-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
‘प्रेम, एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं होते’…
‘मैंने प्यार किया’ में सूरज बड़जात्या यह कह कर एक तरफ हो गए और फिल्म वालों ने इस लाइन को पकड़ कर कितनी फिल्में बना डाली, इसका हिसाब रखना मुश्किल है। एक लड़का-एक लड़की, दोनों अच्छे दोस्त। एक-दूजे से हर बात शेयर करने वाले। पर जब दूसरे को खुद से दूर किसी और के करीब जाते देखा तब उन्हें अहसास हुआ कि उनके दरम्यों सिर्फ दोस्ती नहीं, और भी कुछ है। शादी वाले माहौल में चहल-चुहल, मस्ती और रिश्तों का खिंचाव… उफ्फ, बहुत हो गया भाई लोगों, या तो कुछ नया बनाओ या कम से कम नए तरीके से तो बनाओ।
प्रोड्यूसर की बेटी, कन्नड़ फिल्मों का हीरो और कुछ सधे हुए कलाकारों को लेकर यह जो पुलाव बनाया गया है वह बेस्वाद नहीं है। लेकिन इसकी कहानी में कच्चापन है, स्क्रिप्ट पूरी तरह से पकाई नहीं गई और यही कारण है कि ऊपर से आकर्षक लगने वाले इस पुलाव को चखते ही आपको इसके अंदर का कच्चापन साफ महसूस होने लगता है और आप थोड़ा-सा खाकर ही इसे एक तरफ रख देना चाहते हैं।
अपनी रेटिंग-2 स्टार
Release Date-16 October, 2015
(नोट-मेरा यह रिव्यू इस फिल्म की रिलीज़ के समय किसी पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था।)
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)