्र का इम्तिहान लेती ‘फिल्लौरी’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – [email protected]

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment.