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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-अपने ही फैलाए इंद्रजाल में उलझा ‘विक्रांत रोणा’

Deepak Dua by Deepak Dua
2022/07/28
in फिल्म/वेब रिव्यू
6
रिव्यू-अपने ही फैलाए इंद्रजाल में उलझा ‘विक्रांत रोणा’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

एक घने जंगल में स्थित एक गांव कमरुटु। जंगल इतना घना जैसा ‘अनाकोडा’ फिल्म में था। यहां बार-बार बारिश होती रहती है जैसी फिल्म ‘तुम्बाड’ में थी। वक्त 1980 के आसपास का होगा क्योंकि एक सीन में पैट्रोल का रेट 6 रुपए लीटर बताया गया है। गांव में बिजली नहीं है, लालटेन, मशालों और टार्च से काम चलाया जाता है। इस गांव में कई बच्चे किडनैप हो चुके हैं और फिर उनकी लाश मिलती है, रंग-पुते चेहरे के साथ। यहां के पुलिस इंस्पैक्टर की लाश कुएं में लटकी मिलती है जिसके बाद आता है एक नया पुलिस इंस्पैक्टर अपनी बेटी के साथ जैसे ‘राउडी राठौड़’ में आया था। आने से पहले वह समुद्री जहाज में गुंडों को पीट कर आया है। जहाज ऐसा, जैसा ‘पाइरेट्स ऑफ द कैरीबियन’ में था। इस गांव की एक फैमिली भी यहां वापस आई है, अपनी बेटी की शादी करने। इनकी ज़िद है कि उसी मकान में रहेंगे जो 28 साल से बंद है जैसा ‘भूल भुलैया 2’ में था। इस गांव में स्मगलिंग भी हो रही है, कत्ल भी हो रहे हैं, भूत भी रहते हैं… यानी वे तमाम मसाले इसमें मौजूद हैं जो किसी भी फंतासी, एक्शन, सस्पैंस, हॉरर, थ्रिलर फिल्म में होने चाहिएं। वाह, तब तो खूब मज़ा आएगा न इसे देखने में…? काश कि इस सवाल का जवाब ‘हां’ में होता।

कमी फिल्म की कहानी में नहीं है, उसे जिस किस्म की स्क्रिप्ट में फैलाया गया है, उसमें है। पहले तो यही स्पष्ट नहीं है कि बनाने वाले इस फिल्म को दिखाना किसे चाहते हैं। इसमें बच्चों से लेकर जवानों और बूढ़ों तक के लिए मसालों का मिश्रण डाला गया है जो इसे लिखने-बनाने वालों के अंदर के असमंजस को बताता है। ये मसाले भी सही संतुलन में होते तो भी सही था। लेकिन कहानी कहने का जो ढंग लेखक-निर्देशक अनूप भंडारी ने चुना वह आपको बताता कम और उलझाता ज़्यादा है। कह सकते हैं कि सस्पैंस बनाए रखने के लिए यह सब किया गया। चलिए मान लिया, लेकिन ऐसा भी क्या उलझाना कि अंत में जब सस्पैंस खुले तब तक देखने वाले का सब्र और साहस, दोनों जवाब दे चुके हों। लड़की की शादी, पुराने घर में भूत, बॉर्डर पार की स्मगलिंग, लगातार गायब होते बच्चे और पुलिस इंस्पैक्टर के कारनामे जैसे कई ट्रैक एक साथ चला कर दर्शकों को उलझाए रखने की कोशिश मनोरंजक होने की बजाय खिजाने का काम ज़्यादा करने लगती है।

कन्नड़ से डब हुई इस फिल्म में किच्चा सुदीप अपने किरदार में, अपनी अदाओं में, अपने एक्शन में खूब जंचते हैं। जैक्लिन फर्नांडीज़ को सिर्फ ‘दिखाने भर’ के लिए रखा गया था लेकिन उनसे वह काम भी ढंग से नहीं हो पाया। बाकी कलाकार सही रहे। निरूप भंडारी और नीता अशोक की जोड़ी प्यारी लगती रही। हिन्दी में डब हुए गीत औसत रहे। फिल्म की बड़ी खासियत है इसकी लोकेशन, कैमरा, लाइटिंग, अंधेरा, वी.एफ.एक्स, एक्शन जैसी तकनीकी चीज़ें। 3-डी में देखते हुए यह फिल्म अच्छी लगती है। लेकिन तकनीक का काम फिल्म के विषय को सहारा देना होता है और जब विषय उलझा हुआ हो तो वही तकनीक बोझ बनने लगती है। यहां भी यही हुआ है। ऊपर से फिल्म के सारे सीन अंधेरे और रात में फिल्माए हुए हैं जो आंखों और मन को भारी करने लगते हैं।

फिल्म में दो-तीन जगह इंद्रजाल कॉमिक्स और फैंटम का ज़िक्र आता है। इस फिल्म में फैंटम की रहस्यमयी दुनिया सरीखा माहौल पर्दे पर सफलता से रचा भी गया है। लेकिन सिर्फ माहौल रचने भर से चीज़ें अच्छी बनती होतीं तो ‘ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान’ और ‘शमशेरा’ को क्लासिक फिल्में मान लेना चाहिए। ऊपर से यह भी तय है कि जिस लेखक-निर्देशक को अपनी कहानी-फिल्म के लिए एक कायदे का नाम तक न सूझे और वह हीरो के नाम को ही फिल्म का नाम बना दे तो समझिए छाते में कहीं तो छेद है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-28 July, 2022

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: anup bhandariJacqueline Fernandezkannadakichcha sudeepneetha ashoknirup bhandarisudeepvikarant rona reviewvikrant rona
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Comments 6

  1. Sunita Tewari says:
    3 years ago

    Nice Review as always… Thanks Dua ji

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      thanks…

      Reply
  2. Dr. Renu Goel says:
    3 years ago

    Wah ji Wah
    Nyc review 👏👏👏

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      धन्यवाद

      Reply
  3. Dilip Kumar says:
    3 years ago

    शुक्रिया ,इस कचरे की बमबारी से बचाने के लिये 😊

    Reply
    • CineYatra says:
      3 years ago

      जय हो

      Reply

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