• Home
  • Film Review
  • Book Review
  • Yatra
  • Yaden
  • Vividh
  • About Us
CineYatra
Advertisement
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
No Result
View All Result
CineYatra
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-मसालों की बौछार में रपट कर ‘मरजावां’

Deepak Dua by Deepak Dua
2019/11/16
in फिल्म/वेब रिव्यू
0
रिव्यू-मसालों की बौछार में रपट कर ‘मरजावां’
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

चेतावनी : मसालेदार, चटपटी, बे-दिमाग फिल्में देखने, पसंद करने वाले ही आगे पढ़ें। बाकी लोग यहीं से पलट लें वरना रपट जाएंगे।

मुंबई अंडरवर्ल्ड का डॉन नारायण अन्ना। उसके बेटे जैसा हीरो रघु जो उसके एक इशारे पर जान ले-ले, दे-दे। इस बात से खफा उसका असली बेटा विष्णु रघु को दुश्मन मान बैठा है। रघु पर फिदा तवायफ आरज़ू। लेकिन रघु का दिल आया कश्मीर से आई ज़ोया पर। ज़ोया उसे सुधारना चाहती है। रघु-विष्णु की भिड़ंत में बेकसूर लोग मरने लगे तो रघु बागी हो उठा। लेकिन अन्ना के नमक ने उसे रोक लिया। आखिर एक दिन रघु ने बुरे लोगों को मार ही डाला।

हिन्दी फिल्मों में पचासों दफा आ चुकी यह कहानी इतनी ज्यादा घिसी हुई है कि इस पर एक और फिल्म बनाने के लिए बड़े दिल और मोटी जेब के साथ-साथ ऐसे दिमाग की ज़रूरत होती है जो ज़्यादा सवाल न पूछे और राइटर-डायरेक्टर को वो सारी बेसिर-पैर की हरकतें करने दे जो वे करना चाहते हैं। टी सीरिज़ वालों ने बेशक हिम्मत दिखाई है लेकिन लेखक-निर्देशक मिलाप मिलन ज़वेरी की हिम्मत की तारीफ ज़्यादा होनी चाहिए जो उन्होंने इस कदर घिसी हुई कहानी को भी मनोरंजक बना दिया। दरअसल इस मनोरंजन की वजह वे ढेर सारे मसाले हैं जो उन्होंने पूरी फिल्म में जम कर छिड़के हैं। बल्कि ’छिड़के’ की बजाय ’बरसाए’ कहना ज़्यादा सही होगा। ये वही मसाले हैं जो अस्सी-नब्बे के दशक में मिथुन चक्रवर्ती मार्का फिल्मों में जम कर चटाए और चाटे जाते थे। तो अगर आपको अतीत वाली फीलिंग्स के साथ उस दौर की हिन्दी फिल्मों का आनंद लेना हो तो ठीक, वरना कोई ज़बर्दस्ती तो आपको थिएटर ले जाने से रहा।

कहानी और स्क्रिप्ट की कमियां निकालने बैठें तो इस फिल्म की धज्जियों के टुकड़े बिखर कर पूरे ब्रह्मांड में जा गिरेंगे। लेकिन क्यों उड़ाई जाएं धज्जियां? क्यों निकालें मीनमेख? जब यह फिल्म ऐसा कोई दावा ही नहीं कर रही है कि यह आपके दिमाग के सुपर सयाने तंतुओं को संतुष्ट करने के लिए बनाई गई है, जब इसने कहीं यह कहा ही नहीं कि इसमें ओरिजनल कहानी, ओरिजनल डायरेक्शन है तो आप इससे कोई उम्मीद बांधें भी तो क्यों? और तो और इस फिल्म को बनाने वालों ने इसमें तीन-तीन पुराने गानों के रीमिक्स डाल कर साफ बता दिया है कि उनके पास गाने तक ओरिजनल नहीं है। रही फिल्म के नाम की बात, तो ‘मरजावां’ पंजाबी का शब्द है, जबकि फिल्म के अंदर-बाहर कहीं किसी किस्म के पंजाबी पात्र, पंजाबी माहौल, पंजाबियत का ज़रा-सा भी ज़िक्र नहीं है। तो जब बनाने वालो को फिक्र नहीं है तो आप काहे अपना जिया बेकरार करते हैं। मसालों में रपटना पसंद हो तो ही जाएं यह फिल्म देखने। दिमाग की बत्तियां जलाएंगे तो फ्यूज़ उड़ना तय है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि फिल्म कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-15 November, 2019

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: marjaavaanMarjaavaan reviewmilap milan zaverinassarrakul preet singhravi kishanriteish deshmukhshaad randhawaSidharth Malhotrat seriestara sutaria
ADVERTISEMENT
Previous Post

मेकअप नहीं लुक-डिज़ाइनिंग कहिए जनाब

Next Post

50वां इफ्फी गोआ-सुनहरे बरस में फिल्मोत्सव की धूम

Related Posts

रिव्यू-सिंगल शॉट में कमाल करती ‘कृष्णा अर्जुन’
CineYatra

रिव्यू-सिंगल शॉट में कमाल करती ‘कृष्णा अर्जुन’

रिव्यू-चिकन करी का मज़ा ‘नाले राजा कोली माजा’
CineYatra

रिव्यू-चिकन करी का मज़ा ‘नाले राजा कोली माजा’

रिव्यू-मज़ा, मस्ती, मैसेज ‘जय माता जी-लैट्स रॉक’ में
CineYatra

रिव्यू-मज़ा, मस्ती, मैसेज ‘जय माता जी-लैट्स रॉक’ में

वेब-रिव्यू : झोला छाप लिखाई ‘ग्राम चिकित्सालय’ की
CineYatra

वेब-रिव्यू : झोला छाप लिखाई ‘ग्राम चिकित्सालय’ की

रिव्यू-अरमानों पर पड़ी ‘रेड 2’
CineYatra

रिव्यू-अरमानों पर पड़ी ‘रेड 2’

रिव्यू-ईमानदारी की कीमत चुकाती ‘कॉस्ताव’
फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-ईमानदारी की कीमत चुकाती ‘कॉस्ताव’

Next Post
50वां इफ्फी गोआ-सुनहरे बरस में फिल्मोत्सव की धूम

50वां इफ्फी गोआ-सुनहरे बरस में फिल्मोत्सव की धूम

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में
संपर्क – dua3792@yahoo.com

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment

No Result
View All Result
  • होम
  • फिल्म/वेब रिव्यू
  • बुक-रिव्यू
  • यात्रा
  • यादें
  • विविध
  • हमारे बारे में

© 2021 CineYatra - Design & Developed By Beat of Life Entertainment