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Home फिल्म/वेब रिव्यू

पुरस्कृत रिव्यू-लालची कठपुतलियों की ‘बारात’

CineYatra by CineYatra
2024/10/20
in फिल्म/वेब रिव्यू
3
पुरस्कृत रिव्यू-लालची कठपुतलियों की ‘बारात’
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-अनुश्री… (This Review is featured in IMDb Critics Reviews)     

‘बारात’ की कहानी दिखाती है कि एक लालची आदमी गोलगप्पे खाते हुए बार-बार एक और, एक और की मांग करता है और जब पैसे देने की बारी आती है तो सबसे खराब, सड़ा हुआ बीस रुपए का नोट देकर अपने स्कूटर पर मस्ती में चल देता है। रास्ते में उसे एक बीस का नोट मिलता है जिसे वह उठा लेता है। इस तरह से वह एक-एक करके पांच बार नोट उठाता है और तभी उसका एक्सिडैंट हो जाता है।

वास्तव में यह कहानी इंसान के उस पक्ष को दिखाती है जब वह लालच के मारे अंधा और बहरा होकर किसी की नहीं सुनता। शुरुआत में गोलगप्पे खाते हुए दो स्कूली छात्राओं की बातें उसे होने वाले हादसे के प्रति आगाह करती हैं, फिर जब-जब वह बीस का नोट उठा कर जेब में रखता है, एक रहस्यमयी ध्वनि बजती है जो उसे चेतावनी देती है। बीच में उसकी बेटी का फोन भी आता है जो उसे जल्दी घर आने को कहती है। यह इस बात का सूचक है जैसे ज़िंदगी इंसान को गलत रास्ता छोड़ कर सही रास्ता चुनने का मौका देती है। लेकिन यह इंसान लालच में इस कदर पगला चुका है कि हर चीज़ को नज़रअंदाज़ करते हुए आखिर ऐसे पड़ाव पर पहुंच जाता है जहां से वापस जाना मुश्किल है।

फिल्म यह भी दिखाती है कि शुरू में यह व्यक्ति खुश और निश्चिंत है। ज़िंदगी के मज़े लेने के लिए गोलगप्पे का आनंद उठा रहा है। हैलमेट पहन कर धीरे-धीरे आसपास के नज़ारे देखते हुए स्कूटर चला रहा है। पर जब वह लालच में पूरी तरह से डूब चुका होता है तो उसे हैलमेट पहनने का होश नहीं रहता और वह अपनी गति भी बढ़ा देता है। फिल्म का अंत दिखाता है लालच के रास्ते पर चलने वाले लोग अंत में कठपुतलियों की तरह एक ऐसी भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं जिन्हें खुद नहीं पता होता कि वह किस दिशा में जा रहे हैं।

लेखक-निर्देशक हितेश धवन ने बहुत ही कम संवादों का इस्तेमाल करते हुए इस फिल्म में अपने कुशल निर्देशन से जान फूंकी है। शुरू में कॉमेडी-सी लगती यह फिल्म अंत आते-आते बहुत गहरा संदेश दे जाती है। अखिलेंद्र मिश्रा ने अपने अभिनय से इस फिल्म को ऊंचाई दी है और लोकेशन, कैमरा व संगीत ने इसके प्रभाव को बढ़ाने का काम किया है। 

Release Date-12 December, 2022 on YouTube

(हरियाणा की रहने वाली अनुश्री देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पत्रकारिता व जनसंचार की छात्रा हैं। पर्यटन, लेखन व ब्लॉगिंग से इन्हें विशेष लगाव है। किसी विषय को गहराई से समझ कर उसमें उतरना इन्हें पसंद है।)

(नोट-अनुश्री का लिखा यह रिव्यू सितंबर, 2024 में देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में आयोजित रिव्यू राइटिंग कंपीटिशन में प्रथम स्थान पर पुरस्कृत हुआ था जिसमें निर्णायक ‘सिनेयात्रा’ के फिल्म समीक्षक दीपक दुआ थे।)

(पॉकेट फिल्म्स के यू-ट्यूब चैनल पर मौजूद 18 मिनट की शॉर्ट-फिल्म ‘बारात’ इस लिंक पर क्लिक करके देखी जा सकती है।)

Tags: akhilendra mishrabaratbarat reviewbarat short filmbarat short film reviewhitesh dhawanpocket filmsshort filmshort film reviewyoutube
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Comments 3

  1. DHAWAN says:
    8 months ago

    Hi,

    Than you for the wonderful review. Bohut hi achet se likha h aapne. Ummed hai sabhi chatron ne kuch na kuch alag alag message liye honge is film se.
    Yes you got it right, if you only consume from nature and don’t give anything back, the universe has its own way of payback!

    Thanks for posting and congratulations!

    Regards,
    DHAWAN
    (Writer, Director, Producer-Bārāt)

    Reply
    • CineYatra says:
      8 months ago

      Thanks Hitesh for making this film. Come back soon and make more such impactful cinema…

      Reply
  2. NAFEES AHMED says:
    8 months ago

    जितना यह शार्ट मूवी एक मेसेज देती है उसी तरह यह रिव्यु भी एक कटु सूचक शब्द जाल से मेसेज देता है…..

    ए नादां इंसा… ना कर लालच तू किसी भी चीज का….
    वरना नसीहत देने क़े लिए 2020-21-22 का कोरोना काल ही काफ़ी है…

    Reply

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