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Home फिल्म/वेब रिव्यू

रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’

Deepak Dua by Deepak Dua
2023/03/24
in फिल्म/वेब रिव्यू
4
रिव्यू-कहानी ‘कंजूस’ मनोरंजन ‘मक्खीचूस’
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-दीपक दुआ… (This review is featured in IMDb Critics Reviews)

ज़ी-5 पर रिलीज़ हुई इस फिल्म ‘कंजूस मक्खीचूस’ का ट्रेलर बताता है कि लखनऊ शहर में रहने वाले गंगा प्रसाद पांडेय का जवान लौंडा जमना प्रसाद पांडेय हद दर्जे का कंजूस है। वह पैसे जमा कर रहा है ताकि अपने माता-पिता को चार धाम की यात्रा पर भेज सके। लेकिन वहां हुए हादसे में मां-बाप बह जाते हैं। सरकार जमना को 14 लाख रुपए का मुआवजा देती है लेकिन उस तक पहुंचता है सिर्फ 10 लाख। अचानक कुछ ऐसा होता है कि वह भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ने का इरादा कर लेता है।

कहानी बुरी नहीं है। कहानी, दरअसल कोई बुरी नहीं होती। दिक्कत आती है कहानी को कहने में, फैलाने में, समेटने में। और यह फिल्म इन तीनों ही मोर्चों पर नाकाम हुई है, बुरी तरह से। माना कि मिडल क्लास परिवारों में कंजूसी या कमखर्ची की एक आदत-सी हो जाती है लेकिन इस परिवार में तो अति दिखाई गई है जबकि यहां कोई मारा-मारी भी नहीं है। चलिए फिल्म है तो फिल्मी छूट ले लेते हैं लेकिन साहब, पटकथा को तो ठीक-से फैलाइए। यह क्या कि जहां मन आया उसे मोड़ दिया। और आज की फिल्मों में हर समस्या का हल मीडिया ही हो गया है क्या? मीडिया जिसे आप हर दूसरी फिल्म में लल्लू, नाकारा, पक्षपाती, नौटंकी दिखाते हैं, वही मीडिया किसी सामाजिक मुद्दे की फिल्म में आकर क्रांति का वाहक बन जाता है! फिल्म की स्क्रिप्ट में तो इतने ढीले पेंच हैं कि उनसे सारा मज़ा बाहर रिसने लगता है। संवाद कई जगह अच्छे हैं लेकिन हर बार कॉमेडी के नाम पर फूहड़ता परोसना ज़रूरी है क्या?

कहानी लखनऊ में है और हर किरदार अपनी मर्ज़ी से किसी भी किस्म की बोली में बोले जा रहा है। दूसरी बात-फिल्म उत्तर प्रदेश में शूट हुई है, वहां की सरकार, मुख्यमंत्री, अफसरों को धन्यवाद भी दिया गया है, हो सकता है कि वहां से इसे कोई सब्सिडी भी मिल जाए। लेकिन आप फिल्म में दिखा क्या रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारी तो सारे के सारे भ्रष्ट हैं जी, मुर्दों को भी बेच खाते हैं जी, वहां के नेता तो चोर हैं जी, सारे के सारे मिले हुए हैं जी। एक तरह से यह फिल्म यू.पी. पर धब्बा ही लगाती है।

कुणाल खेमू ऐसे किरदारों को ठीक-से निभा जाते हैं। बल्कि सच तो यह है कि वह ऐसे ही किरदारों को ठीक-से निभा पाते हैं। बाकी किसी भी किरदार को ठीक-से विकसित नहीं किया गया इसलिए श्वेता त्रिपाठी, अलका अमीन, राजीव गुप्ता वगैरह बस ‘यूं ही’ रहे हैं। जब पीयूष मिश्रा जैसा कलाकार तक लाचार लगे और स्वर्गीय राजू श्रीवास्तव को आप जूनियर आर्टिस्ट बना दें तो समझिए कैसी होगी यह फिल्म। गाने ठीक-ठाक हैं लेकिन कुछ ज़्यादा हैं।

भले ही यह फिल्म ईमानदारी का मैसेज देती हो लेकिन इस मैसेज को यह पूरी ईमानदारी से नहीं दे पाती है। गुजराती सिनेमा से आए लेखक-निर्देशक विपुल मेहता ने कहानी के नाम पर जो कंजूसी बरती है उससे इस फिल्म में मनोरंजन की मक्खी भी नहीं भिनभिनाई है।

(रेटिंग की ज़रूरत ही क्या है? रिव्यू पढ़िए और फैसला कीजिए कि यह कितनी अच्छी या खराब है। और हां, इस पोस्ट के नीचे कमेंट कर के इस रिव्यू पर अपने विचार ज़रूर बताएं।)

Release Date-24 March, 2023 on ZEE5

(दीपक दुआ फिल्म समीक्षक व पत्रकार हैं। 1993 से फिल्म–पत्रकारिता में सक्रिय। मिज़ाज से घुमक्कड़। ‘सिनेयात्रा डॉट कॉम’ (www.cineyatra.com) के अलावा विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल आदि के लिए नियमित लिखने वाले दीपक ‘फिल्म क्रिटिक्स गिल्ड’ के सदस्य हैं और रेडियो व टी.वी. से भी जुड़े हुए हैं।)

Tags: alka aminkanjoos makhichooskanjoos makhichoos reviewkunal khemuPiyush Mishrarajeev guptaraju srivastavashweta tripathivipul mehtaZEE5
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Comments 4

  1. Nafees Ahmed says:
    2 years ago

    रिव्यु शीर्षक एक दम जबरदस्त है।
    रिव्यु का शीर्षक पढ़कर ही समझ मे आ गया कि फ़िल्म कैसी है। पटकथा, लोकेशन, रीजनल लैंगुएज और मीडिया के बारे में भी बहुत अच्छा लिखा गया है। पीयूष मिश्रा जी जैसे एक महान कलाकार को भी फ़िल्म स्क्रिप्ट के हिसाब से फिट न कर पाना स्वयं में लेखन और निर्देशन की मक्खीसूचता को दर्शाता है।

    Reply
    • CineYatra says:
      2 years ago

      शुक्रिया…

      Reply
  2. Rishabh Sharma says:
    2 years ago

    बिलकुल सही कहा आपने! कहानी अच्छी हो सकता थी, किरदार और विकसित हो सकते थे! और अभिनय भी! लेकिन कंजूसी हर जगह है निर्देशन, संगीत सभी कुछ मक्खी चूस कुणाल खेमू तुषार कपूर ऐसी ही फिल्मों के लिए बने हैं! इस हिसाब से शीर्षक एक दम सटीक बैठता है! बस रिव्यू लिखने में कोई कंजूसी नहीं की गई भरपाई हो गई!! धन्यवाद

    Reply
    • CineYatra says:
      2 years ago

      आभार…

      Reply

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