• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-रोमांचक और मनोरंजक ‘एन एक्शन हीरो’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/12/02
in फिल्म/वेब रिव्यू
3
रिव्यू-रोमांचक और मनोरंजक ‘एन एक्शन हीरो’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)

लोगों का चहेता एक्शन हीरो मानव हरियाणा के किसी गांव में शूटिंग कर रहा है। सैट पर उससे मिलने आया एक युवक विक्की मारा जाता है। लफड़े से बचने के लिए मानव लंदन भाग जाता है। इधर पब्लिक और मीडिया की नज़रों में वह हीरो से भगौड़ा विलेन बन चुका है। मानव की इमेज अब खतरे में है। विक्की का दबंग भाई भूरा सोलंकी उसे मारने के लिए लंदन तक आ पहुंचा है। अब मानव की जान भी खतरे में है। भूरा मानव के पीछे है, वहां की पुलिस इन दोनों के पीछे है और कोई तीसरा भी है जो इस दंगल में कूद चुका है। क्या मानव अपनी इमेज और जान बचा पाएगा? क्या उसी ने विक्की को मारा था? हां, तो क्यों? और नहीं, तो फिर क्या है इस सारी भागमभाग के पीछे का सच?

कहानी उलझी हुई है लेकिन इसे जिस तरह से परत-दर-परत खोला गया है वह न सिर्फ काफी दिलचस्प है बल्कि इस कहानी को एक अलग फ्लेवर, एक अलग मकाम भी देता है। किसी से बच कर भागने की कहानियां यदि तेज गति और ट्विस्ट के साथ परोसी जाएं तो रोमांचक और मनोरंजक, दोनों हो जाती हैं। यह फिल्म भी कहीं रुकने का मौका दिए बिना अपने तेजी से बदलते घटनाक्रम, लगातार जुड़ते नए किरदारों, फटाफट एक्शन और चुटीले संवादों से दिल-दिमाग पर छाती चली जाती है।

इस फिल्म की पहली बड़ी खासियत इसकी लिखाई ही है। एक साधारण-सी कहानी पर नींबू-मसाला छिड़क कर उसे किस तरह से एक स्वादिष्ट स्क्रिप्ट में तब्दील किया जाता है, इससे सीखा जा सकता है। हरियाणा के किरदारों के संग वहां की भाषा, अक्खड़पन, मुहावरे व अन्य विशेषताएं जोड़ कर लेखक नीरज यादव ने सचमुच दमदारी और समझदारी दिखाई है। फिल्म में हंसाने का काम इसके संवाद करते हैं और बखूबी करते हैं। अपनी इस पहली फिल्म से लेखक-निर्देशक अनिरुद्ध अय्यर बताते हैं कि उन्होंने दस साल तक आनंद एल. रॉय के सहायक के तौर पर कितना कुछ सीखा है। सीन बनाना उन्हें अच्छे-से आता है और उन दृश्यों के ज़रिए कुछ कह जाने की कला भी वह जानते हैं।

फिल्म की अगली बड़ी खूबी इसके कलाकारों का अभिनय है। आयुष्मान खुराना को हम इस किस्म के किरदारों के लिए नहीं जानते हैं लेकिन उन्होंने इस किरदार को भी सौतेला नहीं लगने दिया है। कभी दंभी, कभी मजबूर, कभी चालाक तो कभी मासूम लगने के भावों को उन्होंने कायदे से दिखाया है। जयदीप अहलावत का काम बेमिसाल रहा है। अपने भाई की मौत की खबर सुन कर वह जिस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं उस एक दृश्य में वह बता देते हैं कि उन जैसे कलाकार ही किरदारों को अमर बनाते हैं। बाकी के लोग भी खूब जंचे हैं। हरियाणा पुलिस के दारोगा बने जितेंद्र हुड्डा अपनी नैचुरल एक्टिंग से जम कर हंसाते हैं। अक्षय कुमार के दो सीन फिल्म में तड़का लगाते हैं। कहानी में किसी हीरोइन का न होना कुछ पल को अखरता है लेकिन फिर महसूस होता है कि इस कहानी में हीरोइन की ज़रूरत भी नहीं थी। बाकी, मलाइका अरोड़ा और नोरा फतेही की दो गानों में मौजूदगी से काफी भरपाई तो हो ही जाती है।

यह फिल्म असल में व्यंग्य कसती है। फिल्मी सितारों की जीवन शैली पर, उनकी सोच पर, पुलिस के काम करने के तरीकों पर और खासतौर से मीडिया व जनता पर जो ज़रा-सी चूक होने पर किसी को आसमान से फर्श पर ले आते हैं तो पल भर में किसी को आसमान पर भी बिठा देते हैं। हालांकि मीडिया वाला हिस्सा कहीं-कहीं अति भी करता है। गाने उम्दा हैं, अच्छे लगते हैं-सुनने में भी, देखने में भी। बैकग्राउंड म्यूज़िक बढ़िया है। इंगलैंड की अछूती लोकेशंस को देखना सुहाता है। कैमरावर्क उम्दा है और एक्शन बढ़िया।

हंसती-हंसाती, रोमांचित करती इस कहानी को सिर्फ मज़े के लिए देखिए। ज़्यादा सोच-विचार आपके मज़े को खराब कर सकता है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-02 December, 2022 in theaters.

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: an action heroan action hero reviewanirudh iyerAyushmann Khurranaharsh chhayaJaideep Ahlawatjitender hoodamalaika aroraneeraj yadavnora fatehi
ADVERTISEMENT
Previous Post

रिव्यू-उपेक्षा और अपेक्षा के बीच जूझती ‘कला’

Next Post

बुक रिव्यू-नक्सल मन की थाह लेता उपन्यास ‘चोला माटी के राम’

Related Posts

रिव्यू-सिंगल शॉट में कमाल करती ‘कृष्णा अर्जुन’
CineYatra

रिव्यू-सिंगल शॉट में कमाल करती ‘कृष्णा अर्जुन’

रिव्यू-चिकन करी का मज़ा ‘नाले राजा कोली माजा’
CineYatra

रिव्यू-चिकन करी का मज़ा ‘नाले राजा कोली माजा’

रिव्यू-मज़ा, मस्ती, मैसेज ‘जय माता जी-लैट्स रॉक’ में
CineYatra

रिव्यू-मज़ा, मस्ती, मैसेज ‘जय माता जी-लैट्स रॉक’ में

वेब-रिव्यू : झोला छाप लिखाई ‘ग्राम चिकित्सालय’ की
CineYatra

वेब-रिव्यू : झोला छाप लिखाई ‘ग्राम चिकित्सालय’ की

रिव्यू-अरमानों पर पड़ी ‘रेड 2’
CineYatra

रिव्यू-अरमानों पर पड़ी ‘रेड 2’

रिव्यू-ईमानदारी की कीमत चुकाती ‘कॉस्ताव’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-ईमानदारी की कीमत चुकाती ‘कॉस्ताव’

Next Post
बुक रिव्यू-नक्सल मन की थाह लेता उपन्यास ‘चोला माटी के राम’

बुक रिव्यू-नक्सल मन की थाह लेता उपन्यास ‘चोला माटी के राम’

Comments 3

  1. Shiv Kumar says:
    2 years ago

    Nice story👌👍

    Reply
  2. K kumar says:
    2 years ago

    आयुष्मान खुराना मतलब कि एक सफल फिल्म।👌👌

    Reply
  3. Dilip Kumar says:
    2 years ago

    शुक्रिया,आपने कहा तो अच्छी ही होगी 💐

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment