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Home यादें

यादें-मनाली में हुई थी वह पहली ‘ज़ोर’ आजमाइश

Deepak Dua by Deepak Dua
2016/11/20
in यादें
7
यादें-मनाली में हुई थी वह पहली ‘ज़ोर’ आजमाइश
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-दीपक दुआ…

विवेक कुमार, अभिनेता मिलिंद गुणाजी व सनी देओल के साथ अपन

1996, नवंबर का महीना। अपन लोकप्रिय फिल्मी मासिक पत्रिका ‘चित्रलेखा’ के लिए साल भर से लिख रहे थे। दिल्ली में कुछ एक प्रैस-कांफ्रैंस में शिरकत हो चुकी थी लेकिन किसी प्रैस-टूर में जाने का मौका तब तक नहीं मिला था। उन दिनों आज की तरह बड़ी-बड़ी पी.आर. एजेंसियां फिल्मों का प्रचार नहीं करती थीं और मुंबई के चंद पी.आर.ओ. ही किसी फिल्म के मुहूर्त से लेकर उसकी रिलीज तक मीडिया को बुलाने-रिझाने का काम करते थे। ऐसी ही एक पी.आर. जोड़ी थी गजा-अरुण की, जिनमें से अरुण जी दिल्ली आकर यहां के पत्रकार-प्रचारक परवेज सैयद की मदद से दिल्ली में फिल्मों-धारावाहिकों की पार्टियां करवाते थे। एकता कपूर के शुरूआती तमाम धारावाहिकों-‘हम पांच’, ‘पड़ोसन’ वगैरह का प्रचार इन्होंने ही किया था। खैर, नवंबर की एक शाम संदेश मिला कि परवेज जी सनी देओल, मिलिंद गुणाजी, सुष्मिता सेन की फिल्म ‘ज़ोर’ की शूटिंग कवर करवाने के लिए कुछ पत्रकारों को हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत हिल-स्टेशन मनाली ले जाना चाह रहे हैं और अपन को भी चलना होगा। पहला-पहला प्रैस-टूर और वह भी मनाली जैसी जगह, जाहिर है अपने जैसा घुमक्कड़ी का शौक़ीन इंसान यह ऑफर सुन कर उछल पड़ा होगा। मनाली के सर्द मौसम के बारे में सुन कर थोड़ी फिक्र तो हो रही थी मगर वहां जाने का उत्साह हर फिक्र उड़ाए जा रहा था।

सनी से बात करते हुए हम लोग

18 नवंबर की शाम  अपना सामान लेकर अपन दरिया गंज में ‘रंगभूमि’ और ‘फिल्म रेखा’ पत्रिकाएं निकालने वाले प्रमोद गुप्ता जी के यहां जा पहुंचे। धीरे-धीरे बाकी पत्रकार भी यहां आने लगे जिनमें से ज्यादातर से यह अपनी पहली मुलाकात थी। कुल 12-13 लोगों में मेरे अलावा ‘सांध्य टाइम्स’ से रवि रंजन पांडेय जी, उर्दू की ‘शमा’ और हिन्दी की ‘सुषमा’ पत्रिकाओं से जुड़े ज़हीर नासिर साहब, ‘राष्ट्रीय सहारा’ से चांद खां रहमानी, ‘मिड डे’ से मदन जी, ‘वीर अर्जुन’ से चंद्रमोहन शर्मा जी, ‘फिल्मी रिपोर्टर’ से रघुनंदन शर्मा जी के अलावा प्रमोद जी, परवेज जी और अरुण जी तो थे ही। ये सभी लोग मुझ से सीनियर और उम्र में बड़े थे। जहीर नासिर साहब अपने बेटे को भी साथ लाए थे जो मुझ से थोड़ा ही छोटा था। एक मिनी बस सूरज अस्त होते ही हमें लेकर निकल पड़ी। मुरथल के किसी ढाबे पर डिनर के बाद कब आंखें भारी होने लगीं, पता ही नहीं चला। इतना याद है कि रात में कीरत पुर में चाय के लिए बस रुकी थी लेकिन अपन अपनी सीट से नहीं हिले।

19 नवंबर की सुबह आंखें खुलीं तो हम हिमाचल की सड़कों पर थे और जल्द ही सुंदर नगर पहुंच चुके थे। सब को फ्रैश होना था और होटल वाले इस ‘काम’ के लिए भी तगड़ी रकम मांग रहे थे। किसी ने लोक निर्माण विभाग के रेस्ट-हाउस में जाने की सलाह दी जो बहुत काम आई। सरकारी रेस्ट-हाउस होने के कारण वहां हम मीडिया वालों को सत्कार भी मिला और बहुत सस्ते में हम सब वहां तरोताज़ा हुए, वहीं नाश्ता किया और सफर फिर से शुरू हो गया। मनाली पहुंचते-पहुंचते दोपहर बीत चुकी थी। प्रोड्यूसर के बुक करवाए होटल में पहुंचते, कमरे लेते और खाना खाते-खाते शाम हो चली थी। शाम 7 बजे होटल में लगा थर्मामीटर बता रहा था कि बाहर का तापमान 4 डिग्री है। पता चला कि अगले दिन हमें रोहतांग जाना है जहां फिल्म की शूटिंग हो रही है।

