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Home फिल्म/वेब रिव्यू

ओल्ड रिव्यू-समोसे सरीखी मसालेदार ‘सिंह इज़ ब्लिंग’

Deepak Dua by Deepak Dua
2015/10/02
in फिल्म/वेब रिव्यू
1
ओल्ड रिव्यू-समोसे सरीखी मसालेदार ‘सिंह इज़ ब्लिंग’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

समोसा पसंद है आपको? आप पूछेंगे कि फिल्म की समीक्षा में यह कैसा सवाल? चलिए विस्तार से बताता हूं।

समोसा एक ऐसा व्यंजन है जो चटपटा, मसालेदार होता है और जिसे पसंद करने वाले को इस बात से ‘आमतौर पर’ कोई मतलब नहीं होता कि वह किस तेल में तला गया, उसके अंदर किस क्वालिटी के आलू व मसाले भरे गए और उसे बनाते समय कितनी साफ-सफाई बरती गई। बस, गर्म और कुरकुरा होना चाहिए। कुछ लोग पूरा समोसा चट कर जाते हैं। कुछ को इसके बाहर का खस्ता माल पसंद आता है और वह अंदर के आलू छोड़ देते हैं तो कुछ को अंदर का मसाला पसंद आता है। किसी को इसके साथ परोसी गई तीखी चटनी भाती है तो किसी को मीठी और कोई-कोई इसे बिना चटनी के खाना पसंद करता है। लेकिन इनमें से कोई भी समोसे को एक पौष्टिक व्यंजन की कैटेगरी में नहीं रखता और जानता है कि समोसे-एक या दो ही अच्छे। ज्यादा खाकर तो देखिए, कैसी बदहजमी करेंगे और खट्टी-खट्टी डकारें आने लगेंगी।

तो जनाब, यह फिल्म भी समोसे की तरह है। इसके अंदर प्यार और इमोशन सरीखे मसाले हैं जिन्हें कॉमेडी में लपेट कर एक्शन के तेल में तला गया है। अब क्या हुआ जो ये मसाले अधपके हैं और तेल बासा? कॉमेडी का रैपर तो खस्ता और कुरकुरा है। जाइए, मजा लीजिए-इससे पहले कि वह ठंडा होकर बेस्वाद हो जाए।

इस फिल्म में आप कुछ नई चीज़ें भी देखेंगे। मसलन लगभग पूरी फिल्म में हीरो पिटता है और हीरोइन एक्शन करती है। अक्षय कुमार पंजाबी किरदारों में जंचते हैं, यहां भी जंचे हैं। शायद पहली बार किसी हिन्दी फिल्म में हीरोइन ने पूरी फिल्म में हिन्दी का एक लफ्ज़ भी नहीं बोला है। वैसे एमी जैक्सन लगी प्यारी हैं। लारा दत्ता और उनकी फूहड़ ड्रेसेज़ देख कर आप शायद यकीन भी न कर सकें कि कभी उन्होंने ब्रह्मांड सुंदरी का खिताब भी जीता था। के.के. मैनन, अनिल मांगे, आरफी लांबा, रति अग्निहोत्री, योगराज सिंह वगैरह ने ठीक से सपोर्ट किया।

बतौर डायरेक्टर प्रभुदेवा की पहली तीन हिन्दी फिल्में-‘वांटेड’, ‘राउडी राठौड़’ और ‘रमैया वस्तावैया’ साउथ की फिल्मों की रीमेक रही हैं और उनके डायरेक्शन का स्तर इन फिल्मों में धीरे-धीरे नीचे ही आया है। पर सीधे हिन्दी में बनी उनकी फिल्मों-‘आर.राजकुमार’, ‘एक्शन जैक्सन’ और अब ‘सिंह इज़ ब्लिंग’ बताती हैं कि उन्हें दरअसल अच्छी स्क्रिप्ट्स की पहचान ही नहीं है। उन्हें अपने खुद के समोसे तलने की बजाय किसी और की रेसिपी को ही आजमाते रहना चाहिए।

अपनी रेटिंग-2.5 स्टार

(नोट-मेरा यह रिव्यू इस फिल्म की रिलीज़ के समय किसी पोर्टल पर प्रकाशित हुआ था।)

Release Date-02 October, 2015

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म-पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: Akshay Kumaramy jacksonanil charanjeetarfi lambakay kay menonlara duttamurli sharmaprabhu devapradeep rawatrati agnihotrisingh is bliing reviewsingh is blingyograj singh
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Comments 1

  1. Pramender chauhan says:
    4 years ago

    Nice sir ji

    Reply

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