-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)
‘स्लमडॉग मिलेनियर’ का नाम तो याद ही होगा आपको। आठ ऑस्कर पुरस्कारों के अलावा दुनिया भर में ढेरों अवार्ड पाने वाली इस फिल्म की कहानी भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे विकास स्वरूप के पहले उपन्यास ‘क्यू एंड ए’ पर आधारित थी जिसमें एक चाय पिलाने वाला लड़का क्विज़ शो में करोड़ों जीतता है। डिज़्नी-हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई यह वेब-सीरिज़ ‘द ग्रेट इंडियन मर्डर’ विकास स्वरूप के दूसरे उपन्यास ‘सिक्स सस्पैक्ट्स’ पर आधारित है।
इसमें कोई शक नहीं कि विकास दमदार लिखते हैं। अतीत और वर्तमान की घटनाओं और किरदारों को मिला कर कहानी का मकड़जाल बुनने में उन्हें महारत हासिल है, इस बात की गवाही उनके दोनों उपन्यास देते हैं। उनके इस उपन्यास में एक हाईक्लास पार्टी में एक नामी उद्योगपति-राजनेता के बेटे विकी राय का कत्ल हो जाता है। तलाशी में छह लोग बंदूक समेत पकड़े जाते हैं। इनमें से कौन है विकी का कातिल? कोई है भी या…?
किसी उपन्यास को पर्दे पर उतारते समय उसकी कहानी में तब्दीलियां की जानी ज़रूरी हो जाती हैं। तिग्मांशु, विजय मौर्य और पुनीत शर्मा की मंडली ने ऐसा करते समय यह ख्याल रखा है कि कहानी विज़ुअली तो समृद्ध हो लेकिन उसकी आत्मा भी लगातार बरकरार रहे। इस सीरिज़ में पार्टी से छह लोग तो नहीं पकड़े गए हैं लेकिन तफ्तीश के दौरान शक की सुई लगातार हर दिशा में घूम रही है और यह लेखकों की कामयाबी है कि इस घूमती हुई सुई के साथ-साथ वे दर्शकों की सोच को भी घुमा रहे हैं।
विकास स्वरूप का लेखन बहुत ज़्यादा विस्तार लिए हुए है। इसमें पैसे, पॉवर और पालिटिक्स का जाना-पहचाना गठबंधन और उसके पीछे की साज़िशें खुल कर दिखाई गई हैं। दिल्ली की हाई सोसायटी, यहां की बस्तियों, चैन्नई, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल और यहां तक कि अंडमान को भी कहानी का हिस्सा बनाया गया है जिससे कहानी में व्यापकता आई है। किरदारों को गढ़ते समय सहज मानवीय खूबियों और खामियों का जो समावेश किया गया है वह उन्हें विश्वसनीय बनाता है। इन किरदारों को निभाने के लिए जो कलाकार लिए गए हैं वे भी अपने काम से इन्हें प्रभावी बना पाने में कामयाब रहे हैं। ऋचा चड्ढा, प्रतीक गांधी, रघुवीर यादव, शारिब हाशमी, पाओली दाम, अमय वाघ, हिमांशी चौधरी, ऋचा इनामदार, दीपराज राणा, हेमंत माथुर, कैनेथ देसाई, रुशद राणा, गुनीत सिंह जैसे सभी कलाकार दम भर काम करते हैं लेकिन आशुतोष राणा, विनीत कुमार, शशांक अरोड़ा और जतिन गोस्वामी सामने वालों पर भारी पड़ते हैं।
लेकिन इस सीरिज़ में कुछ एक कमियां भी हैं। पहली तो यही कि यह काफी लंबी है। इसे बनाते हुए ही यह तय कर लिया गया होगा कि इसे एक सीज़न में नहीं समेटना है और इसीलिए कई सीक्वेंस काफी लंबे खींचे गए हैं। कुछ जगह तर्क भी साथ छोड़ते हैं तो कहीं-कहीं हल्की-सी नीरसता हावी होने लगती है। अभी 40-45 मिनट के नौ एपिसोड आए हैं और अगले सीज़न की राह खुली रखी गई है। मगर नौवें एपिसोड तक आते-आते चीज़ें थमने लगती हैं। अंत उतना ज़ोरदार नहीं दिखता जितना दमदार इस पूरी सीरिज़ का सफर रहा है। पटकथा के धागों को कस कर लपेटा जाता तो इसे एक बार में भी समेटा जा सकता था।
बावजूद इन कमियों के अजय देवगन के प्रोडक्शन से तिग्मांशु धूलिया के सधे हुए निर्देशन में बन कर आई यह सीरिज़ एक उम्दा थ्रिलर का भरपूर मज़ा देती है जिसे हिम्मतवाले लोग एक ही सिटिंग में देख डालेंगे।
(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि सीरिज़ कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)
Release Date-04 February, 2022
(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)
Title or promo se to murder interesting lg rha tha
But ab time pas lg rhi h
अब तो देखनी ही पड़ेगी 🤔
सर आपके रिव्यू के बाद ही हिम्मत करते हैं फिल्म या सीरीज देखने की …ऐसे ही रिव्यू करते रहें 👌💐💐