अपना मीडिया ग्रुप

20 नवंबर की सुबह ही हम लोग रोहतांग के लिए निकल पड़े। रास्ते में एक दुकान से सबके लिए बर्फ पर चलने के लिए गम-बूट किराए पर लिए गए। कुछ ही दूर चले होंगे कि एक जगह पुल टूटा होने की वजह से हमारी बस को बहते पानी में से भी निकलना पड़ा। वहीं फिल्म की यूनिट की एक जीप फंसी हुई मिली। उन्होंने बताया कि रोहतांग का रास्ता तो भारी बर्फबारी के चलते बंद है सो उससे काफी पहले मढ़ी नामक जगह पर शूटिंग चल रही है। एक तरफ खाई और दूसरी ओर पहाड़ के बीच में सीमा सड़क संगठन की बनाई संकरी-सी सड़क पर चलते हुए एक जगह हमें सड़क के किनारे काफी सारी बर्फ दिखी तो वहीं बस किनारे लगा कर हमने बच्चों की तरह बर्फ से अठखेलियां शुरू कर दीं। बाकियों का तो पता नहीं लेकिन बर्फीले पहाड़ देखने का और बर्फ को यूं छूने का मेरे लिए यह पहला अनुभव था। वहां कुछ तस्वीरें खींचने-खिंचवाने के बाद हम लोग फिर चल पड़े।

मढ़ी में तो जैसे मेला-सा लगा हुआ था। बर्फ पर फिसलने वाली स्लेज, बर्फ के पुतले, तरह-तरह की खाने-पीने की चीजें… रोहतांग तक न जा पाने वाले टूरिस्ट, जिनमें नवविवाहित जोड़े ज्यादा थे, यहां बड़ी तादाद में एन्जॉय कर रहे थे। सड़क से थोड़ा नीचे की तरफ एक छोटी-सी मैदाननुमा जगह पर शूटिंग चल रही थी। यहां भी काफी लोग जमा थे जिन्हें एक रस्सी से रोका गया था। हम लोगों को वहां तक ले जाया गया जहां सनी देओल और मिलिंद गुणाजी इस फिल्म के डायरेक्टर संगीत सिवान और निर्माता विवेक कुमार ‘विकी’ के साथ मौजूद थे। हल्की-हल्की रुई के फाहे जैसी बर्फ गिर रही थी। इन सब से हमने एक-एक करके बातें कीं, तस्वीरें खिंचवाईं और सनी और मिलिंद के बीच हुए एक्शन-सीन को शूट होते हुए भी देखा। सनी और मिलिंद की ही कद-काठी के और उन्हीं के जैसे कपड़े पहने हुए दो स्टंट-मैन ये एक्शन-सीन कर रहे थे। बाद में क्लोज़-अप शॉट्स सनी और मिलिंद पर फिल्माए गए। मैंने डुप्लिकेट का काम करने वाले इन कलाकारों से भी बात करनी चाही पर पता चला कि दोनों दक्षिण भारतीय हैं और सिर्फ तमिल जानते हैं जो अपने को नहीं आती थी।

दिल्ली मीडिया और फिल्म की यूनिट

हमें बताया गया कि वहां उस समय माइनस दस डिग्री तापमान था। सैट पर खुद को गर्म रखने के लिए सनी के अलावा लगभग हर कोई शराब पी रहा था और आग ताप रहा था। सनी और मुझ जैसे चंद लोगों के लिए गर्म चाय मौजूद थी। लंच टाइम हुआ तो वहीं खुले में हमें गर्मागर्म खाना परोसा गया जो प्लेट से मुंह तक आते-आते ठंडा हो जाता था। हाथ में चिकन पकड़े सनी का एक वाक्य अब तक मुझे याद है-‘आपने कभी स्नो-चिकन नहीं खाया होगा।’ लंच के बाद हमने बर्फ में थोड़ी अठखेलियां कीं, तस्वीरें खिंचवाई और वापस मनाली के लिए चल पड़े। वहां बाजार में थोड़ी शॉपिंग के बाद घर वापसी का हमारा सफर शुरू हो चुका था। भुंतर में डिनर हुआ और देर रात हिमाचल के बिलास पुर और पंजाब के कराली में चाय के लिए रुकते-रुकाते सुबह अंबाला में हरियाणा टूरिज्म के ‘किंगफिशर’ होटल में नाश्ता करने के बाद शाम होने से पहले हम लोग दिल्ली पहुंच चुके थे।

मेरे इस पहले प्रेस-टूर को कई बरस बीत चुके हैं। तब से अब तक मैंने ढेरों प्रैस-टूर में शिरकत की। वे सब भी मुझे याद हैं लेकिन अपने इस पहले टूर की यादों को बार-बार खंगालना मुझे आज भी सुहाना लगता है।

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: manalimilind gunajisangeet sivaansunny deolsushmita senzor shooting coverageजोर
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Comments 7

  1. Lakhi Baranwal says:
    4 years ago

    बहुत ही रोचक

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      बहुत धन्यवाद…

      Reply
  2. Dr. Renu Goel says:
    4 years ago

    Very nyc

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      Thanks…

      Reply
  3. shivam says:
    4 years ago

    Bhut hi standard

    Reply
    • CineYatra says:
      4 years ago

      बहुत ही थैंक्स

      Reply
  4. NAFEESH AHMED says:
    2 years ago

    आपका “अपन” का रिव्यु पढ़कर ऐसा लगा कि. मैं खुद इस किरदार में हूं… बहुत ही प्यारा लगता है जब हम अपने अविस्मरणीय यादों को दूसरे के साथ शेयर करते हैं…. सन्नी जी की “ज़ोर” की सूटिंग पर वाकई “ज़ोर” कि “अपन” की यादें साझा कि है…

    शुक्रिया… और आगे भी आप इस तरह की ज़ोर की बातें शेयर करते रहेंगे

    Reply

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